विरोधियों को जवाब | अमरीका के सर्वाधिक लोकप्रिय राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की नीतियों को लेकर उनके विरोधी झूठी आलोचनाएं करते रहते थे और अखबारों में प्रकाशित करवाते रहते थे। वे अपने लेखों में लिंकन की दिल खोलकर बुराई करते थे।
हालांकि लिंकन पर इन बातों का ज्यादा फर्क नहीं पड़ता था, वह अपने काम में लगे रहते और कभी उनका प्रतिउत्तर नहीं देते थे। एक दिन उनके एक मित्र ने कहा, आपके विरोधी आपके बारे में इतना कुछ लिखते हैं, आप उनका जवाब क्यों नहीं देते? आपको भी जवाब देना चाहिए।" लिंकन ने उत्तर दिया, "मित्र, यदि मैं उनका जवाब देने लगूंगा तो मेरा सारा समय इसी में निकल जाएगा। फिर मैं कोई जनकल्याण का कार्य नहीं कर पाऊंगा। जीवन के अंत में यदि मैं अपने कार्यों के द्वारा बुरा साबित होता हूं तो मेरे द्वारा पेश किए गए किसी स्पष्टीकरण मृत का कोई मूल्य नहीं होगा और यदि मैं एक अच्छा व्यक्ति साबित होता हूं तो फिर इन आलोचनाओं का कोई मूल्य नहीं होगा।
अतः मैं इन पर ध्यान दिए बिना चुपचाप अपना काम करता हूं। मुझे आलोचनाओं की कोई चिंता नहीं है और नही विरोधियों से कोई डर है। "
प्रसंग का सार यह है कि हमें अपने कार्यों के द्वारा लोगों की आलोचनाओं का जवाब देना चाहिए।
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