बादशाह तैमूर लंग की क्रूरता से उसकी प्रजा बहुत परेशान थी । उसने न जाने कितने देशों को रौंद डाला था और न जाने कितने लोगों के घर उजाड़ दिए थे। तैमूर लंग के सामने एक बार बंदियों को लाया गया। उन बंदियों में तुर्किस्तान के प्रसिद्ध कवि अहमद भी थे ।

आदमी की कीमत
अहमद को देखकर तैमूर ने दो गुलामों की ओर इशारा करते हुए कहा, "मैंने सुना है कवि बहुत पारखी होते हैं । अगर ऐसा है तो बताओ कि इन दोनों गुलामों की क्या कीमत होगी?"
अहमद थोड़ी देर चुप रहने के बाद बोले, "इन दोनों में से कोई भी 400 अशर्फियों से कम कीमत का. नहीं है।" यह सुनकर तैमूर लंग को बहुत आश्चर्य हुआ। उसने तत्काल ही दूसरा प्रश्न किया। अच्छा यह बताओ कि मेरी क्या कीमत होगी ? उसे लगा कि अहमद या तो डर के मारे चुप हो गए हैं या उसकी अधिक से अधिक कीमत के लिए सोच रहे हैं ।
अहमद स्पष्टवादी थे। उसने जवाब दिया, "आप की कीमत सिर्फ 24 अशर्फियां है।"
यह सुनते ही तैमूर लंग क्रोध में बोला, क्या बकते हो ? इतना मूल्य तो सिर्फ मेरे जूतों का है।"
अहमद ने कहा, "जी हां, मैंने आपके जूतों की ही कीमत बताई है। "
तैमूर लंग ने गुस्से में कहा, "इसका मतलब मेरी कोई कीमत नहीं है।" अहमद ने कहा, "जी नहीं, जिस व्यक्ति में दया न हो, भला ऐसे व्यक्ति को मनुष्य की संज्ञा कैसे दी जा सकती है। आपसे अच्छे तो ये गुलाम हैं जो कम से कम किसी के काम तो आते हैं।" अहमद के ऐसे वाक्य सुनकर तैमूर लंग हैरान रह गया।
और भी लघु कथाये Short Stories in Hindi, Very Short Stories, Short Stories, Hindi Short Stories पढ़ते रहिये ......
गौतम बुद्ध और डाकू अंगुलिमाल की कहानी
प्रकृति किसी न किसी रूप में सजा अवश्य देती है।
Thankyou