Short Stories in Hindi , Hindi short stories | very short stories | Short Stories
विपरीत परिस्तिथियों में भी हार न माने Short Stories in Hindi
जार्ज वाशिंगटन कार्वर अमरीका के नीग्रो परिवार में पैदा हुए थे। जब वह बालक ही थे, तभी उनके परिवार को एक रईस ने गुलाम के रूप में खरीद लिया। कार्वर ने मालिक के बच्चों को स्कूल जाते देख अपनी मां से स्कूल जाने की जिद्द की।
मालिक रहमदिल व्यक्ति था । उसने कार्वर की इच्छा को देखते हुए उसे स्कूल में भर्ती करा दिया। वह मन लगाकर पढ़ते और पूरे तन-मन से अपने मालिक की सेवा भी करते। उनकी योग्यता और सेवाओं से खुश होकर मालिक ने उन्हें दासता से मुक्त कर दिया लेकिन कार्वर के लिए स्थितियां और दुखदायी हो गईं। उन्हें किसी भी कॉलेज ने यह कहकर दाखिला नहीं दिया कि वह गुलाम है। गुलामों को पढ़ने का अधिकार नहीं होता। पर कार्वर ने विपरीत परिस्थितियों में भी हार मानना नहीं सीखा था। उन्होंने अपनी आजीविका के लिए लोगों के कपड़े धोना और प्रैस करना आरंभ कर दिया। समय मिलने पर वह घर पर ही पढ़ते थे।
कई जगहों से उनका आवेदन ठुकराया गया। पर उन्होंने पढ़ाई के लिए अपनी कोशिशें जारी रखीं। इंडियाना पोलिस के एक कालेज के प्रिंसीपल बहुत नेक इंसान थे। उन्होंने कार्वर से कहा, "मान भी लो मैं तुम्हें दाखिला दे भी दूं परन्तु क्या तुम्हें आगे नौकरी मिल पाएगी?" जार्ज वाशिंगटन कार्वर बोले, “मेरी शिक्षा सिर्फ पैसे कमाने के लिए नहीं है। मैं इससे मैं अपने समाज का भला करना चाहता हूं।'
प्रधानाचार्य ने कार्वर का आवेदन कालेज की कमेटी के आगे रखा। कार्वर को प्रवेश दे दिया गया। उन्होंने अपनी योग्यता से यहां न सिर्फ सर्वाधिक अंक हासिल किए बल्कि वहीं पर उन्हें उसी कॉलेज में शिक्षक भी बना दिया गया बाद में वे एक प्रतिभाशाली वैज्ञानिक बने ।

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खुद को धोखा
एक बार गांधी जी के बड़े भाई के ऊपर कर्ज हो गया। उन्हें कर्ज मुक्त करने के लिए गांधी जी ने अपना सोने का कड़ा बेच दिया और पैसे अपने भाई को दे दिए। मार खाने के डर से गांधी जी ने अपने माता- पिता से झूठ बोला कि कड़ा कहीं गिर गया है।
झूठ बोलने के कारण उनका मन स्थिर नहीं हो पा रहा था। उन्हें अपनी गलती का अहसास हो रहा था और उनकी आत्मा से बार- बार आवाज उठ रही थी कि उन्हें झूठ नहीं बोलना चाहिए था। अंत में गांधी जी ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया और उन्होंने सारी बात एक कागज में लिखकर पिता जी को बता दी।
गांधी जी ने सोचा कि जब पिता जी को मेरे अपराध की जानकारी होगी तो वह उन्हें बहुत पीटेंगे, लेकिन पिता ने ऐसा कुछ भी नहीं किया। वह बैठ गए और उनकी आंखों से आंसू आ गए। छुपकर देख रहे गांधी जी को इस बात से बहुत चोट लगी। उन्होंने महसूस किया कि प्यार हिंसा से ज्यादा असरदार दंड हो सकता है। इस घटना के बाद गांधी जी ने छोटी-सी उम्र में झूठ न बोलने की शिक्षा ग्रहण कर ली।
इस कई बार ऐसी ही आवाज हमारे अंदर भी आती है जब हम किसी से झूठ बोलते हैं किन्तु हम उस आवाज पर भरोसा नहीं करते और इसे नजरअंदाज करके भारी भूल कर देते हैं। हमें झूठ नहीं बोलना चाहिए क्योंकि झूठ का कोई वजूद नहीं है और इससे हम किसी और को नहीं बल्कि खुद को ही धोखा देते हैं।

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शिक्षा का मूल्य
अमरीका में एथेंस नामक एक अनाथ युवक रहता था। उसे पढ़ने का बेहद शौक था। एक दिन उसने किसी किताब में पढ़ा कि अध्ययन से व्यक्ति विश्व में सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त कर सकता है। इससे वह न सिर्फ धन-सम्पदा का मालिक बन सकता है बल्कि सदाचार के मार्ग पर चलकर अपना जीवन सफल बना सकता है। एथेंस ने संकल्प किया कि वह बिना कर्म के प्राप्त धन का उपयोग नहीं करेगा और दुर्व्यसनों से दूर रहेगा।
एथेंस ने प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद देश के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। कुछ सम्पन्न परिवारों के विद्यार्थी उनकी अनूठी प्रतिभा और लगन देखकर उससे ईर्ष्या करते थे। एक दिन कुछ ईर्ष्यालु विद्यार्थियों ने उस पर चोरी का इल्जाम लगाकर उसे कठघरे में खड़ा कर दिया। न्यायाधीश ने एथेंस से कहा, “तुम्हारे सहपाठियों का कहना है कि तुम चोरी करके अपनी फीस जमा करते हो। आखिर तुम्हारे जैसा अनाथ विद्यार्थी इतने महंगे विश्वविद्यालय का खर्च कैसे उठाता है ?"
इस पर एथेंस विनम्रतापूर्वक बोला, “सर, मैं बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर अपना खर्च निकालता हूं । दुर्व्यसनों से दूर होने के कारण मेरा खर्चा काफी कम में भी चल जाता है। मैंने यही सीखा है कि बिना परिश्रम के धन संचय करना पाप है। मेरे दोस्त साबित करके दिखाएं कि मैंने चोरी की है। एथेंस की बात का उसके सहपाठी जवाब न दे पाए।
न्यायाधीश ने इस बात की जांच की और एथेंस के कहे गए तथ्यों को सही पाया। उसे मुक्त कर दिया गया। एथेंस ने मेहनत और कर्म से अपना व्यक्तित्व निखारा। आज भी अमरीका के प्रमुख बुद्धिजीवियों में एथेंस का नाम आदर के साथ लिया जाता है।
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अब्राहम लिंकन विरोधियों को जवाब
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