हम कई बार जाने-अनजाने में बच्चों का दिल दुखा देते हैं। पेरेंट्स कई बार अपने मासूम बच्चों का मेहमानों के सामने अपमान कर देते हैं, जो निश्छल और कोमल मन के इन बालगोपालों को बिल्कुल अच्छा नहीं लगता इसलिए आपको उनकी कुछ बातों की चर्चा दूसरों के सामने कतई नहीं करनी चाहिए।

शुरू-शुरू में बच्चों का तुतलाकर बोलना बेहद स्वाभाविक है क्योंकि स्वरों और शब्दों पर उनकी सही पकड़ नहीं हो पाती लेकिन जब पॅरेंट्स अपने बच्चों की दूसरों के सामने खिल्ली उड़ाते हैं और उनकी नकल करते हुए तुतलाकर बोलते हैं, तो बालमन आहत हो जाता है। नतीजतन बातचीत करने का उसका अभ्यास कमजोर पड़ने लगता है और यह कमजोरी कई बार बड़े होने तक बनी रहती है।
शरमाऊ दुल्हन है
कई बच्चे पेरेंट्स या दादा-दादी के अलावा अक्सर नए लोगों से मिलने में संकोच करते हैं। नए लोगों के सामने वे असहज महसूस करते हैं। बच्चों के लिए यह एक सहज और स्वाभाविक बात है लेकिन कई मां- बाप दूसरों के सामने उसे 'शरमाऊ दुल्हन/ बीनणी' का
दर्जा दे डालते हैं। जब बच्चा बार-बार अपमान और उपेक्षा महसूस करने लगता है, तो पेरेंट्स के प्रति उसके मन में सम्मान तो घटता ही है, वह आगे चलकर भी नए लोगों के समक्ष सहज नहीं हो पाता।
पोंगा है
बहुत से बच्चे सीरियल, फिल्म या गानों की बजाय बड़े होने पर भी कार्टून चैनल देखना ज्यादा पसंद करते हैं। बच्चों के पीछे पड़े रहने वाले पेरेंट्स को यह कतई अच्छा नहीं लगता। ऐसे में वे घर आए मेहमानों के सामने या उसके दूसरे साथियों के सामने तंज कसने लगते हैं, 'हमास डब्बू तो पोंगा है, कार्टून देखता है।' इससे बच्चे को अनावश्यक शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है।
पेटूराम है
बच्चे तो बच्चे हैं, जब मन किया, जो मन किया खा लेते हैं। उनकी पसंदीदा चीज फ्रिज में रखी हो, फ्रूट बास्केट में अंगूर, चेरी, केला, सेब जैसे फल रखे हों या केक पेस्ट्री, बिस्किट, टॉफी आदि उनकी पहुंच में हों तो वे खा लेते हैं। यह एक सहज सी बात है लेकिन कई पैरेंट्स अपने बच्चों की इस आदत का मजाक उड़ाते हैं। घर आए मेहमानों के सामने बच्चे की इस आदत को बढ़ा-चढ़ा कर बोलते हैं और उसे 'पेटूराम' का दर्जा दे बैठते हैं। इससे बच्चा बुरी तरह आहत हो जाता है। उसके मान-सम्मान को चोट पहुंचती है।
बिस्तर गीला करता है
कई बच्चे जरा बड़े होने तक भी रात में बिस्तर गीला कर देते हैं। यह बहुत गंभीर बात नहीं है। शिशु रोग विशेषज्ञ आसानी से इसका इलाज कर देते हैं लेकिन कुछनासमझ पैरेंट्स इस बात का जिक्र उसके सहपाठियों, पड़ोसियों या घर आए मेहमानों के सामने कर देते हैं, तो बच्चा बुरी तरह शरमिंदा हो जाता है। वह खुद को 'गंदा' और 'बीमार' समझने लगता है।
===================
और भी पढ़ते रहिये ......
पढिये कैसे डांट-फटकार से बच्चे होते हैं 'अवसाद का शिकार
पढिये कैसे बच्चों के उज्वल भविष्य के लिए आवश्यक 'नैतिक मूल्यों की शिक्षा'
पढिये कैसे 'सास-ससुर' भी पूजनीय होते हैं
पढिये कैसे 'बीमार' बना रहा सोशल मीडिया
पढिये कैसे पैंरैंटिंग : बच्चों को 'झूठ से' दूर रखें
पढिये कैसे समझें अपने बच्चों के 'मन की बात'
पढिये कैसे अच्छे पेरेंट्स को परफेक्ट होने की जरूरत नहीं होती
पढिये कैसे बच्चों को दूसरों के सामने न करें 'शर्मिंदा'
पढिये कैसे बच्चों को सिखाएं 'पैसे की कीमत'
पढिये मोबाइल फोन के नुकसान
पढिये थोड़ा 'सामाजिक' भी बनें
पढिये कैसे सबको आकर्षित करता है 'मुस्कुराता चेहरा'
पढिये कैसे बच्चों को 'स्मार्टफोन' से बचाएं
पढिये बच्चों को संस्कारित बनाना है तो 'खुद को सुधारें' पेरेंटिंग
पढिये कैसे 'कामकाजी मांएं' इस तरह रखें बच्चों का ध्यान
पढिये बच्चों के लिए पेश कीजिए 'अच्छी मिसाल'
Thankyou