दुनिया भर में हुई कई रिसर्च बताती हैं कि कम उम्र में बच्चों को स्मार्टफोन देना उनके मानसिक विकास को प्रभावित करना है. एक रिपोर्ट के अनुसार, मोबाइल, गैजेट्स और ज्यादा टीवी देखने से बच्चों का भविष्य खराब होता है. वर्चुअल आटिज्म का खतरा भी बढ़ रहा है.
एक सर्वे के अनुसार अमरीका, कनाडा जैसे विकसित देशों में बच्चे लगातार मोबाइल स्क्रीन देखने के कारण आंखों में जलन, आंखों से पानी आना एवं दूरदृष्टि रोग से पीड़ित हैं। यह भी हकीकत है कि बच्चों को दृष्टिरोग के अलावा स्मार्टफोन का ज्यादा इस्तेमाल करने के कारण हाथ की उंगलियों, अंगूठों में भी दर्द रहने लग गया है। मोबाइल का इस्तेमाल करते समय बैठने की स्थिति भी ठीक नहीं रहती। इस कारण धीरे-धीरे रीढ़ की हड्डी, कमर, पीठ में तकलीफ होने लगती है।
बच्चे अक्सर लड़कर अपने माता-पिता से स्मार्टफोन ले लेते हैं और उससे खेलते रहते हैं। इंटरनैट या विभिन्न एप्स के माध्यम से वे लेटैस्ट गेम्स खेलते, एनिमेशन फिल्में देखते रहते हैं और यदि बालक थोड़ा सा बड़ा होगा तो वह इंटरनैट के माध्यम से ये सब डाऊनलोड कर लेता है। उधर मां-बाप भी निश्चित हो जाते हैं और उन्हें बच्चों की तरफ ज्यादा ध्यान नहीं देना पड़ता। लेकिन बाद में उस मोबाइल का बच्चों को इतना नशा हो जाता है कि वे खाना- पीना, कुछ भी करना हो तो बगैर मोबाइल के नहीं करते। जिद करेंगे और मजबूरन अभिभावकों को उनके मन की करनी पड़ती है।
आजकल तो ऐसा समय है कि कोई व्यक्ति अगर रास्ते में भी खड़ा होगा तो मोबाइल पर चैटिंग चालू रहती है, किसी के साथ बैठा हो या बातचीत कर रहा हो तो भी मोबाइल हाथ में और उसी में व्यस्त रहेगा। ऐसे में हम बच्चों से क्या उम्मीद कर सकते हैं।
परिवार वालों को यह पता नहीं चलता कि उनका बच्चा क्या देख रहा है। एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, कि 11 साल के एक बच्चे को पोर्न देखने की आदत लग गई। अभी तो वह 5वीं क्लास में ही पढ़ रहा था। वह स्मार्टफोन पर सर्च कर पोर्न फिल्में खुद भी देखता और स्कूल में अपने साथियों को भी दिखाने लगा। खिलौने जैसे दिखने वाले छोटे- से मोबाइल का व्यसन कहां तक जा सकता है, इसी से स्पष्ट है कि जिस उम्र में बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक विकास होना चाहिए, उस उम्र में वे मानसिक विकार से ग्रस्त हो रहे हैं।

आजकल 2 साल के बच्चे को स्कूल में डाल दिया जाता है, जिस कारण उस पर भार पड़ना शुरू हो जाता है। उन्हें खेलने का समय नहीं मिलता और उनका बौद्धिक विकास रुक जाता है। इन्हीं छोटी- छोटी लापरवाहियों के कारण उनका बचपन लुटता जा रहा है और सही पालन-पोषण न होने पर तथा मस्तिष्क पर भार पड़ने के कारण उसका शारीरिक मानसिक व नैतिक विकास रुक जाता है ।
आंखों पर चश्मा तथा डायबिटीज व अन्य बीमारियां बचपन में ही घेरने लगी हैं। जरूरत है कि वास्तविकता को समझते हुए बच्चों को प्रकृति व संस्कृति से जोड़ें तथा उनके शारीरिक, मानसिक व नैतिक विकास के लिए सही मार्गदर्शन करें और आईकॉन बनाने से पहले उन्हें अच्छा इंसान बनाएं, ताकि बड़े होकर वे परिवार, समाज एवं देश के लिए बड़ी सम्पदा बन सकें और अपना जीवन सार्थक कर सकें।
सवाल और उसके जवाब जो लोग गूगल पर भी पूछते हैं
सवाल : ज्यादा मोबाइल देखने से क्या होता है
जवाब : लगातार या बहुत अधिक समय तक मोबाइल फोन देखने से आंखों की रोशनी पर नकारात्मक असर पड़ता है। इसके कारण ड्राई आइज की समस्या होना काफी आम देखा जा रहा है। ये एक आदत ग्लूकोमा के खतरे को बढ़ाने वाली हो सकती है, जो हमेशा के लिए अंधेपन के खतरे को बढ़ाने वाली समस्या हो सकती है।
सवाल : मोबाइल से कौन-कौन सी बीमारी होती है?
जवाब : स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम होने पर आंख पर जोर,गर्दन और कंधे में दर्द,सिर दर्द,आंखो में सूखापन, गर्दन और कंधे में दर्द जैसी समस्या सामने आ सकती है. सबसे बड़ा असर आंखो को फोकस पर पड़ता है क्योंकि इसके बाद आंखे दूसरी चीजों पर बेहतर तरीके से फोकस नहीं कर पाती हैं.
सवाल : ज्यादा मोबाइल देखने से शरीर पर क्या असर पड़ता है?
जवाब : डॉक्टर गोस्वामी ने कहा कि ज्यादा समय तक लगातार और देर रात तक फोन चलाने से आंखों की पुतलियां (रेटिना) सिकुड़ जाती है जिससे आंखों पर काफी असर पड़ता है. इसके कारण व्यक्ति की पास की नजरें कमजोर हो सकती हैं. इसलिए हर व्यक्ति को थोड़े समय के अंतराल के बाद ही फोन को चलाना चाहिए.
सवाल : रोज मोबाइल देखने से क्या होता है?
जवाब : ज्यादातर बच्चे सोने से पहले अपने स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं। देर रात तक बिना सोचे-समझे स्मार्टफोन देखने से थकान और बेचैनी हो सकती है। दरअसल, स्मार्टफोन से निकलने वाली नीली रोशनी मेलाटोनिन उत्पादन को रोकती है, जिससे नींद उड़ जाती है।
सवाल : दिन भर फोन चलाने से क्या होता है?
जवाब : इससे आपका स्ट्रेस लेवल बढ़ सकता है। याददाश्त पर भी होगा असर – फोन के ज्यादा इस्तेमाल से आपकी याददाश्त कमजोर होती है और आप अपने कार्यों पर कोंसंट्रेट नहीं कर पाएंगे। इसके साथ ही नींद पूरी न होने से सुबह आपका मूड फ्रेश नहीं होगा जिससे आप पूरा दिन चिड़चिड़ा महसूस करते है।
सवाल : रात में कितने बजे तक मोबाइल चलाना चाहिए?
जवाब : रात 9 बजे से सुबह 5 बजे तक. मोबाइल फ़ोन का एक दिन में कितने समय उपयोग करना चाहिए? मोबाइल फोन का एक दिन में कितना उपयोग करना चाहिए, यह एक व्यक्तिगत निर्णय है। कुछ लोगों के लिए, दो घंटे से कम समय उपयोग करना पर्याप्त हो सकता है, जबकि अन्य के लिए, पांच या छह घंटे उपयोग करना भी कम हो सकता है।
सवाल : क्या रात में फोन बंद कर देना चाहिए?
जवाब : इसका जवाब है हां, आपको ऐसा करना चाहिए। कई अध्ययनों में पाया गया है कि सोने से पहले स्क्रीन देखने से नींद की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। एक अध्ययन में तो यह भी कहा गया है कि इससे अगले दिन आपकी एकाग्रता कम हो सकती है और आप कम सतर्क रह सकते हैं।
सवाल : सुबह उठकर मोबाइल देखने से क्या होता है?
जवाब : दिन की शुरूआत मोबाइल फोन की स्क्रिन को देखकर करने से आंखों में ड्राइर्नेस की शिकायत बढ़ने लगती है। इसके अलावा आंखों की रोशनी भी प्रभावित होने लगती है। इससे आंखों में मैकुलर डीजेनरेशन का खतरा बढ़ने लगता है। ऐसे में उम्र बढ़ने के साथ आंखों की नियमित जांच करवाना बेहद ज़रूरी है।
सवाल : मोबाइल से सबसे बड़ा खतरा कौन सा है?
जवाब : मोबाइल फोन के अत्यधिक इस्तेमाल से कोशिकाओं में तनाव पैदा होता है। इसके कारण कैंसर का खतरा होता है। -मोबाइल के अधिक इस्तेमाल से कोशिकाओं में उत्पन्न होने वाला विशेष तनाव ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस उत्पन्न करता है। -यह डीएनए सहित मानव कोशिका के सभी कंपोनेंट (अवयव) नष्ट कर देता है।
सवाल : फोन से क्या खतरा है?
जवाब : जैसे अगर आप फोन का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो आपको सिरदर्द, आंखों में तनाव और नींद के पैटर्न में गड़बड़ी की समस्या हो सकती है. इसके अलावा, यदि आप गाड़ी चलाते समय अपने फोन का उपयोग कर रहे हैं, तो इससे ड्राइविंग से आपका ध्यान हट सकता है और कार दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ सकता है, जो संभावित रूप से आपके लिए घातक हो सकता है.
आगे पढ़िए . . . बच्चों को न
पड़ने दें बुरी
आदतें
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