स्वस्थ रहने तथा शरीर को क्रियाशील बनाए रखने के लिए भोजन किया जाता है। भोजन शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखने का साधन है, साध्य नहीं।
🌶️ जब थके-हारे हों, तब भोजन नहीं करें। थोड़ा फ्रैश होकर ही भोजन करें इसके लिए हाथ, मुंह, पैर धोना और आंखों पर ठंडे पानी के छींटे मार लेना, सबसे अच्छा व सस्ता उपाय है।
🌶️ भोजन करें तो खूब शांत मन से और तनाव रहित होकर करें। चबा-चबाकर भोजन करना इसको सुपाच्य बना देता है। यह शीघ्र पच सकता है क्योंकि इसमें लार अधिक मिल जाती है। पेट से निकलने वाले पाचक द्रव्य भी पूरा सहयोग दे पाते हैं।
🌶️ केवल भूख लगने पर ही भोजन करें। निश्चित समय पर भोजन करें। यदि भूख न हो तो एक समय का भोजन त्याग दें।
🌶️ भूख लगने पर जठराग्नि प्रदीप्त हो चुकी होती है और भोजन जल्दी पच जाता है। भूख के समय भोजन नहीं करने से हानि होती है।
🌶️ भूख को टालना ठीक नहीं। इससे शरीर में दुर्बलता आने लगती है।
🌶️ केवल दो मुख्य भोजन करें। तीन मुख्य भोजन लेना रोगी बना सकता है। कुछ जपी-तपी तथा वृद्ध व्यक्ति एक समय ही भोजन करते हैं। वे हर प्रकार से स्वस्थ भी रहते हैं। ऐसा इसलिए होता है कि वे तसल्ली से खाना खाकर इसे पचा भी सकते हैं।
🌶️ नाश्ते और दोपहर के भोजन में चार घंटे का, दोनों मुख्य भोजनों में सात घंटे का, नाश्ता तथा रात्रि भोजन में 11 घंटों का अंतर उचित माना जाता है।
🌶️ सोने और रात्रि भोजन में कम से कम दो घंटे का अंतर जरूर हो । रात के खाने के बाद टहलना जरूरी है।
🌶️ सप्ताह में एक व्रत जरूर रखें। व्रत खोलने पर भोजन हल्का ही करें।
🌶️ चबा-चबाकर भोजन करने से दांतों तथा मसूड़ों को शक्ति मिलेगी।
🌶️ भूख लगने पर ही खाना खाने से एक तो यह सुगमता से पच सकता है, डकार शुद्ध आते हैं, अपान वायु कम बनती है तथा स्वयं ही निकल जाती है, भोजन विषाक्त नहीं होता, दुर्गंध भी पैदा नहीं करता।
🌶️ रात का भोजन सदा हल्का हो। हमारा दिन भर का आहार संतुलित, सुपाच्य, नियमित, सादा, सात्विक हो । मिर्च-मसाले, तेल, घी कम से कम डालें। बासी भोजन न करें, सदा ताजा भोजन करें।
🌶️ किसी भी अवस्था में कब्ज न होने दें। चबा-चबाकर खाया भोजन कब्ज नहीं करता। अतः रोग भी नहीं होते। कब्ज हो भी जाए तो आंवला चूर्ण आदि लेकर इसे दूर करें। इसमें जरा भी देरी न करें।
उपरोक्त सभी बातों को ध्यान में रखने से हम पूर्ण स्वस्थ रह सकते हैं।
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