जानिये मां दुर्गा के नौ अलौकिक स्वरूपों की महिमा Durga mata ke nau roop ka naam जानिये दुर्गा के 9 अवतार कौन से हैं? Mata ke nau roop : 9 दिनों तक मां जगदम्बा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होती है।
प्रश्न : दुर्गा के 9 अवतार कौन से हैं? Durga mata ke nau roop kaun kaun se hain
उत्तर : Durga mata ke nau roop kaun kaun se hain पहली शैलपुत्री, दूसरी ब्रह्मचारिणी, तीसरी चंद्रघंटा, चौथी कूष्मांडा, पांचवी स्कंध माता, छठी कात्यायिनी, सातवीं कालरात्रि, आठवीं महागौरी और नौवीं सिद्धिदात्री। ये मां दुर्गा के नौ रुप हैं। हिमालय का एक नाम शैलेंद्र या शैल भी है। शैल मतलब पहाड़, चट्टान।
देवी दुर्गा तेज, शक्ति और सामर्थ्य की प्रतीक हैं। मान्यता है कि 9 दिनों में माता की आराधना करने वालों के सुख, शक्ति, तेज, बल, आत्मविश्वास और ऊर्जा में वृद्धि होती है और शत्रुओं का नाश करने वाली आदिमाया अपने भक्तों के कष्ट दूर करने नवरात्र के दिनों में पृथ्वी पर आती हैं।
श्रीमद् देवीभागवत महापुराण में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों ( durga mata ke nau roop) की अत्यंत प्रेरक व्याख्या की गई है। मां शक्ति के पहले स्वरूप का नाम 'शैलपुत्री' है। इनका प्रमुख गुण है शैल यानी पत्थर के समान सुदृढ़ता। शास्त्रों में शैलपुत्री का पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रूप में उल्लेख मिलता है। मां का यह स्वरूप जीवन साधना के पथ पर किसी भी विघ्न बाधा से विचलित हुए बिना शैल के समान अडिग रहने की सीख देता है।
दूसरा स्वरूप है 'ब्रह्मचारिणी'।
वह ब्रहाचर्य से परिपूर्ण सात्विक शक्ति का पर्याय मानी जाती हैं। ब्रह्म के इसी स्वरूप में सतत विचरण करने वाली दिव्य शक्ति का नाम है ब्रह्मचारिणी।
मां का तीसरा स्वरूप है 'चंद्रघंटा'।
यह स्वरूप चंद्रमा के समान मानसिक शीतलता का द्योतक है। मां चंद्रघंटा साधक को मानसिक सुदृढ़ता प्रदान करने वाली शक्ति मानी जाती हैं।
मां का चौथा स्वरूप है 'कूष्माण्डा'।

वैदिक साहित्य में' कूष्माण्डा' का शाब्दिक अर्थ गोलाकार कद्दू बताते हुए कहा गया है कि यह फल हमारी प्राणशक्ति, बुद्धिमत्ता और शारीरिक शक्ति को बढ़ाता है और प्राणों में तेज का संचार करता है। ..... आगे पढ़े
मां का पांचवां स्वरूप है 'स्कंदमाता'।
इस स्वरूप को भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता के नाम से जाना जाता है, जो ज्ञानशक्ति और कर्मशक्ति के समन्वय की सूचक हैं। ज्ञान और क्रिया के स्रोत की प्रतीक स्कंदमाता ऐसी दैवीय शक्ति मानी जाती हैं, जो व्यावहारिक ज्ञान को सामने लाती हैं और उस ज्ञान को कर्म में बदलती हैं। ..... आगे पढ़े
मां का छठा स्वरूप है 'कात्यायनी'।
मां का सातवां स्वरूप है 'कालरात्रि'।
यह स्वरूप अत्यंत भयावह व उग्र है किंतु फिर भी यह रूप मातृत्व को भी समर्पित है। देवी मां का यह रूप ज्ञान और वैराग्य प्रदान करता है। ..... आगे पढ़े
मां का आठवां स्वरूप है 'महागौरी।
mahagauri images / mahagauri mata images / maa mahagauri images / mahagauri mata images hd / mahagauri images
यह स्वरूप दिव्य सौंदर्यपूर्ण करुणामय वात्सल्य से देदीप्यमान होता है। ..... आगे पढ़े
मां का नौवां व अंतिम स्वरूप है 'सिद्धिदात्री'।
यह स्वरूप हमें जीवन में अद्भुत सिद्धि एवं क्षमता प्रदान करता है, ताकि हम सब कुछ पूर्णता के साथ कर सकें। सिद्धिदात्री का अर्थ है, है, आपके विचारमात्र से ही आपकी इच्छा का पूर्ण हो जाना। यही सिद्धि हमें जीवन के हर स्तर में संपूर्णता प्रदान करती है। ..... आगे पढ़े
अनादिकाल से ही नवरात्र के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों को जानना और हर नाम से जुड़ी दैवीय शक्ति को पहचान कर उसके तत्वदर्शन को आंत्मसात करना ही इस देवी पर्व का मूल उद्देश्य है। नवरात्र में की गई साधना भक्त के मन, वाणी और कर्म तीनों में शुद्धता लाती है। जानिए कौन से है ? भारत में 7 सबसे पुराने मनोकामना पूर्ण करने वाले देवी दुर्गा मंदि ..... आगे पढ़े
FAQ.
प्रश्न : मां दुर्गा का असली रूप क्या है?
उत्तर : हालांकि उनका असली नाम दाक्षायनी था। यज्ञ कुंड में कुदकर आत्मदाह करने के कारण भी उन्हें सती कहा जाता है। बाद में उन्हें पार्वती के रूप में जन्म लिया। पार्वती नाम इसलिए पड़ा की वह पर्वतराज अर्थात् पर्वतों के राजा की पुत्र थी।
प्रश्न : सबसे बड़ी देवी कौन है?
उत्तर : हिन्दुओं के शक्ति साम्प्रदाय में भगवती दुर्गा को ही दुनिया की पराशक्ति और सर्वोच्च देवता माना जाता है (शाक्त साम्प्रदाय ईश्वर को देवी के रूप में मानता है)। वेदों में तो दुर्गा का व्यापाक उल्लेख है, किन्तु उपनिषद में देवी "उमा हैमवती" (उमा, हिमालय की पुत्री) का वर्णन है। पुराण में दुर्गा को आदिशक्ति माना गया है।
प्रश्न : सबसे छोटी देवी कौन है?
उत्तर : मनसा देवी को भगवान शिव और माता पार्वती की सबसे छोटी पुत्री माना जाता है । इनका प्रादुर्भाव मस्तक से हुआ है इस कारण इनका नाम मनसा पड़ा। महाभारत के अनुसार इनका वास्तविक नाम जरत्कारु है और इनके समान नाम वाले पति महर्षि जरत्कारु तथा पुत्र आस्तिक जी हैं।
जानिये : दुर्गा पूजा कब से शुरू है ? कन्या पूजन कैसे करना चाहिए ?
Thankyou