स्कंदमाता की पूजा विधि, भोग, मंत्र, शुभ रंग व आरती
स्कंदमाता देवी का स्वरूप
स्कंदमाता देवी Skandamata Devi चार भुजाओं वाली हैं। उनकी दो भुजाओं में कमल पुष्प शोभायमान रहते हैं, एक भुजा में भगवान स्कंद (कार्तिकेय) विराजमान होते हैं और दूसरी भुजा से वे भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। इनका वाहन सिंह है और वे कमल पुष्प पर विराजमान रहती हैं, इसलिए इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है।
स्कंदमाता की कथा
पुराणों के अनुसार, जब त्रिलोक में महिषासुर का आतंक बढ़ गया था, तब सभी देवताओं ने भगवान शिव और पार्वती के पुत्र कार्तिकेय को सेनापति बनाकर दैत्यों का नाश करने के लिए भेजा। माँ पार्वती अपने पुत्र को युद्ध में भेजते हुए माँ का रूप धारण कर लीं और वे स्कंदमाता कहलाने लगीं। भगवान कार्तिकेय ने महिषासुर का वध किया और देवताओं को इस संकट से मुक्त कराया।
स्कंदमाता देवी का बीज मंत्र
स्कंदमाता देवी का बीज मंत्र
Maa Skandamata Mantra
ॐ देवी स्कंदमातायै नमः
या
देवी सर्वभूतेषु माँ रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
स्कंदमाता देवी का बीज मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं स्कन्दमाते दुर्गायै नमः
ॐ ह्रीं श्रीं स्कन्दमाते दुर्गायै नमः
स्कंदमाता की आरती
स्कंदमाता की आरती
Skandamata Mata Ki Aarti
Skandamata Mata Ki Aarti
ॐ जय जय स्कंदमाता, मैया जय स्कंदमातापरम सुखदाई मैया, परम सुखदाई मैया,
तुमसे सुख आता, ॐ जय जय स्कंदमाता
ॐ जय जय स्कंदमाता, मैया जय स्कंदमातापरम सुखदाई मैया, परम सुखदाई मैया,
तुमसे सुख आता,ॐ जय जय स्कंदमाता
शक्ति स्वरूपा माता,
मोक्ष नर पावे, मैया मोक्ष नर पावे,
द्वार तिहारे आये, द्वार तिहारे आये,
खाली नहीं जावे, ॐ जय जय स्कंदमाता
चारभुजाधारी माँ,
हस्त कमल सोहे, मैया हस्त कमल सोहेस्कंद संग में विराजे, स्कंद संग में विराजे,
छवि अति मन मोहे, ॐ जय जय स्कंदमाता
पंचम नवरातों में,
ध्यान भक्त करे, मैया ध्यान भक्त करेमनवांछित फल पावे, मनवांछित फल पावे,
कष्ट माँ तू ही हरे, ॐ जय जय स्कंदमाता
रूप निराले हैं माता,
जग गुणगान करे,मैया जग गुणगान करे,
कर दो कृपा हे मैया, कर दो कृपा हे मैया,
तुम्हरे द्वार खड़े, ॐ जय जय स्कंदमाता
विपदा हरती हो मैया,
जो मन से सुमिरे, मैया जो मन से सुमिरेसाधक नित हर्षावे, साधक नित हर्षावे,
जय जय माता कहे, ॐ जय जय स्कंदमाता
शिव योगी की शक्ति,
तुमको ही जग जाने, मैया तुमको ही जग जानेकार्तिकेय करे वंदन, कार्तिकेय करे वंदन,
माता ये जग माने, ॐ जय जय स्कंदमाता
तुम्हरी कृपा से धर्म,
हर पल ही जीते,मैया हर पल ही जीते, तुम्हारी इच्छा से भक्ता, तुम्हारी इच्छा से भक्ता,
भक्ति रस पीते, ॐ जय जय स्कंदमाता
स्कंदमाता की आरती,
जो मन से गावे, मैया जो मन से गावे,
भव बंधन से छूटे, भव बंधन से छूटे,
नित सुख वो पावे, ॐ जय जय स्कंदमाता
ॐ जय जय स्कंदमाता, मैया जय जय स्कंदमातापरम सुखदाई मैया, परम सुखदाई मैया, तुमसे सुख आताॐ जय जय स्कंदमाता
माँ स्कंदमाता करुणा, ममता और ज्ञान की देवी हैं। इनकी पूजा करने से साधक को आध्यात्मिक लाभ मिलता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। जो भी व्यक्ति स्कंदमाता देवी Skandamata Devi की आराधना करता है, उसे निश्चित रूप से माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है और सभी संकट दूर हो जाते हैं।
तुमसे सुख आता, ॐ जय जय स्कंदमाता
तुमसे सुख आता,ॐ जय जय स्कंदमाता
मोक्ष नर पावे, मैया मोक्ष नर पावे,
द्वार तिहारे आये, द्वार तिहारे आये,
खाली नहीं जावे, ॐ जय जय स्कंदमाता
हस्त कमल सोहे, मैया हस्त कमल सोहे
छवि अति मन मोहे, ॐ जय जय स्कंदमाता
ध्यान भक्त करे, मैया ध्यान भक्त करे
कष्ट माँ तू ही हरे, ॐ जय जय स्कंदमाता
जग गुणगान करे,मैया जग गुणगान करे,
कर दो कृपा हे मैया, कर दो कृपा हे मैया,
तुम्हरे द्वार खड़े, ॐ जय जय स्कंदमाता
जो मन से सुमिरे, मैया जो मन से सुमिरे
जय जय माता कहे, ॐ जय जय स्कंदमाता
तुमको ही जग जाने, मैया तुमको ही जग जाने
माता ये जग माने, ॐ जय जय स्कंदमाता
हर पल ही जीते,मैया हर पल ही जीते,
भक्ति रस पीते, ॐ जय जय स्कंदमाता
जो मन से गावे, मैया जो मन से गावे,
भव बंधन से छूटे, भव बंधन से छूटे,
नित सुख वो पावे, ॐ जय जय स्कंदमाता
स्कंदमाता की पूजा विधि
स्कंदमाता देवी की पूजा करने से भक्त को आध्यात्मिक और मानसिक शांति मिलती है।
पूजा विधि:
🔱 स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।🔱 पूजन स्थल पर देवी स्कंदमाता की प्रतिमा स्थापित करें।
🔱 जल से अभिषेक करें और सफेद पुष्प अर्पित करें।
🔱 घी का दीपक जलाएं और मंत्र जाप करें।
🔱 माता को केसर व दूध से बने प्रसाद का भोग लगाएं।
🔱 अंत में माँ की आरती करें और अपनी मनोकामना व्यक्त करें।
पूजन सामग्री:
🔱 गंगाजल, दूध, शुद्ध घी
🔱 सफेद फूल, कमल पुष्प
🔱 कपूर, दीपक, धूप
🔱 चंदन, रोली, अक्षत
🔱 फल, मिष्ठान्न
स्कंदमाता की उपासना के लाभ
🔱 माँ स्कंदमाता की उपासना करने से भक्त के जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
🔱 मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
🔱 रोग, भय और शत्रु बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
🔱 मोक्ष की प्राप्ति होती है और मनुष्य जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है।
स्कंदमाता देवी के लिए उपयुक्त रंग
स्कंदमाता की पूजा में सफेद और पीले रंग का विशेष महत्व होता है। सफेद रंग पवित्रता और शांति का प्रतीक है, जबकि पीला रंग बुद्धि और ज्ञान को दर्शाता है।
स्कंदमाता और ज्योतिषीय महत्व
स्कंदमाता देवी की पूजा गुरु ग्रह (बृहस्पति) से जुड़े दोषों को दूर करने में सहायक मानी जाती है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में गुरु कमजोर है या अशुभ फल दे रहा है तो उसे माँ स्कंदमाता की विशेष आराधना करनी चाहिए।
माँ स्कंदमाता करुणा, ममता और ज्ञान की देवी हैं। इनकी पूजा करने से साधक को आध्यात्मिक लाभ मिलता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। जो भी व्यक्ति स्कंदमाता देवी | Skandamata Devi की आराधना करता है, उसे निश्चित रूप से माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है और सभी संकट दूर हो जाते हैं।
स्कंदमाता फोटो | Skandmata Photo
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आगे पढ़े : नवरात्रि का छठा स्वरूप
स्कंदमाता की आरती से जुड़े सामान्य प्रश्न
प्रश्न: माँ स्कंदमाता की आरती का क्या महत्व है?
उत्तर: उस घर में शांति शांति, समृद्धि, और सुख का वास होता है जहाँ माँ स्कंदमाता की आरती की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माँ स्कंदमाता की कृपा से भक्तों को संतान सुख की प्राप्ति होती है। रोग और कष्ट दूर होते हैं
प्रश्न: माँ स्कंदमाता की आरती कैसे की जाती है?
उत्तर: अगर आप भी माँ स्कंदमाता की आरती कर रहे हैं तो विशेष रूप से इन बातों का ध्यान रखें। आरती के दौरान माँ स्कंदमाता की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं, फूल अर्पित करें और श्रद्धा से आरती गायें। इस आरती के माध्यम से माँ की महिमा का गुणगान किया जाता है।
प्रश्न: क्या स्कंदमाता आरती का कोई विशेष समय होता है?
उत्तर: वैसे तो आरती का समय सुबह या शाम को होने वाली पूजा के बाद हो सकता है, लेकिन नवरात्रि के दिनों में शाम की पूजा अर्चना के बाद स्कंदमाता की आरती करना अधिक शुभ और फलदायी माना गया है।
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