महर्षि वाल्मीकि जयंती पूरे भारत में मनाया जाने वाला एक हिन्दू त्यौहार है। वैसे तो ये त्यौहार पारंपरिक हिन्दू पंचांग का पालन करते हुए अपने समय अनुसार पड़ता है, पर ग्रेगोरिन कलेंडर के अनुसार, सितम्बर या अक्टूबर के महीनों में आता है।
युग प्रवर्तक 'भगवान वाल्मीकि जी' : वाल्मीकि जयंती कब है? valmiki jayanti kab hai वाल्मीकि जयंती कब है?
पंचांग के अनुसार, हर साल आश्विम माह की पूर्णिमा तिथि पर वाल्मीकि जयंती (Valmiki Jayanti 2025) मनाई जाती है। ऐसे में आज यानी 7 अक्टूबर को वाल्मीकि जयंती मनाई जा रही है। उनके द्वारा संस्कृत में लिखा गया रामायण महाकाव्य हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक है।
युग प्रवर्तक, आदि गीतकार, संगीतेश्वर एवं करुणासागर आदि कवि भगवान वाल्मीकि जी ने श्रीराम के चरित्र पर आधारित महाकाव्य श्री रामायण की रचना की। इस महाकाव्य की रचना उन्होंने संस्कृत भाषा में की इसलिए उनको संस्कृत काव्य का पितामह कहा जाता है।
इस महाकाव्य में 24000 श्लोक, 100 आख्यान, 500 सर्ग और उत्तर कांड सहित 7 कांडों की रचना की।
अपनी अमर कथा महाकाव्य रामायण में उन्होंने श्रीराम कथा द्वारा मानवीय सभ्यता के बारे में वैदिक साहित्य में वर्णित मजबूत और सुनहरी तथ्यों का ऐसा अद्भुत चित्र पेश किया है जो प्राचीन होते हुए भी नवीन है, सांसारित होते हुए भी दिव्य है और स्थायी मूल्यों से परिपूर्ण है।
उन्होंने इसकी रचना उस समय की मातृभाषा संस्कृत में की ताकि आदर्श जीवन के सिद्धांत आम लोगों तक पहुंच सकें क्योंकि समाज अपनी मातृभाषा की पकड़ में जल्दी आ जाता है।
इसका परिणाम यह निकला कि लोगों में नेक राह पर चलने का उत्साह बढ़ा। मानवीय जीवन और समाज में सुधार आया।
इस प्रकार समाज में परिवर्तन व लोगों को नेक राह पर अग्रसर करने वाले भगवान वाल्मीकि जी पहले क्रांतिकारी एवं समाज सुधारक थे।
उन्होंने सबसे पहले विश्व को शांति एवं अहिंसा का संदेश दिया।
समाज को मर्यादा में बांधने के लिए उन्होंने एक अमर कथा द्वारा मानवीय मूल्यों के उत्थान और समाज को सही दिशा की ओर मोड़ने का यत्न किया पर इस ओर मुड़ने से पहले एक बहुत ही दुखदायी घटना घटित हुई।
एक निर्दयी शिकारी ने तमसा नदी के तट पर बैठे क्रौंच पंछी के जोड़े में से नर पक्षी को बाण से मार दिया। इस दृश्य को देखकर भगवान वाल्मीकि जी का हृदय व्याकुल को उठा और उनके मुख से दुनिया का पहला शोक निकला :
मां निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः ।
यत्क्रौंचमिथुनादेकमवधी काममोहितम् ।।
(अर्थ : हे दुष्ट, तुमने प्रेम मे मग्न क्रौंच पक्षी को मारा है। जा तुझे कभी भी प्रतिष्ठा की प्राप्ति नहीं हो पायेगी और तुझे भी वियोग झेलना पड़ेगा।)
यहां प्रश्न एक पक्षी की हत्या का नहीं था, वास्तव में बात तो अत्याचार और अन्याय की थी। समाज की मर्यादा भंग हुई थी। भगवान वाल्मीकि जी ने जीवन के इस पक्ष के लिए एक दीपक के रूप में कार्य किया।
'महाकाव्य रामायण' में जहां उन्होंने श्रीराम के चरित्र द्वारा बड़ों की आज्ञा पालन, भातृप्रेम, शास्त्र विद्या, संगीत, राजनीति, विज्ञान आदि गुणों का वर्णन किया, वहीं उन्होंने मिथिला के राजा जनक की पुत्री माता सीता द्वारा पवित्रता, निष्ठा, समर्पण, साहस और स्त्रीत्व के आदर्श पेश किए जो राजा दशरथ की पुत्रवधू, श्री राम की धर्मपत्नी और लव तथा कुश की मां थीं।
लव और कुश दोनों भाई धर्म के ज्ञाता और वीर बालक थे। भगवान वाल्मीकि ने दोनों भाइयों को श्री रामायण का अध्ययन करवाया और साथ ही साथ संगीत तथा अस्त्र-शस्त्र की विद्या भी प्रदान की।
उन्होंने अपने पहले महान ग्रंथ 'श्री योगवशिष्ट' की रचना करके समाज का बड़ा उद्धार किया। इसमें उन्होंने मुक्ति की मंजिल तक पहुंचने के लिए राह में आने वाली सभी उलझनों एवं मुश्किलों का विस्तारपूर्वक वर्णन किया है। इस ग्रंथ में उन्होंने बताया है कि मानव को सांसारिक सुखों की कामना नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह तो हमेशा दुख से पैदा होता है। बाद में सुख, दुख में विलीन हो जाता है। मानव जीवन का मुख्य उद्देश्य मुक्ति की प्राप्ति है।
मुक्ति का अर्थ इच्छा और मोह का नाश। यही दुख का कारण है। जब इच्छा ही खत्म हो गई तो दुख भी स्वयं ही खत्म हो जाते हैं। यही मुक्ति है।
मानव जीवन का उद्देश्य केवल सांसारिक सुखों को उपभोग करना और सुखी जीवन व्यतीत करते हुए मर जाना नहीं है बल्कि अस्तित्व को पहचानना है।
भगवान वाल्मीकि जी ' श्री योगवशिष्ट' में कहते हैं कि मुक्ति तप करने से, दान करने से या फिर तीर्थ यात्रा करने से नहीं होगी - मुक्ति केवल ज्ञान प्राप्ति से ही संभव है। कल्याणकारी भगवान वाल्मीकि जी के हाथ से पकड़ी हुई कलम विद्या और ज्ञान प्राप्ति की ओर संकेत करती है।
अगर हमें कमलधारी वाल्मीकि जी की दयादृष्टि प्राप्त करनी है तो हमें कलम को ग्रहण करना होगा अर्थात ज्ञान प्राप्ति की राह पर अग्रसर होना पड़ेगा क्योंकि ज्ञान ही अज्ञानता के अंधकार को दूर करता है।
जानिये पति की दीर्धायु की कामना का पर्व करवा चौथ | करवाचौथ का चांद कब निकलेगा? |
आगे पढ़िए ... राम राम का सही अर्थ क्या है?
Thankyou