
पेरेंटिंग : बच्चों को हर चीज पर हां कहना सही नहीं होता। कई बार न कहना जरूरी होता है, ताकि वे सही-गलत समझ सकें और अनुशासन सीखें। लेकिन 'न' कहने का तरीका बहुत मायने रखता है। साइकोथेरैपिस्ट्स के अनुसार ये 4 कोमल और सही तरीके अपनाकर माता-पिता बच्चों को आसानी से मना कर सकते हैं -
स्पष्ट और शांत स्वर में 'न' कहें
बच्चों को डांटकर या चिल्लाकर 'न' कहने से वे जिद करेंगे। बेहतर है कि शांत और प्यार भरे स्वर में समझाएं - 'अभी चॉकलेट नहीं खा सकते, लेकिन रात के खाने के बाद खा सकते हो।'
विकल्प दें
जब आप किसी चीज के लिए 'न' कहें, तो बच्चों को एक विकल्प जरूर दें। इससे बच्चा निराश नहीं होगा। जैसे " आज बाहर खेलने नहीं जा सकते, लेकिन घर पर लूडो खेल सकते हैं।"
कारण बताएं
सिर्फ 'न' कहने की बजाय, उसके पीछे का कारण बच्चों को बताएं। बच्चे जब कारण समझते हैं तो आसानी से मान जाते हैं। जैसे-" ज्यादा मोबाइल देखने से आंखें खराब होती हैं, इसलिए अभी मोबाइल नहीं मिलेगा।"
नियम पहले से तय करें
घर में कुछ स्पष्ट नियम बना लें और बच्चों को पहले से बता दें। जैसे- "होमवर्क पूरा होने के बाद ही टी.वी. देख सकते हो।" इससे 'न' कहने की स्थिति कम बनेगी। 'न' कहना भी बच्चों की परवरिश का हिस्सा है। अगर माता-पिता शांत, कोमल और दू होकर 'न' कहेंगे तो बच्चें इसे अस्वीकार नहीं करेंगे और धीरे-धीरे अनुशासन व संयम सीखेंगे।
बच्चों से कभी न कहें ये बातें तुम किसी काम के नहीं हो
बच्चे से यह कहना बच्चे को अंदर तक तोड़ देता है। उसका कांफिडेंस पूरी तरह से खत्म हो जाता है। वह खुद को कमतर समझने लगता है। बच्चा चाहे कितना ही बड़ा हो जाए लेकिन अपने माता-पिता की नजर में हमेशा ऊपर ही रहना चाहता है, लेकिन अगर माता-पिता ही उससे ऐसी बातें कह देते हैं तो - वह खुद से भी नजरें नहीं मिला पाता।
बच्चों को इससे तकलीफ पहुंचती है। यह एक ऐसा वाक्य है जो किसी का भी दिल तोड़ सकता है और यह तो आपका ही बच्चा है। बच्चों को बाहरी दुनिया के प्यार से ज्यादा अपने पैरेंट्स का प्यार चाहिए होता है। चाहे दुनिया का कोई व्यक्ति उससे प्यार न करे लेकिन उसे यह पता होता है कि उसके पेरेंट्स उससे प्यार करते हैं, लेकिन अगर पेरेंट्स ही उसे यह कह देंगे कि वे उससे प्यार नहीं करते, तो बच्चे के लिए इस बात को भूल पाना मुश्किल हो जाता है। उसका दर्द गहराने लगता है।
तू ये जिंदगी में कभी कर ही नहीं सकता
ऐसा कहकर आप बच्चे के पंख काट देते हैं। उसका पूरा का पूरा कांफिडेंस टूट जाएगा। अगर दुनिया भी उसके खिलाफ हो और उसे बताए कि वह किसी काम में अच्छा नहीं है, लेकिन अगर पैरेंट्स उसके साथ हैं, उस पर भरोसा करते हैं, तो बच्चा हर मुश्किल से लड़ने की क्षमता खुद में ले आता है। ऐसे में पैरेंट्स का बच्चे की काबिलियत को नकार देना और यह कह देना कि वह कुछ नहीं कर सकता, बच्चे को आहत करता है।
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