भारत पढ़ाई के लिए सबसे अच्छी जगह क्यों है? why study in India? भारत में पढ़ाई किसी भी अन्य पश्चिमी देशों में पढ़ाई की तुलना में कहीं अधिक किफायती है। आप अपनी क्षमता के अनुसार उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। भारत में ट्यूशन फीस और रहने के खर्च की लागत संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम या कनाडा की तुलना में काफी कम है।
भारत में नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद से ही एक उम्मीद जागी है कि भारत एक बार फिर विश्व गुरु की भूमिका में होगा। भारत ने हमेशा से ही अपने बौद्धिक ज्ञान को साबित किया है। आने वाले सालों में एक बार फिर वैश्विक स्तर पर नई शिक्षा नीति का प्रभाव देखने को मिलेगा।
आज दुनिया का हर चौथा इंजीनियर भारतीय
देश की युवा आबादी को अच्छी शिक्षा और काम मिले तो ऐसी कोई परिस्थितियां नहीं हैं जो उनका रास्ता रोक सकें। ये पढ़ें: नौकरी का बेहतर स्कोप देता है इंजीनियरिंग क्षेत्र
किसी भी देश के विकास और समृद्धि के लिए शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। ये मानना था देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद का। जिनके सम्मान में या यूं कहें शिक्षा के लिए उनके समृद्ध समर्पण को ध्यान में रखते हुए 11 नंवबर 2008 को मानव संसाधन और विकास मंत्रालय ने उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया था। मौलाना आजाद के शिक्षा मंत्री रहते देश में कई महत्वपूर्ण शिक्षण संस्थानों की नींव रखी गई। ऐसे ही कुछ संस्थानों में से इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, पहले इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के नाम प्रमुख हैं। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन का गठन भी आपके प्रयासों से हुआ। भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद जी को वर्ष 1992 में देश के सबसे उच्च सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया था।
रचनात्मक हो स्टूडेंट्स की सोच
मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म साल 1888 में सऊदी अरब के मक्का में हुआ था। वे हमेशा इस बात पर जोर देते थे कि छात्रों को रचनात्मक होना चाहिए और उनके सोचने का ढंग बिल्कुल अलग होना चाहिए। उनका कहना था कि शिक्षाविदों को छात्रों के बीच प्रश्न पूछने की, रचनात्मकता और उद्यमशीलता के साथ ही नैतिक नेतृत्व की क्षमता का निर्माण करना चाहिए और स्वयं उनके लिए आदर्श बनना चाहिए।
महिला सशक्तिकरण के लिए शिक्षा को बताया पहली सीढ़ी
कलाम महिलाओं की शिक्षा के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने हमेशा ही इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्र के विकास के लिए महिला सशक्तिकरण एक आवश्यक और महत्वपूर्ण शर्त है। उनका मानना था कि महिलाओं के सशक्तिकरण से ही समाज स्थिर हो सकता है। साल 1949 में संविधान सभा में उन्होंने महिलाओं की शिक्षा के मुद्दे को उठाया था। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में और भी कई कार्य किए, उनके किए गए कार्य आज भी याद किए जाते हैं।

अब ग्लोबल डिजिटल टैलेंट हब बनने की तैयारी में हैं हम
देश के छात्रों को तकनीकी रूप से दक्ष बनाने के उद्देश्य से अभी हाल ही में केंद्र सरकार ने भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के साथ मिलकर एक अहम योजना बनाई है। जिसके अंर्तगत उच्च शिक्षा और स्नातक कर चुके 1 करोड़ से ज्यादा छात्रों को ड्रोन, रोबोट तकनीक सहित उभरती हुई ऐसी सभी तकनीक में प्रशिक्षित किया जाएगा, जिसकी वैश्विक स्तर पर भारी मांग है। इस लक्ष्य को वर्ष 2024 से पहले ही हासिल कर लिया जाएगा। एआईसीटीई के अनुसार, योजना का उद्देश्य देश को ग्लोबल डिजिटल टैलेंट हब बनाना है, ताकि छात्रों को पढ़ाई के तुरंत बाद रोजगार मिल सके।
शिक्षा के क्षेत्र में सबसे आगे है भारत
भारत में बढ़ते शिक्षा के स्तर का ही नतीजा है कि आज वैश्विक स्तर पर भारत शिक्षा प्रणाली की दृष्टि से दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है। भारत में आज 3.5 करोड़ से अधिक छात्रों को 50,000 से अधिक शिक्षण संस्थानों में शिक्षा प्रदान की जा रही है। वर्ष 1947 में जब भारत ने राजनैतिक स्वतंत्रता प्राप्त की उस समय शिक्षा के क्षेत्र में भारत के नागरिकों की स्थिति बहुत दयनीय थी। वर्ष 1950 में भारत की साक्षरता दर केवल 18 प्रतिशत थी। हालांकि उसी समय से भारत के नागरिकों को शिक्षित बनाने के उद्देश्य से कई कदम उठाए गए। भारत में शिक्षा के क्षेत्र को सुदृढ़ के उद्देश्य से कई निर्णय लिए गए, विशेष रूप से इंजीनियरिंग कॉलेज एवं मेडिकल कॉलेज की स्थापना के सम्बन्ध में लिए गए निर्णयों से आज इंजीनियर्स के मामले में भारत ने अमेरिका और चीन को भी पीछे छोड़ दिया है। आज दुनिया का हर चौथा इंजीनियर भारतीय है। नेशनल साइंस फाउंडेशन के साइंस और इंजीनियरिंग इंडीकेटर 2018 के अनुसार, दुनिया में साइंस और इंजीनियरिंग की 25 प्रतिशत डिग्री भारतीय छात्रों को दी जा रही है। आज भारत में राष्ट्रीय साक्षरता दर लगभग 80 प्रतिशत को पार कर गई है।
वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में भारत की 41 यूनिवर्सिटीज़
भारत में कई प्रतिष्ठित वैश्विक स्तर के संस्थान स्थान भी शामिल है जो भारत को उच्च तकनीक शिक्षा में विश्व में अग्रणी स्थान दिलाने में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं इसी कड़ी में लंदन के प्रतिष्ठित क्वाकवेरेली साइमंड्स (क्यूएस) वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में भारत के में कई विश्वविद्यालयों की स्थिति में बहुत सुधार हुआ है इस सूची में भारत के कुल 41 विश्वविद्यालयों ने अपनी जगह बनायी है।
युवा हैं बुलंद भारत की तस्वीर
भारत युवाओं का देश है। 2022 तक देश के युवाओं की मध्यम आयु 28 साल हो चुकी है। वहीं चीन और अमेरिका में मध्य आयु 37 साल। वहीं पश्चिमी यूरोप और जापान में यह क्रमशः 45 और 49 होगी। ऐसे में भारत के लिए यह सबसे बड़े अवसर का मौका है। दुनिया के कई देश इस बात के गवाह हैं कि युवा आबादी ने देश की तकदीर और तस्वीर बदल दी है।
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