Happy New Year सबसे पहले नव वर्ष दुनिया के किन इलाकों में होता है ? नए साल का स्वागत करने वाली पहली भूमि किरीटीमाती द्वीप और मध्य प्रशांत महासागर में 10 अन्य ज्यादातर निर्जन एटोल (प्रवाल द्वीप) हैं। किरिबाती गणराज्य के कुल 33 द्वीपों में से एक किरीटीमाती द्वीप हवाई द्वीप के लगभग सीधे दक्षिण में, देशांतर की एक ही रेखा के भीतर स्थित है - लेकिन यह नया साल उससे एक पूरे दिन पहले मनाता है।


सबसे अंत में नव वर्ष New Year कहां होता है ?
किरीटीमाती द्वीप, दक्षिण प्रशांत महासागर में किरिबाती के दक्षिण-पश्चिम में स्थित नीयू और अमेरिकी समोआ द्वीप विश्व में सबसे अंत में नव वर्ष का स्वागत करते हैं।
जनवरी से ही 'नया साल क्यों'
क्या आपने कभी सोचा कि नया साल जनवरी में ही क्यों आता है और दिसम्बर में ही खत्म क्यों होता है? नहीं न! तो आज इसी की जानकारी हासिल करते हैं।
साल की शुरूआत मार्च से होती थी
प्राचीन काल में अलग-अलग सभ्यताओं में अपने अलग कैलेंडर हुआ करते थे। मैक्सिकों में खुदाई में एजटैक सभ्यता से जुड़ा 'कैलेंडर स्टोन' भी मिला है।
पहले के दौर में जनवरी और फरवरी माह नहीं हुआ करते थे। साल की शुरूआत मार्च से होती और दिसम्बर में यह खत्म हो जाता था। प्राचीन काल में रोम में धार्मिक मान्यताएं बहुत ज्यादा हुआ करती थीं इसलिए ज्यादातर महीनों के नाम वहां के देवी-देवताओं के नाम पर ही थे। मार्च महीने का नाम एक रोमन देवता 'मार्स' के नाम पर पड़ा।
दरअसल, मार्स युद्ध के देवता हैं और वहां के लोगों की मान्यता थी कि मार्स युद्ध में आगे बढ़ने के लिए प्रेरणास्रोत थे और मार्च की शुरूआत से ही साल भी आगे की ओर बढ़ जाता है। मार्च के बाद
अप्रैल आता था जिसका अर्थ उद्घाटन करना होता है। उस समय वसंत का मौसम अप्रैल में ही आता था और उसी महीने में पेड़ भी अपनी पुरानी छालों और पत्तों को त्याग नए रूप का उद्घाटन करते हैं। वसंत में ही सबसे ज्यादा फूल भी खिलते है और प्रकृति नई-नवेली दुल्हन की तरह सज जाती है।
इसी तरह मई महीने का नाम रोमन देवी 'माइया' के नाम पर पड़ा, तो जून महीना 'जूनो' देवी के नाम पर पड़ा। जून के बाद के पांच से दसवें महीनों के नाम उनके अर्थ के नाम पर पड़े - किंवटिलिस (पांचवा), सैक्सटिलिस (छठा), सितम्बर (सातवां), अक्तूबर (आठवां), नवम्बर (नवां) और दिसम्बर (दसवां) ।
12 महीने का साल हुआ
लोकोक्तियों के अनुसार 700 ई.पू. में कैलेंडर में दो और महीने जनवरी व फरवरी जोड़े गए। जनवरी का नाम 'जेनस' देवता के नाम पर, तो फरवरी का नाम 'फेबुआ' देवी के नाम पर पड़ा। साल में 12 माह होने के बाद चंद्रमासों की जगह 365 दिनों के सौर वर्ष को आधार माना गया। उस कैलेंडर में दूसरा (अप्रैल), चौथा (जून), सातवां (सितम्बर) और नौवां (नवम्बर) महीना 30 दिन का जबकि वर्ष के अंतिम माह फरवरी को छोड़कर बाकी महीने 31 दिन के बनाए गए।
साल का अंतिम माह होने के कारण फरवरी को बचे हुए 28 दिन मिले।
46 ई.पू. में और सुधार हुए
उस कैलेंडर में प्रसिद्ध रोमन योद्धा जूलियस सीजर ने एक यूनानी खगोल शास्त्री सोसीजीनस के साथ मिलकर सुधार किए, 46 ई.पू. में यह सुधार किया गया जिसे जूलियस के नाम पर ही ' जूलियन रिफॉर्म्स' कहा गया।
जनवरी से साल की शुरूआत : New Year Start from January
जूलियस सीजर द्वारा कराए गए कैलेंडर रिफॉर्म्स में ही सबसे पहले जनवरी वर्ष की शुरूआत की गई।
जनवरी माह का नाम 'जेनस' देवता के नाम पर पड़ा, जिनके दो सिर हैं, एक आगे की ओर जिसे आगे बढ़ने का संकेत माना गया, जबकि दूसरा अपने अतीत के आईने की तरह समझा गया।
लीप ईयर की शुरूआत Starting of Leap Year
'जूलियन रिफॉर्म्स' के अंतर्गत ही यह माना गया कि सौर वर्ष में 365 दिन और 6 घंटे होते हैं इसलिए हर चौथे वर्ष में 6x4-24 घंटों का पूरा एक दिन बना जिसे 4 साल में एक बार फरवरी के माह में जोड़ा गया।
नया कैलेंडर 45 ई. पू. में तैयार हुआ
सभी सुधारों को करने के बाद 1 जनवरी 45 ईसा पूर्व से नए कैलेंडर की शुरूआत की गई। कुछ समय बाद नए कैलेंडर के सातवें महीने क्विटिलिस का नाम जूलियस सीजर के नाम पर जुलाई रखा गया। अगस्त महीने का नाम रोमन सम्राट आगस्टस सीजर के नाम पर पड़ा। 13वें ने वर्ष को 1582 ईस्वी में ग्रेगोरी पोप ने 365.2422 दिन का बताया, इसीलिए आज के कैलेंडर को 'ग्रेगोरियन कैलेंडर' कहा जाता है।
नव वर्ष की अनोखी परम्पराएं
अंतर्राष्ट्रीय मानक समय के अनुसार 3,15,36,000 सैंकेड का समय एक वर्ष के बराबर होता है। इसे 8760 घंटे या 5,25,600 मिनट के बराबर मान सकते हैं। प्राय: इस समय के बाद ही नव वर्ष का आगमन होता है तथा फिर एक बार समय की सूइयां अपनी गिनती अविराम रूप से शुरू कर देती हैं। विश्व एक और नव वर्ष का आयोजन धूमधाम से करने जा रहा है।
विश्व भर में नव वर्ष मनाने का अलग-अलग तरीका सदियों से प्रचलित है। कुछ लोग इसे त्यौहार के रूप में मनाते हैं तो कुछ पारम्परिक तरीके से मनाते हैं।
भारत में 1 जनवरी को नया साल मनाने की शुरुआत 15 अक्टूबर, 1582 से हुई थी. इस दिन को नए साल के रूप में मनाने की शुरुआत ग्रेगोरियन कैलेंडर की शुरुआत के साथ हुई थी. पोप ग्रेगरी ने जूलियन कैलेंडर में सुधार करके 1 जनवरी को नए साल का पहला दिन बताया था.
नया साल भारत में एक जनवरी को कब से मनाया जा रहा है?
भारत में 1 जनवरी को नया साल मनाने की शुरुआत 15 अक्टूबर, 1582 से हुई थी. इस दिन को नए साल के रूप में मनाने की शुरुआत ग्रेगोरियन कैलेंडर की शुरुआत के साथ हुई थी. पोप ग्रेगरी ने जूलियन कैलेंडर में सुधार करके 1 जनवरी को नए साल का पहला दिन बताया था.
भारत में कई धर्मों के लोग अलग-अलग तारीखों पर नया साल मनाते हैं:
ईसाई नववर्ष : 1 जनवरी को नया साल मनाने का चलन 1582 ईस्वी के ग्रेगोरियन कैलेंडर की शुरुआत के बाद हुआ.
हिंदू नववर्ष : चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी चैत्र नवरात्रि से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है.
पारसी नववर्ष : इसे जमशेदी नवरोज के नाम से भी जाना जाता है. पारसी धर्म को मानने वाले लोग नवरोज उत्सव के रूप में नया साल मनाते हैं.
जैन नववर्ष : दीपावली के अगले दिन जैन नववर्ष मनाया जाता है. इसे वीर निर्वाण संवत भी कहा जाता है.
पंजाबी नववर्ष : सिख धर्म के लोगों का नया साल बैसाखी पर्व 13 अप्रैल से शुरू होता है.
जापान में नव वर्ष New Year in Japan
भारत के दीपावली त्यौहार की तरह मनाते हैं। इस दिन लोग अपने घरों एवं गली-मोहल्लों की सफाई तथा मकानों का रंग-रोगन करते हैं। गृहणियां अपने घरों की सजावट आकर्षक ढंग से करती हैं तथा लोग सज-धजकर संगीत की लय पर नाचते-गाते हैं। नव वर्ष का प्रथम दिन डाकियों के लिए भी विशेष महत्व का होता है जब डाक में आए पत्र, कार्ड एवं उपहारों को प्राप्त करने पर पावक व्यक्ति डाकियों को भी कई उपहार देते हैं। मान्यता है कि नव वर्ष पर उपहार प्राप्त होने पर वर्ष भर उपहार मिलेंगे। इसी प्रकार वे पुराने वर्षों के कर्जों को नव वर्ष के दिन चुका देना अच्छा मानते हैं।
इंगलैंड में नव वर्ष New Year in England
इंगलैंड में मूलतः ईसाई धर्म की बहुलता होने से क्रिसमस के तुरंत बाद लोग नव वर्ष की तैयारियों में जुट जाते हैं। यहां के गिरिजाघरों में 31 दिसम्बर को रात के 11 बजे से घंटियां धीमे- धीमे तथा शोकपूर्ण आवाज में बजती हैं जो लोगों को बीते वर्ष में मरे संबंधियों और प्रियजनों की याद दिलाती हैं तथा माहौल शोकपूर्ण एवं गमगीन हो जाता है। इसके बाद ठीक 12 बजे एकदम घंटियां तेजी से तथा मधुर स्वर में बजने लगती हैं जो लोगों को नव वर्ष के प्रति उत्साह से भर देती हैं। इसके 'बाद शुरू होता है लोगों की मस्ती का दौर।
नव वर्ष के दिन घर का मुखिया खाने की मेज सजा कर उस पर एक बड़े कटोरे में सौंठ, अदरक एवं चाय से बना पेय रखता है। प्रत्येक परिजन उसमें से एक-एक "चम्मच पीकर एक-दूसरे के लिए मंगलमय भविष्य की कामना करता है। लंदन में 31 दिसम्बर की रात इमारतों पर भव्य रोशनी की जाती है और आतिशबाजी होती है।
अफ्रीकी देशों में नव वर्ष New Year in South African Countries
अफ्रीकी देशों में नव वर्ष का नजारा कुछ अलग होता है। यहां लोग 31 दिसम्बर को आग बुझा देते हैं तथा नए वर्ष के प्रथम दिन फिर जलाते हैं तथा इसके बाद खुशी एवं उत्साह से नव वर्ष का स्वागत करते हैं।
दक्षिण अफ्रीका New Year in South Africa
दक्षिण अफ्रीका में 'जुलू' जनजाति के लोग इस दिन अपने बेटे-बेटियों की शादी धूमधाम से करते हैं तथा शादी के बाद नवविवाहित जोड़ा निहत्थे खूंखार सांड से लड़कर अपने साहस एवं पराक्रम का परिचय देता है। इनके अनुसार इससे देवता प्रसन्न होते हैं तथा वर्ष भर खुशियां देते हैं।
यूनान New Year in Unan
यूनान में लोग नव वर्ष के दिन घरों के बाहर प्याज टांगते हैं। इसके पीछे मान्यता है कि इससे वर्ष भर समृद्धि बनी रहेगी।
यूगोस्लाविया में नव वर्ष New Year in Yugoslavia
यूगोस्लाविया में नव वर्ष के दिन सूअर के बच्चे की पूंछ का स्पर्श करने को सुख-समृद्धि का शुभ शगुन माना जाता है।
म्यांमार में नव वर्ष New Year in Myanmar
म्यांमार में नव वर्ष के उत्सव को तिजॉन कहते हैं। इस दिन प्रातः काल ही भगवान बुद्ध की मूर्तियों को सुगंधित जल से स्नान कराया जाता है तथा पूजा की जाती है। फिर एक-दूसरे पर पानी फेंकने का खेल खेला जाता है।
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