सर्दियों में पैरों के पंजे बहुत ठंडे पड़ जाते हैं और अनेक तरह के पापड़ बेलने पर भी गर्म नहीं होते। यह समस्या पुरुषों तथा युवाओं की अपेक्षा महिलाओं और बुजुर्गों में अधिक पाई जाती है। शारीरिक दृष्टि से पैर ठंडे तब होते हैं जब ऑक्सीजन और रक्त का संचार कम हो जाता है। रक्त संचार सुधरते ही यह समस्या समाप्त हो जाती है। हाथों की उंगलियां भी ठंड में इसी कारण ठिठुरती हैं।

गर्म तेल की मालिश :
मालिश हाथों-पैरों को गर्म रखने का सरल उपचारात्मक तरीका है। सरसों, तिल या नारियल के तेल को थोड़ा गर्म करके पैरों की मालिश करें। लगभग पांच मिनट तक एक पांव तथा उसके बाद दूसरे पांव की मालिश करें। सोने से पहले मालिश करके गर्म जुराबें पहन लें।
जलीय उपचार :
सोने से पहले पैर 15-20 मिनट तक गर्म पानी में डुबोए रखें। तौलिए से पोंछ कर गर्म जुराबें पहन लें। दिन में धूप में बैठ कर पैरों को पहले 2-3 मिनट तक ठंडे पानी तथा उसके बाद 2-3 मिनट गर्म पानी में डुबोए रखें। इस क्रिया को दिन में 3-4 बार दोहराएं।
पैरों की कसरत :
पैरों में रक्त संचार बढ़ाने के लिए कसरत आवश्यक है। पैरों के पंजों पर एक मिनट तक खड़े रहें, फिर धीरे-धीरे एड़ियां जमीन पर टिका लें। पैर सामने की ओर फैला कर पंजों को खींच कर धीरे-धीरे गोल घुमाएं।. एड़ियां उठाकर दस कदम पंजों कर चलें, फिर पंजे उठा कर 10-11 कदम एड़ियों पर चलें। दस मिनट तक इस क्रिया को सुबह-शाम दिन में दो बार करें।
एपसम साल्ट (मैग्नीशियम सल्फेट) का इस्तेमाल :
हाथ-पैर ठंडे होने का एक कारण शरीर में मैग्नीशियम की कमी भी हो सकती है। आधा कप एपसम सॉल्ट एक टब पानी में अच्छे से घोल कर उसमें पैर डुबो कर बैठे रहें। इस क्रिया को प्रतिदिन न करें। सप्ताह में पहले दो बार, फिर एक बार करें।
मैग्नीशियम से शरीर में विटामिन 'डी' का अवशोषण बढ़ जाता है। शरीर इस तत्व को अधिक लम्बे समय तक नहीं रोक सकता, अतः इसके लिए प्रतिदिन भोजन में इसे सम्मिलित करना आवश्यक है। इसके लिए सरसों का साग, शलगम, शकरकंद, तिल, अखरोट, बादाम आदि का सेवन बढ़ाएं। यह तत्व लहसुन और लाल मिर्च में भी होता है।
शरीर में लौह तत्व बढ़ाएं :
रक्त में हीमोग्लोबिन की कमी से शरीर में ऑक्सीजन की पूर्ति नहीं हो पाती। लौह तत्व की पूर्ति के लिए खजूर, सेब, आंवला, मेवे, पालक, मेथी, अलसी आदि का सेवन अधिक करें।
योग तथा व्यायाम :
योगासन तथा प्राणायाम का अभ्यास बहुत लाभकारी है। इस अभ्यास से रक्त दबाव ठीक रहेगा और हाथों-पैरों में रक्त संचार बढ़ जाएगा। कुर्सी पर बैठकर पैर सामने स्टूल पर रखें। पैरों को अधिक देर तक लटका कर नहीं बैठें।
लेखक
Pooja's Fashion World
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