मैमोग्राफी से स्तन में कैंसर की शुरुआती स्थिति का पता चल सकता है। महिलाओं में 80 से 85 प्रतिशत कैंसर एवं गांठ मालूम पड़ने का लगभग दो वर्ष पहले ही उच्च तकनीक मैमोग्राफी से पता चल जाता है। मैमोग्राफी से शुरुआती गांठ की जानकारी मिलने पर आगे के टैस्टों द्वारा जांच की जाती है, ताकि महिला का उचित इलाज हो सके। इस गांठ में कैंसर है या नहीं, इसका सोनोग्राफी, एम. आर. आई. या बायोप्सी द्वारा पता लगाया जा सकता है।

जांच कराने की दो विधियां प्रचलित हैं, पहली स्क्रीनिंग और दूसरी डायग्नॉस्टिक।
❤ स्क्रीनिंग मैमोग्राफी
उन महिलाओं की होती है जिन्हें कोई तकलीफ नहीं या कभी स्तन में दर्द महसूस होता हो और बना रहता हो। डायग्नॉस्टिक मैमोग्राफी उन महिलाओं की करनी पड़ती है, जिनके स्तनों में तकलीफ हो जैसे स्तन में स्राव या गांठ आदि।
❤ डिजीटल मैमोग्राफी
डिजीटल मैमोग्राफी में कम्प्यूटर की सहायता से स्तन में आए बदलाव को अच्छी तरह देखा और परखा जा सकता है। यह तकनीक काफी एडवांस है जिससे सूक्ष्म स्थिति की भी जानकारी मिल जाती है।
वैसे स्तन कैंसर की शुरुआती स्थिति का स्वयं स्तन परीक्षण या डॉक्टर द्वारा परीक्षण करवा कर भी पता लगाया जा सकता है। कोई भी संदेह होने पर डॉक्टर आगे जांच करवाते हैं।
❤ मैमोग्राफी तकनीक क्या है
इसमें अत्याधुनिक लो-एनर्जी एक्स-रे मशीन का इस्तेमाल होता है। स्तन को मशीन में नीचे स्थित एक्स-रे प्लेट पर सीधा रखा जाता है, फिर उसके ऊपर दूसरी प्लेट रखकर स्तन को हल्के से दबा कर एक्स-रे लिया जाता है। अक्सर अलग- अलग कोणों से स्तन के 3-4 एक्स-रे लिए जाते हैं। फिर स्पैशलिस्ट इनका बारीकी से परीक्षण कर रिपोर्ट देते हैं। मैमोग्राफी कराते समय स्तन में हल्का दर्द होता है, अतः परेशान न हों।
ध्यान दें
■ सभी महिलाओं को अपना पहला मैमोग्राफ 40 वर्ष की आयु के बाद कराना चाहिए और 50 वर्ष के बाद हर वर्ष कराना चाहिए।
■ मैमोग्राफी में देखी गई हर गांठ जरूरी नहीं कि कैंसर ही होगी।
■ महिलाओं को पीरियड शुरू होने के एक सप्ताह पहले या पीरियडके दौरान मैमोग्राफी नहीं करानी चाहिए क्योंकि इस दौरान स्तन में थोड़ी सूजन और एवं दर्द होता है।
■ मैमोग्राफी कराते समय शरीर पर पहले से कोई परफ्यूम, डिओडरैंट या पाऊडर का इस्तेमाल न करें क्योंकि एक्स- रे में धब्बे आ सकते हैं जिससे परीक्षण में भटकाव आ सकता है।
■ कपड़े ढीले पहन कर जाएं ताकि आसानी से वस्त्र ऊपर कर एक्स-रे कराया जा सके।
■ अगर आप हार्मोंस की कोई भी दवा लेती हैं तो परीक्षण से दो सप्ताह पूर्व उसे न लें ताकि रिपोर्ट ठीक आ सके।
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