क्या आपने कभी बैम्बू यानी बांस खाया है? जी हां, यह सवाल शायद आपको हैरान कर दे लेकिन यह सच है कि कई जगहों पर बांस को खाया जाता है। पांडा जैसे जानवर के अलावा इंसान भी इसे खाते हैं।
बैंबू के 'शूट्स' का सेवन स्टू, सूप, ग्रेवी, अचार और सलाद के तौर पर किया जाता है। बता दें कि एक पूरा दिन बांस को समर्पित है। दरअसल, 18 सितम्बर 'विश्व बांस दिवस' होता है।

साल 2009 में 'वर्ल्ड बैम्बू डे' को मनाने की शुरुआत 'वर्ल्ड बैम्बू ऑर्गेनाइजेशन' ने की थी। बांस के उपयोग व इसे उगाने व इस्तेमाल के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए यह दिन मनाया जाता है। बांस केवल खाने या चीजें बनाने केही काम नहीं आता, बल्कि इसके कई और फायदे भी हैं। यहां आपको बता रहे हैं इससे जुड़े कुछ दिलचस्प तथा रोचक तथ्य ।
सबसे तेजी से बढ़ने वाला पौधा :
पृथ्वी पर बांस सबसे तेजी से बढ़ने वाला पौधा है। बांस की कुछ प्रजातियां प्रतिदिन 1 मीटर से अधिक बढ़ सकती हैं। कोई दूसरा पौधा इतनी तेजी से नहीं बढ़ता। लकड़ी का अंतहीन स्रोत बांस इमारती लकड़ी यानी टिम्बर की आपूर्ति करता है। बांस के जंगल बाकी पेड़ों के जंगलों की तुलना में बहुत तेजी से विकसित होते हैं। ऑक्सीजन का स्रोत बांस अन्य पेड़ों से ज्यादा ऑक्सीजन पैदा करता है। बांस उनकी तुलना में 35 प्रतिशत अधिक ऑक्सीजन का उत्पादन करता है।
ग्रीनहाऊस गैसों को खत्म करता है बांस
बांस के पौधे भारी मात्रा में ग्रीनहाऊस गैसों को अवशोषित करते हैं। यह 'कार्बन सिंक' के तौर पर काम करता है। बांस जलाशय की तरह भी करता है काम बांस बरसात के मौसम में अपनी जड़ों तथा तनों में बड़ी मात्रा में पानी इकट्ठा कर सकता है और सूखा पड़ने के दौरान मिट्टी, नदियों और नालों में पानी भेजकर एक जलाशय के रूप में काम करता है।
बांस से जुड़ी मान्यताएं
बांस को वंश वृद्धि का प्रतीक माना जाता है। भारत सरकार ने इसे 'ग्रीन गोल्ड' का भी दर्जा दे रखा है। सरकार लोगों को बांस के पौधे लगाने के लिए प्रेरित कर रही है। घरों और दफ्तरों में बांस के पौधे रखने का चलन तेजी से बढ़ रहा है। ऐसी मान्यता है कि बांस के पौधे रखने से सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।
बांस पेड़ है या घास- 2017 में सुलझाई थी यह उलझन !
2017 से पहले जंगल के बाहर कहीं से भी बांस को काटना और उसे एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाना बेहद झमेले का काम था और इसके लिए राज्य सरकारों के वन विभाग की अनुमति की जरूरत पड़ती थी, जो आसानी से नहीं मिलती थी। इसका कारण था भारत का 90 साल पुराना एक घिसा- पिटा कानून ।
दरअसल विज्ञान के हिसाब से बांस एक पेड़ नहीं, घास है लेकिन 1927 के 'इंडियन फॉरेस्ट एक्ट' के अनुसार बांस को एक पेड़ माना गया था और जंगल में उगे बांस को छोड़ कर कहीं और से बांस काटना और उसे दूसरी जगह ले जाना वन विभाग की नजरों में गैर-कानूनी था।
2017 में कानून में संशोधन करके बांस को पेड़ों की श्रेणी से हटा दिया गया था, जिसके बाद अब जंगल के बाहर के इलाकों में भी बांस को उगाने या काटने पर किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं है। खास बातें
* यह एक सदाबहार, बारहमासी पौधा है।
* बांस 25-65 फुट तक पहुंच सकता है।
* तने खोखले होते हैं और व्यास में 8 इंच (20 सें.मी.) तक पहुंच सकते हैं।
* पौधे 100 साल तक जीवित रह सकते हैं। वे आमतौर पर अपने जीवन के अंत में खिलते हैं, बीज पैदा करते हैं और मर जाते हैं।
* वे 6,000 से अधिक वर्षों से मनुष्यों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
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