आज टैलीविजन यानी टी.वी. एक आम चीज है जो हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा है लेकिन अगर आज से लगभग 100 साल पहले की बात करें तो शायद ही किसी को इसके बारे में पता भी होगा।
वर्ष 1927 में टी.वी. के आविष्कार के 21 वर्ष बाद 1948 में भी अमरीका में केवल कुछ हजार लोगों के पास ही टी.वी. था लेकिन 1990 के दशक में आते-आते टी.वी. घर-घर में पहुंचने लगा। जब भी टैलीविजन के आविष्कार की बात आती है तो जो सबसे पहला नाम लिया जाता है, वह है जे. एल. बेयर्ड का लेकिन असल में ऐसा नहीं है। टैलीविजन के आविष्कारक कौन हैं, इस बात पर आज भी लोगों के बीच मतभेद हैं।
आविष्कार के श्रेय की कहानी
टैलीविजन के आविष्कार का श्रेय लेने का किस्सा भी दरअसल हवाई जहाज के आविष्कारकों के जैसा ही है, जिसके निर्माण में तो कई लोग लगे थे लेकिन जब यह बन कर तैयार हुआ तो मात्र कुछ लोगों को इसका श्रेय मिल पाया और बाकियों को भुला दिया गया।
फार्न्सवर्थ माने गए टी.वी. के जनक
अगर किसी एक को श्रेय देने की बात आए तो यह फिलो टी. फार्न्सवर्थ को मिलना चाहिए। इसका कारण है कि टैलीविजन के पूरे इलैक्ट्रॉनिक सिस्टम का पेटेंट उनके ही नाम पर है। फार्न्सवर्थ ने अपनी किशोरावस्था के दिनों में ही टैलीविजन पिक्चर्स के ट्रांसमिशन पर काम करना शुरू कर दिया था। वर्ष 1927 में 21 साल की उम्र में उन्होंने एक इलैक्ट्रानिक ट्रांसमीटर और रिसीवर का प्रदर्शन कर दिखाया। इसके द्वारा जो चित्र भेजा गया था, वह केवल एक वर्ग के बीच में खींची गई एक लकीर का था।

वर्ष 1930 में फार्न्सवर्थ ने इसके पेटेंट के लिए अप्लाई कर दिया लेकिन उनके साथ ही इस आविष्कार पर किसी और ने भी अपना दावा कर रखा था लेकिन आखिरकार फार्न्सवर्थ पेरैंटकर्त्ताओं को यह समझाने में सफल रहे कि इस आविष्कार पर दावा करने वाले लोगों में से कोई भी इसे 1931 से पहले नहीं बना पाया था। साथ ही उन्होंने 'वर्ल्ड टेलीविजन है' 21 नवम्बर पर विशेष
अपने स्कूल टीचर की मदद से यह भी साबित कर दिया कि इस आविष्कार का आइडिया उन्हें स्कूल के दौरान ही आया था और इस तरह 1935 में टैलीविजन के पूरे सिस्टम का पेटेंट फार्न्सवर्थ के नाम पर दिया गया इसलिए उनको ही टैलीविजन का जनक माना जाता है।
फिर जे. एल. बेयर्ड का नाम क्यों
अब मन में यह सवाल आ रहा होगा कि जॉन लागी बेयर्ड को टैलीविजन का आविष्कारक क्यों कहा जाता है ? असल में स्काटलैंड के रहने वाले बेयर्ड ने टैलीविजन ट्रांसमिशन का एक मैकेनिकल सिस्टम तैयार किया था, जिसे उन्होंने 1925 में टैस्ट किया और 1926 में इसे सबके सामने प्रदर्शित भी किया।

यह दुनिया की सबसे पहली हिलती-डुलती तस्वीर का ट्रांसमिशन था। इसके अलावा बेयर्ड ने 1925 में पहली बार किसी मनुष्य को लाइव ब्राडकास्ट करने का काम किया था। सबसे पहला कलर ट्रांसमिशन, ट्रांस अटलांटिक ट्रांसमिशन और स्टीरियोस्कोपिक ब्राडकास्ट भी बेयर्ड के संचालन में ही किया गया था।
यही वजह है कि जे. एल. बेयर्ड को टैलीविजन का आविष्कारक माना जाता है लेकिन असल में टैलीविजन के आविष्कारकों की फेहरिस्त काफी लम्बी है। शुरूआत में इस टी.वी. का रैजोल्यूशन 30 का था जोकि कुछ सुधारों के बाद 1939 में 240 तक पहुंच गया था। इसके कुछ ही समय बाद फिलो टी. फार्न्सवर्थ द्वारा निर्मित इलैक्ट्रानिक टैलीविजन का निर्माण शुरू हो गया, जिसने बेयर्ड के टैलीविजन को पीछे छोड़ कर चारों तरफ अपनी पैठ बना ली।
1920 में बना था मैकेनिकल टी.वी.
अब तक तुम यह तो समझ ही गए होंगे कि टी.वी. दो तरह का होता है, मैकेनिकल और इलैक्ट्रिकल। जब पहली बार 1920 में मैकेनिकल टी.वी. का आविष्कार किया गया, तब इसमें एक स्पाइरल पैटर्न में बने एक छेद में एक घूमने वाली डिस्क लगी होती थी। इसे बनाने वाले दो लोग थे, स्काटलैंड के जे. एल. बेयर्ड और अमरीकी चार्ल्स फ्रांसिस
जेंकिस, हालांकि इससे भी पहले एक जर्मन आविष्कारक पाल गॉटलिब निपको मैकेनिकल टी.वी. बना चुके थे।
1927 में बना पहला इलैक्ट्रिकल टी.वी.
वर्ष 1927 में दुनिया का पहला इलैक्ट्रिकल टैलीविजन बना। इसे बनाने वाले थे फिलो टेलर फॉन्सवर्थ । अपने स्कूल के वक्त से ही वह एक ऐसा सिस्टम बनाने की कोशिश कर रहे थे जो चलती-फिरती इमेजेज को कैप्चर कर उन्हें कोड में बदल सके और बाद में उन्हें रेडियो तरंगों के माध्यम से अलग-अलग डिवाइस में भेज सके।
काफी बदल चुका है टैलीविजन
इलैक्ट्रानिक टी.वी. कैथोड-रे टैक्नोलाजी पर आधारित होता है, जिसमें दो या इससे अधिक एनोड यानी पॉजिटिव टर्मिनल होते हैं। कैथोड नैगेटिव टर्मिनल होता है।
इसमें एक वैक्यूम ट्यूब लगी होती है, जिसमें यह इलैक्ट्रॉन रिलीज करता है। यह इलैक्ट्रॉन नैगेटिव चार्ज्ड होते हैं और पॉजिटिव चार्ज्ड एनोड की तरफ आकर्षित होते हैं। ये एनोड ट्यूब के अंतिम सिरे पर, जहां स्क्रीन लगी होती है, वहां पहुंच जाते हैं और स्क्रीन पर तस्वीरें दिखने लगती है। टेलीविजन स्क्रीन भी मामूली शीशे की नहीं बनी होती, इसे फास्फर से कोटेड किया जाता है। इसी पर इलैक्ट्रॉन इमेज को उभारते हैं।.
इसके बाद बदलते जमाने के साथ टी.वी. भी पूरी तरह बदल गया और इलैक्ट्रिक टी.वी. की जगह एल.सी.डी. टी.वी. ने ले ली और एल.सी.डी. टी.वी. से भी बेहतर पिक्चर क्वालिटी देने वाली एल.ई.डी. टी.वी. आ गए हैं। अब तो 4-के अल्ट्रा एच.डी. टी.वी. भी आने लगे हैं, हालांकि ये अभी महंगे हैं।
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