महाराष्ट्र के हिवरे बाजार गांव को आदर्श ग्राम का दर्जा मिला हुआ है। आदर्श ग्राम का मतलब ऐसे गांव से है, जिन्होंने अपने बूते देश में नई मिसाल कायम की है। गांव में 305 घर हैं, जिनमें से 80 करोड़पति हैं। हिवरे बाजार की ख्याति इस कदर है कि इस गांव के विकास के मॉडल पर कई डॉक्यूमैंट्री बन चुकी हैं। इस गांव को 'वॉटर मिरेकल' की श्रेणी में रखा गया है, जिसने जल संरक्षण और सिंचाई की सुविधा का भरपूर इस्तेमाल कर लोगों को विपन्न से संपन्न बना दिया।

यह महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में है, जिसे भारत का सबसे अमीर गांव कहा जाता है। पूरे गांव को साथ लेकर चलने और कृषि पर जोर देने से वहां की जी.डी.पी. बढ़ गई। गांव में गरीबी खत्म हो गई और शहरों की तरफ जो पलायन होता था, वह रुक गया। अब लोग गांव में रुककर ही खेती-गृहस्थी करते हैं। यहां तक कि जो लोग गांव छोड़कर शहर चले गए थे, वे भी गांव लौट आए हैं। गांव के सरपंच पोपट राव पवार का नाम देश के उन लोगों में गिना जाता है जिन्होंने अपनी बदौलत पूरे गांव की तस्वीर बदल दी। आसपास के लोग अब उनसे सीख लेकर खेती-किसानी में नए-नए प्रयोग कर रहे हैं।
दशकों पहले हिवरे बाजार भी दूसरे गांवों की तरह खुशहाल था। 1970 के दशक में ये गांव अपने हिंद केसरी पहलवानों के लिए प्रसिद्ध था मगर हालात बिगड़े और बिगड़ते चले गए। सरपंच पोपट राव बताते हैं कि हिवरे बाजार 80-90 के दशक में भयंकर सूखे से जूझा। पीने के लिए पानी नहीं बचा। कुछ लोग अपने परिवारों के र साथ पलायन कर गए।
गांव में महज 93 कुएं थे। जलस्तर भी 82-110 फुट पर पहुंच गया लेकिन फिर लोगों ने खुद को बचाने की कवायद शुरू की और साल 1990 में 'ज्वाइंट फॉरेस्ट मैनेजमैंट कमेटी' बनाई गई। इसके तहत गांव में कुआं खोदने और पेड़ लगाने का काम श्रमदान के जरिए शुरू किया गया। कमेटी ने गांव में उन फसलों को बैन कर दिया, जिनमें ज्यादा पानी की जरूरत थी। गांव में अब 340 कुएं हैं, ट्यूबवैल खत्म हो गए हैं और जलस्तर 30-35 फुट पर आ गया है।
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