सत्येन्द्रनाथ टैगोर : आप देश के पहले राष्ट्रपति या पहले प्रधानमंत्री का नाम जानते होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिविल सेवा परीक्षा पास करने वाले पहले भारतीय कौन थे ? वह नोबेल पुरस्कार विजेता रबीन्द्रनाथ टैगोर के दूसरे बड़े भाई सत्येन्द्रनाथ टैगोर थे।
भारत को आजादी मिलने से कई साल पहले ही सत्येन्द्रनाथ टैगोर ने सिविल सेवा परीक्षा पास कर ली थी।
अंग्रेज देश पर शासन कर रहे थे और भारतीयों को आम तौर पर कई वर्षों तक सिविल सेवा परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं थी, लेकिन टैगोर ने अपने स्किल और नॉलेज के दम पर उस परीक्षा को पास किया था। कई वर्षों तक भारतीयों को ब्रिटिश सरकार के शीर्ष पदों पर काम करने की अनुमति नहीं थी। 1832 में उन्होंने
पहली बार भारतीयों को मुंसिफ और सदर अमीन पदों पर चयनित होने की अनुमति दी।
बाद में उन्हें डिप्टी मैजिस्ट्रेट या कलैक्टर के पद पर भी नियुक्त किया जाने लगा। इसके * लिए 1861 में भारतीय सिविल सेवा अधिनियम पेश किया गया। हालांकि, भारतीयों के लिए यह आसान नहीं था। परीक्षा में शामिल होने के लिए लंदन जाना पड़ता था और पाठ्यक्रम में ग्रीक तथा लैटिन भाषाएं शामिल थीं। अधिकतम आयु सीमा केवल 23 वर्ष थी जिसे बाद में घटाकर 19 वर्ष कर दिया गया।
जून 1842 में जन्मे सत्येन्द्रनाथ टैगोर बचपन से ही मेधावी छात्र थे। फर्स्ट डिविजन प्राप्त करने के बाद प्रैसीडेंसी कॉलेज, कोलकाता में चयनित होकर उन्होंने अपनी योग्यता साबित की।
टैगोर ने अपने मित्र मोनोमोहन घोष के साथ मिलकर परीक्षा पास करने का प्रयास करने का निर्णय लिया।
दोनों ने लंदन जाकर परीक्षा की तैयारी की और पेपर दिए । घोष सफल नहीं हो सके लेकिन टैगोर का 1863 में चयन हो गया। उन्होंने प्रशिक्षण पूरा किया और 1864 में भारत वापस आ गए। उन्हें सबसे पहले बॉम्बे प्रैसीडेंसी में नियुक्ति मिली और बाद में उन्हें अहमदाबाद में सहायक कलैक्टर/मैजिस्ट्रेट बनाया गया। उन्होंने 30 वर्षों तक सेवा की और 1896 में सतारा, महाराष्ट्र से न्यायाधीश के रूप में रिटायर हो गए।

भारत में सिविल सर्विसिज परीक्षा की शुरुआत 1922 में हुई थी। तब उसका नाम इंडियन इंपीरियल सर्विसिज हुआ करता था। बाद में इसे सिविल सर्विसिज कर दिया गया।
अगला दिलचस्प आर्टिकल पढ़ें > हिंदमहासागर की रोचक बातें >>>
Thankyou