
गंगा जी का जन्मोत्सव - गंगा दशहरा
ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दसवीं तिथि को भगवती गंगा का जन्म उत्सव गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गंगा स्नान से दस पापों का नाश होता है। दशहरा का तात्पर्य है – दश (10) प्रकार के पापों का हरण।
गंगा दशहरा पर किन पापों से मुक्ति मिलती है?
शास्त्रों के अनुसार, 10 प्रकार के पापों को तीन वर्गों में बांटा गया है:
- शारीरिक पाप (3): चोरी करना, हिंसा करना, परस्त्रीगमन।
- वाचिक पाप (4): कठोर बोलना, निंदा, प्रलाप, झूठ बोलना।
- मानसिक पाप (3): दूसरों की संपत्ति की इच्छा, हानि की भावना, नकारात्मक सोच।
गंगा दशहरा के दिन गंगा में स्नान करने से इन पापों का नाश होता है। अगर गंगा में स्नान संभव न हो, तो गंगाजल से या नाम स्मरण से भी पुण्य की प्राप्ति होती है।
गंगा दशहरा कब है ? Ganga Dashara Kab Hai ?
हिंदू पंचांग के अनुसार, गंगा दशहरा का पर्व हर वर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन मां गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं
गंगा दशहरा क्यों मनाया जाता है?
गंगा दशहरा हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र पर्व है, जिसे भगवती गंगा के पृथ्वी पर अवतरण के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह पर्व ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को आता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन गंगा नदी स्वर्ग से धरती पर उतरी थीं ताकि राजा सगर के 60,000 पुत्रों की आत्मा को मुक्ति मिल सके।
गंगा दशहरा केवल एक पर्व नहीं, बल्कि हमारे धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय मूल्यों का प्रतीक है। यह दिन हमें गंगा की पवित्रता, उसकी उपयोगिता और आध्यात्मिक शक्ति का स्मरण कराता है। इस दिन किए गए स्नान, दान और प्रार्थना से जीवन में सकारात्मकता, शुद्धता और पुण्य की प्राप्ति होती है।
गंगा दशहरा मनाने के मुख्य कारण:
राजा भगीरथ के कठिन तप से प्रसन्न होकर गंगा माता स्वर्ग से शिवजी की जटाओं में आईं और फिर धरती पर उतरीं। यह अवतरण ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को हुआ था, इसलिए इस दिन को "गंगा दशहरा" कहा जाता है।
पापों का नाश:
शास्त्रों के अनुसार, इस दिन गंगा में स्नान करने से 10 प्रकार के पापों का नाश होता है — 3 शारीरिक, 4 वाचिक और 3 मानसिक।
आध्यात्मिक शुद्धि:
गंगा जल को अमृत तुल्य माना गया है। इस दिन स्नान, दान और गंगा स्तुति से आत्मा की शुद्धि होती है।
सकारात्मक ऊर्जा और मोक्ष:
माना जाता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पाप नष्ट होकर व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
गंगा स्नान के दस पवित्र योग
जिन योगों में स्नान करने से गंगा दशहरा अधिक फलदायी होता है, वे हैं:
- ज्येष्ठ मास
- शुक्ल पक्ष
- दशमी तिथि
- बुधवार
- हस्त नक्षत्र
- ययाति योग
- गर योग
- आनंद योग
- कन्या राशि में चंद्रमा
- वृषभ राशि में सूर्य
गंगा अवतरण की पौराणिक कथा
प्राचीन काल में राजा सगर ने गंगा को पृथ्वी पर लाने का संकल्प लिया। उनके 60,000 पुत्रों ने यज्ञ के लिए घोड़ा खोजते हुए पाताल लोक तक खुदाई की, जहाँ महर्षि कपिल की समाधि भंग होने पर वे भस्म हो गए।
राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों की आत्मा की मुक्ति के लिए गंगा को पृथ्वी पर लाने की कठिन तपस्या की। ब्रह्मा जी ने कहा कि गंगा का वेग सिर्फ भगवान शिव ही सहन कर सकते हैं। तब भगीरथ ने शिवजी को प्रसन्न किया और शिवजी ने गंगा को अपनी जटाओं में धारण किया।
गंगा जी अंततः पृथ्वी पर अवतरित हुईं और राजा सगर के पुत्रों की आत्मा को मुक्ति मिली। यही कारण है कि गंगा दशहरा को विशेष रूप से पवित्र और पुण्यदायी माना जाता है।
घर पर गंगा स्नान का महत्व
यदि कोई गंगा में स्नान न कर सके तो घर पर स्नान के समय गंगा का ध्यान, नाम जप और गंगा स्तुति करके भी पुण्य प्राप्त किया जा सकता है।
गंगा दशहरा FAQs
Q. गंगा दशहरा कब मनाया जाता है?
Ans. ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को।
Q. गंगा दशहरा का महत्व क्या है?
Ans. इस दिन गंगा स्नान से दस पापों का नाश होता है।
Q. क्या घर पर गंगा स्नान संभव है?
Ans. हाँ, गंगा नाम स्मरण से भी पुण्य मिलता है।
Q. गंगा अवतरण किसने कराया?
Ans. राजा भगीरथ ने तप करके गंगा को पृथ्वी पर लाय।
निष्कर्ष
गंगा दशहरा एक ऐसा पर्व है जो आत्मशुद्धि, पाप नाश और मोक्ष प्राप्ति के मार्ग को प्रशस्त करता है। इस दिन गंगा स्नान, दान और संकल्प का विशेष महत्व है।
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