
अंग्रेजों से भारत को गुलामी की जंजीरों से मुक्त करवाने के लिए कई प्रयास हुए जिसमें 1857 में नौजवानों द्वारा किया एक बड़ा प्रयास था, जिसे प्रथम स्वाधीनता संग्राम के नाम से जाना जाता है। इस विद्रोह की शुरुआत 10 मई को मेरठ से हुई थी और जल्दी ही क्रांति की चिंगारी समूचे उत्तर भारत में फैल गई। विदेशी सत्ता का खूनी पंजा तोड़ने के लिए भारतीय जनता ने जबरदस्त संघर्ष किया और अपने खून से त्याग और बलिदान की अमर गाथा लिखी।
इस स्वतंत्रता संग्राम को सफल बनाने के लिए तात्या टोपे ( Tatya Tope ) , रानीं लक्ष्मीबाई ( Rani laxmi bai ), मंगल पांडे ( Mangal Pandey ) जैसे लोगों ने अपनी सारी ताकत लगा दी थी। इस रक्तरंजित और गौरवशाली संग्राम में भाग लेने वाले सेनानियों में तात्या टोपे ( Tatya Tope ) की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण, प्रेरणादायक और बेजोड़ थी। इनकी युद्ध करने की नीति और चतुराई से यह अक्सर अंग्रेजों के चुंगल में आने से बच जाते थे। एक जगह से युद्ध में नाकामयाब होने पर वह दूसरे युद्ध की तैयारी में जुट जाते थे। उनके इस रवैये से अंग्रेजों की नाक में दम हो गया था।
तात्या टोपे ( Tatya Tope ) का वास्तविक नाम रामचंद्र पांडुरंग येवलकर था, लेकिन सब इनको प्यार से तात्या ही कहते थे। भारत के इस महान स्वतंत्रता सेनानी का जन्म 16 फरवरी, 1814 को महाराष्ट्र में नासिक के पास पटौदा जिले के एक छोटे से गांव येवला के ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
इनके पिता का नाम पाण्डुरंग र्त्यम्बक भट्ट था, जो महान राजा पेशवा बाजीरावं द्वितीय के यहां कार्य करते थे। इनकी माता का नाम रुक्मिणी बाई था जोकि धार्मिक विचारों वाली गृहणी थीं।
जब झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, नाना साहब पेशवा, राव साहब जैसे योद्धा' वीरगति को प्राप्त हो गए, तब वह लगभग एक साल तक अंग्रेजों के विरुद्ध लगातार संघर्ष करते रहे
इनकी शिक्षा मनुबाई (रानी लक्ष्मीबाई) के साथ हुई और जब बड़े हुए तो पेशवा बाजीराव ने तात्या को अपने यहां मुंशी के रूप में कार्य दिया। तात्या टोपे ( Tatya Tope ) आजीवन अविवाहित रहे।
पेशवा जी ने जो भी जिम्मेदारी दी, उसे तात्या ने बखूबी संभाला और राज्य के एक भ्रष्टाचारी कर्मचारी को पकड़ा, तो पेशवा ने खुश होकर उन्हें अपनी एक बेशकीमती टोपी देकर सम्मानित किया जिससे इनका नाम तात्या टोपे पड़ गया।
अंग्रेजों ने पेशवा, की मृत्यु के बाद उनके गोद लिए पुत्र नाना साहब को उनका उत्तराधिकारी 'मानने से इंकार कर दिया। अंग्रेजों के इस निर्णय से नाना साहब और तात्या काफी नाराज हुए और इन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ रणनीति बनानी शुरू कर दी।
1857 में ही जब देश में स्वतंत्रता के लिए संग्राम शुरू हुआ तो इन दोनों ने उसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। नाना साहब ने तात्या टोपे ( Tatya Tope ) को अपनी सेना की जिम्मेदारी देते हुए उनको अपनी सेना का सलाहकार मानोनित किया।
अंग्रेजों ने जब 1857 में ब्रिगेडियर जनरल हैवलॉक के नेतृत्व में कानुपर पर हमला किया तो नाना की हार हो गई।
इसके बाद 1857 में ही जब जंग शुरू हुई तब तात्या ने 20000 सैनिकों के साथ मिलकर अंग्रेजों को कानपुर छोड़ने को मजबूर कर दिया।
1857 में अंग्रेजों के खिलाफ हुए विद्रोह में रानी लक्ष्मीबाई ने भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। इससे नाराज होकर अंग्रेजों ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के गोद लिए पुत्र को भी उनकी संपत्ति का वारिस नहीं माना और झांसी पर आक्रमण कर दिया।
लक्ष्मीबाई ने तात्या से सहायता मांगी तो तात्या ने 15000 सैनिकों की टुकड़ी झांसी भेजी। इस युद्ध में रानी लक्ष्मीबाई 'वीरगति को प्राप्त हुईं।
तात्या टोपे ( Tatya Tope ) ने अपने सम्पूर्ण जीवन में अंग्रेजों के खिलाफ करीब 150 युद्ध पूरी वीरता के साथ लड़े थे। तात्या टोपे ( Tatya Tope ) ने विध्या की खाई से लेकर अरावली पर्वत श्रृंखला तक अंग्रेजों से गुरिल्ला पद्धति से युद्ध किया था। कई बार उन्हें हार का सामना भी करना पड़ा लेकिन वह कभी पकड़े नहीं जा सके थे।
राजा मानसिंह ( Raja Maan Singh ) ने राजगद्दी के लालच में धोखे से अंग्रेजों को इनके छुपने की गुप्त सूचना दे दी, जिससे 7 अप्रैल, 1859 को इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। 15 अप्रैल को तात्या टोपे का कोर्ट मार्शल किया गया, जिसमें उन्हें मौत की सजा सुनाई गई।
18 अप्रैल को शिवपुरी में तात्या टोपे ( Tatya Tope ) को सायं 5 बजे सैंकड़ों की तादाद में मौजूद लोगों के बीच फांसी पर चढ़ा दिया गया। फांसी के समय तात्या टोपे के चेहरे पर किसी तरह की शिकन या निराशा के भाव नहीं थे। फांसी दिए जाने के दौरान उनका चेहरा दृढ़ता से भरा दिख रहा था।
आजादी के संघर्ष में तात्या टोपे ( Tatya Tope ) द्वारा किए गए कार्य के लिए भारत सरकार ने इनके सम्मान में एक डाक टिकट भी जारी किया था। 2016 में संस्कृति एवं पर्यटन तथा नागर विमानन मंत्री ने 200 रुपए का स्मरणीय और 10 रुपए का प्रसार सिक्का जारी किया। उत्तर प्रदेश के कानपुर में तात्या टोपे का एक स्मारक बना हुआ है।
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