दूरदर्शी, तर्कशील, दयालु सतगुरु रविदास महाराज जी, जानिए गुरु रविदास जयंती कब है guru ravidas jayanti kab hai गुरु रविदास जयंती, माघ महीने में पूर्णिमा के दिन पर मनाया जाने वाला गुरु रविदास का जन्मदिवस है। यह रैदास पंथ धर्म का वार्षिक केंद्र बिंदु है। जिस दिन अमृतवाणी गुरु रविदास जी को पढ़ी जाती है, और गुरु के चित्र के साथ नगर में एक संगीत कीर्तन जुलूस निकाला जाता है।
जानिए गुरु रविदास जयंती कब है guru ravidas jayanti kab hai
इस साल संत रविदास जयंती 1 फरवरी 2026 को है। संत रविदास ने रविदासिया पंथ की स्थापना की थी। इन्हें संत शिरोमणि की उपाधि दी गई थीं।

दूरदर्शी, तर्कशील, दयालु सतगुरु रविदास महाराज जी
उच्चकोटि के विद्वानों और इतिहासकारों की खोज के अनुसार, सतगुरु रविदास महाराज जी का जन्म 15 जनवरी, 1376 ई. अर्थात 1433 विक्रमी माघ शुक्ल पूर्णिमा दिन रविवार को काशी, बनारस (उत्तर प्रदेश) में हुआ। विद्वानों का मानना है कि बनारस संसार का कल्याण करने वाले महादेव शंकर की धरती है। भले 'ही गुरु रविदास महाराज जी जात- पात, ऊंच-नीच, भेदभाव को नहीं मानते थे लेकिन भारत में जाति व्यवस्था की जड़ें इतनी गहरी और मजबूत हैं, जिससे इंकार नहीं किया जा सकता :
कर्म बंधन में बंध रहियो,
फल की न तज्जियो आस,
कर्म मानुष का धर्म है,
सत भाखै रविदास।
गुरु रविदास महाराज जी के पिता का नाम श्री संतोख दास जी उर्फ रघु (राघव) जी और माता जी का नाम श्रीमती कर्मा उर्फ कलसा देवी जी था। सतगुरु रविदास महाराज जी ने कुदरत की रजा में राजी रहते हुए जहां अपने पैरोकारों को अपने हाथों से कर्म करते हुए ध्यान परमात्मा के चरणों के साथ जोड़े रखने की प्रेरणा दी, वहीं उन्होंने सामाजिक बुराइयों के खिलाफ तीखा संघर्ष जारी रखा।
गुरु रविदास महाराज जी के संघर्ष के चलते ही उस समय के शक्तिशाली, अहंकारी, वर्ण व्यवस्था के धारणी राजाओं को भी सतगुरु रविदास महाराज जी के चरणों में नतमस्तक होकर अपने आप में बदलाव लाकर गुरु जी की विचारधारा को आगे बढ़ाने का प्रण लेना पड़ा।
सतगुरु रविदास महाराज जी हर - रोज सुबह सूर्य उदय होने से चार घंटे पहले उठकर परमात्मा का ध्यान करते, उसके बाद सुबह से लेकर शाम तक कार्य करते, जिससे वह अपने घर-परिवार की रोजी-रोटी चलाते थे।
शाम के समय वह हर रोज कुछ समय परमपिता परमात्मा की स्तुति में शब्द-कीर्तन, गीत गाते और उसके बाद अपने साथियों, अपने उपासकों और आस-पड़ोस के लोगों के साथ विचार चर्चा तथा सामाजिक बुराइयों के खिलाफ प्रचार-प्रसार करते।
गुरु रविदास जी के समय में मुख्य रूप में सामाजिक बुराइयों, ऊंच-नीच, भेदभाव, अनपढ़ता, बाल विवाह, सती प्रथा, विधवा से भेदभाव, दाज-दहेज, बली प्रथा आदि का बोलबाला था।
इन सभी बुराइयों के खिलाफ सतगुरु रविदास महाराज जी ने प्रचंड लहर चलाई, जिसके परिणामस्वरूप आप के नाम की चर्चा दूर-दूर तक फैल गई, जिसके चलते देश के हर कोने से दबे-कुचले गरीब लोग उनकी विचारधारा के साथ जुड़ गए और इकट्ठ के रूप में गुरु जी के नेतृत्व - में अत्याचार के खिलाफ लड़ने के लिए एक लड़ी में पिरोए गए।
ऐसे महापुरुष सतगुरु रविदास महाराज जी भारत की धार्मिक संस्कृति के ऐसे महान रहबर हुए, जिनके गुरु रामानंद और उनकी शिष्य मीरा बाई का दुनिया में नाम हुआ।
श्री गुरु रविदास महाराज जी पर्यावरण संबंधी इतने सचेत थे कि वह जहां शिकारियों को जानवरों को मारने से रोकते, वहीं पेड़-पौधों व जंगलातों की बेतहाशा कटाई करने वाले लक्कड़हारों को भी ऐसा करने से रोकते थे।
ऐसे दूरदर्शी, तर्कशील, दयालु, बेमिसाल हौसले के मालिक सतगुरु रविदास महाराज जी के 648वें जन्मोत्सव के संबंध में पूरे विश्व में कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।
सतगुरु रविदास महाराज जी के जीवन से मार्गदर्शन लेते हुए उनकी विचारधारा पर पहरा देते हुए समय की सबसे अधिक जरूरत है कि सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ व्यावहारिक रूप से और पर्यावरण की देखरेख के लिए योजनाबद्ध ढंग से युद्ध स्तर पर कार्य किया जाए।
FAQs.
Q. गुरु रविदास जी किसकी पूजा करते थे?
Ans. उनका विश्वास था कि राम, कृष्ण, करीम, राघव आदि सब एक ही परमेश्वर के विविध नाम हैं। वेद, कुरान, पुराण आदि ग्रन्थों में एक ही परमेश्वर का गुणगान किया गया है। कृस्न, करीम, राम, हरि, राघव, जब लग एक न पेखा।
Q. संत रविदास जी का जन्म कब और कहां हुआ था?
Ans. माना जाता है कि रविदास जी का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में माघ पूर्णिमा को वर्ष 1377 में हुआ था। इसी कारण से माघ पूर्णिमा की शुभ तिथि पर रविदास जयंती का पर्व हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है।Q. रविदास जयंती क्यों मनाई जाती है?
Ans. गुरु रविदास जयंती 15वीं शताब्दी के पूज्य संत और कवि गुरु रविदास के जन्म की याद में मनाई जाती है, जिन्हें भक्ति आंदोलन में उनके योगदान और समानता और सामाजिक न्याय पर उनकी शिक्षाओं के लिए जाना जाता है.Q. संत रविदास जयंती 2025 कब है?
Ans. ऐसे में इस बार माघ पूर्णिमा यानी बुधवार, 1 फरवरी, 2026 को गुरु रविदास जयंती मनाई जाएगी.
Q. रविदास जयंती में हम क्या करते हैं?
Ans. अमृतवाणी गुरु रविदास जी को पढ़ी जाती है, और गुरु के चित्र के साथ नगर में एक संगीत कीर्तन जुलूस निकाला जाता है। इसके अलावा श्रद्धालु पूजन करने के लिए नदी में पवित्र डुबकी लगाते हैं, उसके बाद भवन में लगी उनकी छवि पूजी जाती है।Q. संत रविदास पिछले जन्म में कौन थे?
Ans. संत रविदास जी महाराज इस जन्म से पूर्व एक ब्राह्मण पंडित थे। वे रोज सत्संग में जाया करते थे जिस रास्ते से जाते थे उसी रास्ते में एक वेश्या का घर था । जब पंडित जी सत्संग में जाते तब वेश्या उसे अपने दरवाजे से देखती रहती थी । इसी तरह पंडित जी रोज सत्संग में जाते और वेश्या उन्हें देखती ।
Q. रविदास का असली नाम क्या था?
Q. संत रविदास की पत्नी कौन थी?
Ans. १२ वर्ष की आयु में रविदास का विवाह लोना देवी से कर दिया गया। उनका एक बेटा था, विजय दास।
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