नॉर्थ पोल या उत्तरी ध्रुव, पृथ्वी की धुरी के उत्तरी छोर पर स्थित है। यह आर्कटिक महासागर के बीच में है. ग्रीनलैंड से इसकी दूरी करीब 450 मील (725 किलोमीटर) है । नॉर्थ पोल North Pole यानी उत्तरी ध्रुव पृथ्वी का सुदूरवर्ती उत्तरी बिंदू है जहां से सभी दिशाएं दक्षिण को ओर जाती हैं। इसी बिन्दू पर पृथ्वी की धुरी घूमती है। दक्षिणी ध्रुव की तरह उत्तरी ध्रुव North Pole में भूमि का कोई टुकड़ा नहीं है। यह आर्कटिक महासागर में जमी बर्फ पर स्थित है।
'नॉर्थ पोल'- धरती का 'उत्तरी छोर' का मौसम north pole weather
यहां अत्यधिक ठंड पड़ती है क्योंकि साल में लगभग 6 महीने यहां सूरज नहीं चमकता। ध्रुव के आसपास का महासागर अत्यधिक ठंडा है, जो हमेशा बर्फ की मोटी चादर से ढका रहता है।

उत्तरी ध्रुव की खास बातें
- उत्तरी ध्रुव North Pole पर कोई ज़मीन नहीं है.
- उत्तरी ध्रुव North Pole वह जगह है जहां पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है.
- उत्तरी ध्रुव North Pole को "सच्चा उत्तर" भी कहा जाता है.
- उत्तरी ध्रुव North Pole पर हर साल छह महीने पूर्ण सूर्य प्रकाश (गर्मी) और छह महीने पूर्ण अंधकार (सर्दियाँ) रहता है.
- उत्तरी ध्रुव North Pole पर बार्नेओ आइस कैम्प है, जो एक अस्थायी अनुसंधान सुविधा और पर्यटन केंद्र है.
अलग है चुम्बकीय उत्तरी ध्रुव
- चुंबकीय उत्तरी ध्रुव North Pole वह बिंदु है जहां पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की बल रेखाएँ मिलती हैं.
- चुंबकीय उत्तरी ध्रुव North Pole का पता पहली बार 1831 में जॉन रॉस ने कनाडा के उच्च आर्कटिक में लगाया था.
- चुंबकीय उत्तरी ध्रुव North Pole का सटीक स्थान लगातार बदलता रहता है.
- इस भौगोलिक उत्तरी ध्रुव के निकट ही चुम्बकीय उत्तरी ध्रुव है जिसकी ओर कम्पास की सुई संकेत करती है।
- ध्रुव तारा उत्तरी ध्रुव North Pole के आकाश पर सदैव निकलता है। सदियों से नाविक इसी तारे को देखकर यह अनुमान लगाते रहे हैं कि वे उत्तर में कितनी दूर हैं।
- यह क्षेत्र आर्कटिक घेरा भी कहलाता है क्योंकि वहां अर्द्धरात्रि के सूर्य (मिडनाइट सन) और ध्रुवीय रात (पोलर नाइट) का विहंगम दृश्य भी देखने को मिलता है।
- उत्तरी ध्रुव North Pole के आस-पास के क्षेत्र में तेल, गैस जैसे अनेक खनिज मिलते हैं। कई किस्म की जैव विविधता यहां प्राकृतिक तौर पर संरक्षित है। मनुष्य के यहां आ पहुंचने से कुछ समस्याएं उठी हैं। अब इस क्षेत्र में पर्यटन की सम्भावनाएं भी देखी जा रही हैं
- विश्व के कुल जल स्रोत का पांचवां भाग यहीं मौजूद है।
- इंटरनैशनल आर्कटिक साइंस कमेटी ने आर्कटिक क्षेत्र के बारे में कई सारी नई जानकारियां जुटाई हैं। इस कमेटी में दुनिया भर के वैज्ञानिक और आर्कटिक विशेषज्ञ शामिल हैं।
दक्षिणी ध्रुव की तुलना में कम ठंडा उत्तरी ध्रुव North Pole
वैसे उत्तरी ध्रुव दक्षिणी ध्रुव की तुलना में कम ठंडा है क्योंकि यह महासागर के मध्य में समुद्र स्तर पर स्थित है (जो गर्मी के संग्रह के रूप में कार्य करता है) न कि महाद्वीपीय भूभाग में किसी ऊंचाई पर।
पिछले कुछ वर्षों में यहां बर्फ की परतों की औसत मोटाई में कुछ कमी आई है, जिसका एक नॉर्थ पोल और आर्कटिक सर्कल कारण ग्लोबल वार्मिंग को भी बताया जा रहा है।
आर्कटिक क्षेत्र में वनस्पति बहुत कम पाई जाती है। यहां के सागर के पानी में कई तरह के 'प्लैंकटन' (नन्हें जीव) मिलते हैं। जमीन पर रहने बाले ध्रुवीय भालुओं के अतिरिक्त कुछ लोग भी यहां रहते हैं।
यहां के अनोखे भौगोलिक वातावरण के कारण यहां रहने बाले लोगों ने स्वयं को वातावरण के अनुसार ढाल लिया है।
किसी भी देश का अधिकार नहीं
आर्कटिक सागर अन्यं कई देशों जैसे कनाडा, ग्रीनलैंड, रूस, अमरीका, आइसलैंड, नार्वे, स्वीडन और फिनलैंड की जमीनों से लगा हुआ है।
अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के अनुसार वर्तमान में किसी भी देश का उत्तरी ध्रुव या आर्कटिक महासागरीय क्षेत्र पर अधिकार नहीं है। इसके आसपास स्थित पांच देशों रूस, कनाडा, नार्वे, डेनमार्क (ग्रीनलैंड द्वारा) और अमरीका का अधिकार अपनी सीमाओं के 200 नॉटिकल-मील तक के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र तक सीमित है और इसके आगे के क्षेत्र का प्रशासन अंतर्राष्ट्रीय सीबैड प्राधिकरण के पास है।
उत्तरी ध्रुव North Pole तक पहुंचने के प्रयत्न इंसान 17वीं-18वीं सदी से करता रहा है जिसमें अनेक लोगों की जान भी गई।
अमरीका के राबर्ट एडविन पियरी उत्तरी ध्रुव North Pole की खोज करने वाले पहले इंसान थे।
6 अप्रैल 1909, को वह अपने साथी हैंन्सन तथा चार एस्किमो के साथ सकुशल उत्तरी ध्रुव पर पहुंचे और लगभग 30 घंटे विश्राम करके सभी लोग वापस आ गए। हालांकि, वापसी में उनका एक साथी मारा गया।
1910 ई. में उन्होंने 'द नॉर्थ पोल' तथा 1917 ई. में 'सीक्रेट्स ऑफ पोलर ट्रैवेल' नामक पुस्तकें लिखीं। वैसे पिछले कुछ समय से उत्तरी ध्रुव North Pole पर नियमित रूप से शोध के मकसद से एक्सपीडिशन भेजे जाते रहे हैं।
उत्तरी ध्रुव North Pole के कठोर वातावरण तथा कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के चलते वहां जाने वालों को विशेष तैयारी करनी पड़ती है।
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