हनुमान जी ने बाली का घमंड कैसे तोड़ा ( hanuman ji ne bali ka ghamand kaise toda ) हनुमानजी और बाली के बीच युद्ध की कहानी है। बाली को इस बात का घमंड था कि उसे विश्व में कोई हरा नहीं सकता या कोई भी उसका सामना नहीं कर सकता। क्योंकि बाली को ब्रम्हा जी से ये वरदान प्राप्त हुआ था की जो भी उससे युद्ध करने उसके सामने आएगा उसकी आधी शक्ति / ताक़त बाली के शरीर मे चली जायेगी और इससे बाली हर युद्ध मे अजेय रहेगा।
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हनुमानजी और बाली के बीच युद्ध की कहानी | ( hanuman ji ne bali ka ghamand kaise toda ) एक दिन की बात है रामभक्त हनुमानजी वन में तपस्या कर रहे थे। बाली अपने ताकत के मद में चूर एक दिन एक जंगल मे पेड़ पौधों को तिनके के समान उखाड़ फेंक रहा था और हरे भरे वृक्षों को तहस नहस कर दे रहा था एक तरह से अपने ताक़त के नशे में बाली पूरे जंगल को उजाड़ कर रख देना चाहता था और बार-बार अपने से युद्ध करने की चेतावनी दे रहा था- "है कोई जो बाली से युद्ध करने की हिम्मत रखता हो" " है कोई जो अपने माँ का दूध पिया हो" जो बाली से युद्ध करके बाली को हरा दे" इस तरह की गर्जना करते हुए बाली उस जंगल को तहस नहस /बर्बाद कर रहा था,,
संयोगवश उसी जंगल के बीच मे हनुमान जी राम-नाम का जाप करते हुए तपस्या में बैठे थे बाली की इस हरकत से हनुमान जी को राम-नाम का जप करने में विघ्न लगा। हनुमान जी उसी वन में राम नाम जप से तपस्या कर रहे थे। बाली के चिल्लाने से उनकी तपस्या में विघ्न / खलल हो रहा था। उन्होंने बाली से कहा, वानरराज आप अति-बलशाली हैं, आपको कोई नहीं हरा सकता, लेकिन आप इसतरह क्यों चिल्ला रहे हैं? इससे तुम्हे क्या मिलेगा ? तुम्हारे औरस पिता ब्रम्हा के वरदान स्वरूप कोई तुम्हे युद्ध में नही हरा सकता क्योंकि जो भी कोई तुमसे युद्ध करने आएगा उसकी आधी शक्ति तुममे समाहित हो जाएगी। इसलिए हे कपि राजकुमार अपने बल के घमंड को शांत कर और राम नाम का जाप कर इससे तेरे मन में अपने बल का भान नही होगा और राम नाम का जाप करने से लोक, परलोक दोनों ही सुधर जाएंगे।
इतना सुनते ही बाली अपने बल के मद चूर हनुमान जी से बोला - हे तुच्छ वानर, तू मुझे शिक्षा दे रहा है राजकुमार बाली को जिसने विश्व के सभी योद्धाओं को धूल चटाई है और जिसके एक हुंकार से बड़े से बड़ा पर्वत भी खंड-खंड हो जाता है ।
जा तुच्छ वानर, जा और तू ही भक्ति कर अपने राम वाम की और जिस राम की तू बात कर रहा है न वो है कौन ? और केवल तू ही जानता है राम के बारे में मैंने आजतक किसी के मुँह से ये नाम नही सुना और तू मुझे भी राम नाम जपने की शिक्षा दे रहा है।
हनुमान जी ने कहा - प्रभु श्रीराम तीनो लोकों के स्वामी है। उनकी महिमा अपरंपार है, ये वो सागर है जिसकी एक बूंद भी जिसे मिल जाये वो भवसागर को पार कर जाए ।
बाली - इतना ही महान है राम तो बुला ज़रा , मैं भी तो देखूं कितना बल है उसकी भुजाओं में, हनुमान जी की बात सुनकर बाली भड़क गया। उसने हनुमानजी को चुनौती थी और यहां तक कहां की रे वानर तू जिसकी भक्ति करता है मैं उसे भी हरा सकता हूं। अपने आराध्य राम का मजाक उड़ता देख हनुमान को क्रोध आ गया है और फिर उन्होंने बाली की चुनौती स्वीकार कर ली और तय हुआ कि अगले दिन सूर्योदय होते ही दोनों के बीच में दंगल होगा।
अगले दिन हनुमानजी तैयार होकर दंगल के लिए निकले ही थे कि ब्रह्माजी उनके सामने प्रकट हुए। उन्होंने हनुमानजी को समझाने की कोशिश की, कि वे बाली की चुनौती को स्वीकार न करे। लेकिन हनुमानजी ने कहा कि उसने मेरे प्रभु श्रीरामजी को चुनौती दी है। ऐसे में अब यदि मैं उसकी चुतौती को अस्वीकार कर दूंगा तो दुनिया क्या समझेगी? इसलिए उसे तो अब सबक सिखाना ही होगा।
यह सुनकर ब्रह्माजी ने कहा - ठीक है आप दंगल के लिए जाओ लेकिन अपनी शक्ति का सिर्फ 10वां हिस्सा ही लेकर जाओ और शेष अपने आराध्य के चरण में समर्पित कर दो। फिर दंगल से लौटकर यह शक्ति हासिल कर लेना। हनुमानजी मान गए और अपनी कुल शक्ति का 10वां हिस्सा लेकर ही बाली से दंगल करने के लिए चल पड़े।
दंगल के मैदान में हनुमानजी ने जैसे ही बाली के सामने अपना कदम रखा की ब्रह्माजी के वरदान के अनुसार, हनुमानजी की शक्ति का आधा हिस्सा बाली के शरीर में समाने लगा और इससे बाली के शरीर में उसे अपारशक्ति का अहसास होने लगा। उसे ऐसा लगा जैसे ताकत का कोई समंदर शरीर में हिलोरे ले रहा हो। चंद ही पलों के बाद बाली को लगने लगा मानो उसके शरीर की नसें फटने वाली है और शरीर से रक्त बाहर निकलने ही वाला है।
अचानक तभी वहां ब्रह्माजी प्रकट हुए और उन्होंने बाली से कहा कि खुद को जिंदा रखना चाहते हो तो तुरंत ही हनुमान से कोसों दूर भाग जाओ, नहीं तो तुम्हारा शरीर फट जाएगा , बाली को कुछ समझ में नहीं आया, लेकिन, ब्रह्माजी को यूं प्रकट देखकर समझ गया कि कुछ तो गड़बड़ है और वह वहां से तुरंत ही कोसों दूर भाग खड़ा हुआ।
कोसों दूर जाने के बाद उसे जब राहत मिली। शरीर में हल्कापन लगने लगा। तब उसने देखा की ब्रह्माजी उसके सामने खड़े हैं। तब ब्रह्माजी ने कहा कि तुम खुद को दुनिया में सबसे शक्तिशाली समझते हो , लेकिन तुम्हारा शरीर हनुमान की शक्ति का छोटा-सा हिस्सा भी नहीं संभाल पा रहा है । मैं तुम्हें बताना चाहता हूं कि हनुमानजी अपनी शक्ति का 10वां भाग ही लेकर तुमसे लड़ने आये थे। सोचो यदि संपूर्ण भाग लेकर आते तो तुम्हारा क्या होता?
बाली यह जानकर समझ गया कि मैंने बड़ी भूल की थी। बाद में बाली ने हनुमानजी को दंडवत प्रणाम किया और बोला - अथाह बल होते हुए भी हनुमानजी शांत रहते हैं और रामभजन गाते रहते हैं और एक मैं जो उनके एक बाल के बराबर भी नही और उनको ललकार रहा था।
मुझे क्षमा करें हनुमान ।
आगे पढ़िए ... जानिये अद्भुत पराक्रम हनुमानजी का
Thankyou