महाराष्ट्र के पुणे में स्थित खंडाला लोनावला 'सह्याद्री का आभूषण' ऐसे ही नहीं कहलाता। हर सैलानी का सपना यहां आने का होता है। मॉनसून की ठंडी फुहारें। पहाड़ियों, घाटियों, दशैं और मैदानों ने हरी शाल ओढ़ रखी है। चहचहाते पक्षियों का कलरव और जहां देखो, ऊंचाई से गिरते दूधिया झरने और झीलों में अठखेलियां करते हनीमूनर्स और सैलानी ।
बादल बिल्कुल नीचे तक उतर आए हैं। भुशी डैम पर पांव रखने की जगह नहीं है। तपते शहरों की भीड़-भाड़ से निकलकर खंडाला-लोनावला पहुंचते ही लगता है, जैसे स्वर्ग में आ गए हों।
जुड़वां सैरगाह
खंडाला लोनावला जुड़वां सैरगाह हैं ( khandala lonavala places to visit ) मुंबई (96 किलोमीटर दूर) और पुणे (दूरी 64 किलोमीटर) के बीच होने से हमेशा आबाद। आसपास घूमने के लिए कार्ला, बेडसा व भाजा की गुफाएं और कर्नाला पक्षी अभयारण्य, इमैजिका फन पार्क व आंबी वैली। वालवण, शिरोटा व वेडसा बांध। श्रीवर्धन, मनरंजन, लोहागढ़, तिकोना, तुंग, देवगिरी व विसापुर किले।
यह भारतीय नौसेना का प्रशिक्षण ठिकाना आई.एन.एस. शिवाजी और मशहूर टी. वी. सीरियल 'बिग बॉस' का घर है। रेलवे रिवर्सिंग स्टेशन, वैक्स म्यूजियम, नारायणी धाम मंदिर के अलावा और भी बहुत कुछ है।
दो और खास जगहें, जिनके बारे में बहुत कम ही लोगों को मालूम है-जेवियर्स बंगला और 1896 के जमाने का प्राचीन कारागृह, जहां अंग्रेजों ने सेंट जेवियर्स कॉलेज के संस्थापक को युद्धबंदी बना कर रखा था। एक-दूसरे से महज पांच किलोमीटर दूर खंडाला लोनावला में देखने के लिए तो और भी ज्यादा है- राजमाची प्वाइंट, लायंस प्वाइंट, नैकलेस प्वाइंट, अमृतांजन प्वाइंट और टाइगर प्वाइंट या टाइगर्स लीप (दूर से छलांग लगाते हुए किसी बाघ की तरह दिखने के कारण) के नजारे। कुणे वॉटरफॉल पर मस्ती। डेल्ला एडवेंचर पार्क पर एडवेंचर स्पोर्ट्स ।
कामशेत पर पैराग्लाइडिंग। भीमाशंकर तक कैम्पिंग और ट्रैकिंग। पावना, तुंगारली व लोनावला झीलों पर कैनोइंग (डोंगी चलाने) और बोटिंग। सीधी 2,506 फुट की चढ़ाई वाली 'ड्युक्स नोज' जैसी चोटियों पर हाइकिंग, गॉर्ज क्रासिंग, रॉक क्लाइंबिंग और गॉर्ज क्लाइंबिंग। ('ड्युक्स नोज' का नाम पड़ा ड्यूक ऑफ वैलिंगटन पर और आकार नाक की शेप में सांप के फन का है। 'नागफनी' इसका लोकल नाम है।)
खंडाला-लोनावला में खाने के लिए खास है मगनलाल की चिक्की और फज। जैम, जैली और सिरप की दुकानें तो आपको यहां हर कोने में मिल जाएंगी।

शब्द लोनावला, प्राकृत भाषा के दो शब्दों 'लेण' और 'अवली' से मिल कर बना है। जहां 'लेण' का अर्थ पत्थरों को काट कर बनाया आश्रय स्थल है, वहीं 'अवली' मतलब श्रृंखला।
सामरिक महत्व का लोनावला बहुत समय यादव वंश के शासन का हिस्सा रहा। मुगलों के आधिपत्य में आने से पहले अपने किलों और मावला योद्धाओं के बूते पर मराठा और पेशवा साम्राज्य के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा। यहां रेल आने तक खोपोली से खंडाला तक मनुष्य और घोड़ा चालित खटारों का उपयोग वाहन के रूप में होता था।
भोर घाट के छोर पर स्थित समुद्र से 2,047 फुट ऊंचे पुणे के इन दोनों पर्वतीय स्थलों की खोज 1871 में बॉम्बे प्रैसिडेंसी के तत्कालीन गवर्नर लॉर्ड माऊंट स्टुअर्ट एलफिस्टन ने की थी।
अंग्रेजों ने इन्हें सजा-संवारकर सैरगाह बनाया। लगभग एक लाख की आबादी वाला यह क्षेत्र म्युनिसिपल काऊंसिल द्वारा शासित है।
मुंबई-पुणे के बीच चलने वाली तमाम ट्रेनें लोनावला स्टेशन पर रुकती हैं, जबकि सड़क मार्ग से यहां पहुंचने का रास्ता है मुंबई-पुणे एक्सप्रैस-वे, मुंबई- पुणे हाइवे और मुंबई-बेंगलुरु हाइवे ।
खंडाला लोनावला लोग गर्मी से बचने के लिए आते हैं, पर यहां की बारिश वं और सर्दियां भी कम खूबसूरत नहीं।
बढ़ रही है प्रकृति से छेड़छाड़
खंडाला लोनावला भी अब बदलने लगे हैं। पारिस्थितिकी तंत्र ने खंडाला-लोनावला को भी प्रभावित किया है। हरे-भरे पठार और लाल मिट्टी के रास्ते अब काले, तारकोली, कंक्रीटी रंग के हो चले हैं। गर्मियों में अब यह कभी-कभी पड़ोसी मुंबई और पुणे जितना ही तपता है। मन को गहराई तक छूने वाली पहाड़ की शांति अब पहले जैसी नहीं रही।
बेतरतीब निर्माण नैसर्गिक सुंदरता बिगाड़ रहे हैं। शरारती बंदर खंभों पर चढ़कर बिजली की सप्लाई बाधित करने लगे हैं, जिससे आए दिन खंडाला में ट्रेन सेवा बाधित होने लगी है और यहां के एक इलाके को 'मंकी हिल' नाम मिल गया है। खंडाला स्टेशन पवन बिजली और टर्बाइनों से बिजली की अपनी जरूरत पूरी करने लगा है।
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