चाय का 'लुत्फ' या 'लत' : लत कई तरह की होती है जैसे धूम्रपान, शराब पीना, नशीली वस्तुओं का सेवन, जुआ खेलना, सट्टेबाजी तथा ड्रग्स लेना लेकिन आमतौर पर चाय की लत बहुत प्रचलित है। एक शोध में बताया गया है कि सदियों से चाय सबका प्रिय पेय रही है। आमतौर पर भारतीय लोगों की सुबह की शुरूआत चाय से होती है। अभी बैड पर ही होते हैं कि चुस्कियां ले-लेकर चाय का लुत्फ उठाते हैं।
चाय में कैफीन पाई जाती है. कैफीन आदत बनाने वाला उत्तेजक है, यही कारण है कि चाय या कॉफी पीने की आपको बार-बार इच्छा होती है. ऐसे में समय पर चाय न मिलने से सिरदर्द, चिड़चिड़ापन, हृदय गति में वृद्धि और थकान जैसी दिक्कतें भी होने लगती हैं. एक तरह से उन्हें चाय का नशा हो जाता है.
चाय सभी वर्गों के लोग बड़े स्वाद से पीते हैं, यही कारण है कि गांव, शहर, नुक्कड़, फुटपाथ, खोखों, ढाबों आदि सब जगह चाय आसानी से मिल जाती है।
आजकल तो मॉल में भी नए-नए नामों से चाय मिलती है। अगर आपको किसी की आवभगत करनी है तो उसे चाय पर बुलाने से अच्छा अवसर और कोई नहीं हो सकता परन्तु पंतजलि एवं आयुर्वेद के अनुसार चाय की पत्तियों का औषधीय रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। चाय चाहे हरी हो या काली, वह स्वास्थ्य लाभ दे सकती है अगर इसका सेवन संयम, संतुलन से सही समय पर सही मात्रा में काड़े के रूप में औषधि के रूप में किया जाए।
Benefits of Drinking Tea Everyday ब्लैक टी वायु दोष खत्म करती है, उत्तेजक और ऊर्जावर्धक मानी जाती है। सिर दर्द, आंखें आने पर राहत देती है, नजला- जुकाम होने पर चाय के काढ़े में बनक्षा, मुलैठी डालकर पीया जाए तो बहुत लाभ मिलता है। यह पेट, हृदय एवं मस्तिष्क को स्वस्थ रखने का काम भी करती है क्योंकि इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं। यूरीन संबंधी समस्याओं से होने वाली जलन में लाभकारी व बालों के लिए टॉनिक भी मानी जाती है।
मधुमेह को कंट्रोल करती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए प्रसिद्ध है क्योंकि इसमें फ्लेवोनॉयड्स होते हैं और हरी चाय भी पित्त और कफ दोष को संतुलित करती है। यह भी ब्लैक टी की तरह पाचन में हृदय एवं मस्तिष्क को स्वस्थ रखती है। वेट लॉस के लिए भी बहुत कारगर है।
अगर आप दूधिया चाय की लत के शिकार हैं एवं बहुत अधिक मात्रा में इसका प्रयोग करते हैं तो चाय के बहुत हानिकारक प्रभाव शरीर में देखे जा सकते हैं। जैसे अनिद्रा, खाली पेट लेने से एसिडिटी, जलन, आयरन की कमी होना, लिवर का खराब होना, चिड़चिड़ापन, दांतों का काला होना, भूख खत्म होना आदि लक्षण दिखाई देते हैं।
आयुर्वेद का संदेश है कि अगर चाय का सेवन सही समय पर सही मात्रा में औषधि के रूप में 10-15 मि.ली. करते हैं, तो यह आपकी जीवनशैली में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती है। तब आप इसके होने वाले फायदों का भरपूर लाभ कर हानिकारक प्रभावों से बच सकते हैं।
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