आज देश में अधिकतर चुनाव इलैक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों यानी ई. वी. एम. से होते हैं लेकिन इनके इस्तेमाल में आने से पहले चुनाव मतपत्र और मतपेटियों की मदद से होते थे। भारत में प्रथम आम चुनाव कब हुआ था ( Bharat mein pratham aam chunav kab hua tha ) भारत में 25 अक्टूबर 1951 और 21 फरवरी 1952 के बीच आम चुनाव हुए, जो 1947 में भारत की आज़ादी के बाद पहला था
पहले लोकसभा चुनाव की तैयारी जब देश में चल रही थी तो यह मुद्दा उठा कि मतपेटियों (बैलेट बॉक्स) की व्यवस्था कैसे की जाएगी, साथ ही, इन बक्सों को किस आकार का रखा जाना चाहिए ? चुनाव आयोग की चिंता यह थी कि मतपेटी (बैलेट बॉक्स) ऐसी होनी चाहिए, जिससे छेड़छाड़ न की जा सके और उसे देख कर वोटरों को चुनाव प्रक्रिया पर भरोसा जगे। साथ ही मतपेटियां इस्तेमाल करने में सुविधाजनक भी हों।
पहले आम चुनावों के लिए यूं बनी थीं मतपेटियां Bharat mein pratham aam chunav kab hua tha
20 लाख बैलेट बॉक्स की जरूरत
2 लाख से अधिक मतदान केंद्रों के लिए लगभग 20 लाख मतपेटियों की आवश्यकता थी। इस बात का भी ध्यान रखना था कि ये बहुत ज्यादा महंगी न हों। चुनाव आयोग ने तय किया कि उसके द्वारा तय माप के मुताबिक सभी मतपेटियां स्टील की बनेंगी।
बॉक्स ऐसे होने चाहिएं कि उनमें अलग-अलग ताले की जरूरत न पड़े। प्रत्येक बॉक्स 8 इंच ऊंचा, 9 इंच लम्बा और 7 इंच चौड़ा होना था।
बॉक्स को 20 गेज स्टील से बनाया जाना था। इसका डिजाइन इस तरह रखा गया था कि इसका कोई भी हिस्सा बाहर की ओर न निकला हो। इससे बक्सों को एक साथ पैक करना आसान हो जाता।
कई कम्पनियों के किए थे आवेदन
मतपेटियां बनाने के लिए कई कम्पनियों से डिजाइन और कीमत मांगी गई थी। एक रिपोर्ट के अनुसार, ऑलविन मैटल्स लिमिटेड हैदराबाद ने 4 रुपए 15 आने, मैसर्स गोदरेज एंड बॉयस ने प्रति बॉक्स 5 रुपए, बंगो स्टील फर्नीचर लिमिटेड, ओरिएंटल मैटल प्रैसिंग वर्क्स, बॉम्बे ने 4 रुपए 15 आने और कलकत्ता ने 4 रुपए 6 आने की कीमत बताई।
इन सबके अलावा कई कम्पनियों ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से प्राइस कोट दिया था। इनमें गणेशदास रामगोपाल एंड संस लखनऊ, इंपीरियल सर्जिकल कम्पनी लखनऊ जैसी कई कम्पनियां शामिल थीं।
राज्यों को यह छूट दी गई थी कि इलैक्शन कमिशन की ओर से तय डिजाइन के अनुसार वे किसी भी यूनिट से बैलट बॉक्स बनवा सकते हैं। पहले आम चुनाव में मतपेटियां तैयार करने पर कुल 1 करोड़, 22 लाख, 87 हजार, 349 रुपए का खर्च आया था।
इस कम्पनी ने बनाईं पहली मतपेटियां
1952 में हुए पहले आम चुनावों के लिए हैदराबाद की कम्पनी ऑलविन ने मतपेटी बनाई थी। इस कम्पनी की शुरुआत 1942 में निजाम की हैदराबाद सरकार और मैसर्स ऑलविन एंड कम्पनी के ज्वाइंट वेंचर के रूप में हुई थी। कभी यह घर-घर में जाना-पहचाना नाम थी।
इस इंजीनियरिंग और मैन्युफैक्चरिंग कम्पनी का कारोबार कई सैक्टर्स में फैला था। इनमें रैफ्रिजरेटर, घड़ी, ऑटोमोबाइल और रेल कोच शामिल थे लेकिन शुरुआती सफलता के बाद यह कम्पनी कुप्रबंधन का शिकार हो गई और 1995 में इसे बंद कर दिया गया।
1872 में हुई थी गुप्त मतदान की शुरूआत
आज चुनाव में मतदान को गुप्त रखा जाता है लेकिन 1872 से पहले, मतदान करने वालों को सार्वजनिक रूप से मतदान करना पड़ता था।
तब उन्हें हाथ उठाकर या जोर से अपनी पसंद बताकर या सबके सामने कागज पर निशान लगाकर अपने पसंदीदा उम्मीदवार के बारे में सूचित करना होता था।
मतदान की इस सार्वजनिक प्रणाली की वजह से रिश्वतखोरी और डराने-धमकाने का खतरा बना रहता था, जो बड़े स्तर पर होता भी था।
उन लोगों के विरोध के बावजूद, जो गुप्त मतदान को गलत मानते थे, इंगलैंड में 1872 के मतपत्र अधिनियम के तहत मतदाताओं को रिश्वत देने से रोकने के लिए मतपेटी की शुरुआत की गई।
पोंटेफ्रैक्ट गुप्त मतदान करने वाला दुनिया का पहला शहर था, जब यहां से नए सांसद का चयन किया जाना था।
उस चुनाव में मतदाताओं के लिए अलग- अलग बूथ प्रदान किए गए थे, जहां वे गुप्त रूप से मतपत्र पर निशान लगा कर उसे मतपेटी में डाल सकते थे।
मतपेटियों को इस अवसर के लिए विशेष रूप से बनाया गया था और उन पर मोम की सील लगा दी गई थी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई वोटों के साथ छेड़छाड़ न करे। इस चुनाव में ह्यूग चाइल्डर्स सांसद चुने गए।
पर्यवेक्षकों का कहना था उन्होंने इससे पहले ऐसा चुनाव नहीं देखा था, जिसमें इतनी कम शराब बांटी गई हो और शहर इतना शांत और व्यवस्थित था कि बिल्कुल भी चुनावी माहौल जैसा नहीं लग रहा था।
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