रिश्तों को निभाना और जीना सिखाएं, शादी के बाद ससुराल में कैसे रहना चाहिए Shaadee ke baad sasuraal mein kaise rahana chaahie हर नए रिश्ते में बंधने पर एक घबराहट होती है लेकिन आपकी सीख बेटी की मुश्किलों को आसान कर सकती है।
शादी के बाद ससुराल में कैसे रहना चाहिए Shaadee ke baad sasuraal mein kaise rahana chaahie / How to be a good daughter-in-law in India
निभाना नहीं, जीना सिखाएं शादी के बाद ससुराल में कैसे रहना चाहिए?
माता-पिता के लिए बेटी की शादी एक बड़ी जिम्मेदारी होती है। वहीं यह जिम्मेदारी एक मां के लिए ज्यादा बड़ी होती है, क्योंकि अपनी बेटी को भविष्य के रिश्तों की सीख मां को ही देनी होती है। मां का ही फर्ज होता है कि रिश्तों के मायने बताए और वह अपनी बेटी को शादी से पहले ससुराल में खुश कैसे रहें ?, एक अच्छी बहू बनने के लिए क्या करना चाहिए?, संस्कारी बहू कैसे होते हैं?, अच्छी बहू क्या होती है? अच्छी बहू के कर्तव्य, नई बहू को ससुराल में कैसे रहना चाहिए?, अच्छी बहू क्या होती है?, सिखाए । अगर शादी के बाद लड़की उन चीजों को समझने लगती है तो उसका जीवन खुशहाल रहता है। इसलिए शादी से पहले हर माता-पिता कोअपनी बेटी को रिश्तों की यह सीख जरूर देनी चाहिए।

■ खुद ही नहीं सब कुछ : ससुराल में खुश कैसे रहें? शादी के बाद लड़की को नया परिवार मिलता है। उसे स्वयं की खुशी या सुविधा मात्र देखकर नहीं सबकी सुविधा और खुशी देखकर निर्णय लेना चाहिए और सबकी खुशी में खुशी ढूंढने की कोशिश करनी चाहिए।
■ स्वयं का आकलन : यह समझना हर लड़की के लिए जरूरी है कि जब भी नए रिश्ते बनते हैं तो कई बार उनमें थोड़ी बहुत कहा-सुनी हो जाती है। ऐसे में हमेशा अपनी बेटी को सिखाएं कि कोई भी बात होने पर वह पहले खुद के अंदर गलती ढूंढे।
■ एक माफी : माफी मांगने वाला हमेशा बड़ा ही होता है। इसलिए उसे बताएं कि अगर उसको लगता है कि उसने गलती की है तो उसकी माफी हमेशा बिना देरी किए मांग ले। लेकिन हर स्थिति में अपनी गलती मानना भी सही नहीं होता है, इसलिए अपना पक्ष भी वह जरूर रखे।
■ आर्थिक आजादी : नई बहू को ससुराल में कैसे रहना चाहिए? नया घर-परिवार हो सकता है कि मायके से ज्यादा समृद्ध हो और पति की सैलरी इतनी अच्छी हो कि आपकी बेटी को काम करने की जरूरत न पड़े। लेकिन बेटी को समझाएं कि आर्थिक रूप से स्वतंत्र होना जरूरी हैं, ताकि वह ससुराल में भी सम्मानपूर्वक जीवन बिता सके।
■ रिश्तों को समय : रिश्ते रातो-रात नहीं बन सकते हैं। इसलिए एक या दो दिन में ही यह कहना कि मुझे सास पसंद नहीं है, ननद और देवर से मुझे चिढ़ है, सरासर गलत है। बेटी को समझाएं कि उसे रिश्तों को पनपने का और बेहतर होने का समय देना होगा, जिससे वह अपना खिलखिलाता आशियाना बसा सके और सभी से घुल-मिल सके।
■ गुस्से में सम्मान के साथ : कई बार नए परिवार में लोग भी ऐसे होते हैं, जो घर में आए नए सदस्य को खरी-खोटी कहने से पहले जरा नहीं सोचते । लेकिन बेटी को समझाएं कि वह संयम से काम ले और सम्मान की भावना न खोए। वह अपनी बात जरूर कहे, लेकिन उसी तरह से, जैसे वह अपने माता-पिता से कहती थी, गुस्से से लेकिन पूरे सम्मान के साथ।
■ संयम और समझदारी : कैसा भी वक्त क्यों न चल रहा हो, आप उसे बताएं कि हर समय अपने परिवार के साथ खड़ा होना उसका कर्तव्य है। किसी भी चुनौती का सामना उसको अपने साहस से अच्छे तरीके से करना चाहिए। तभी आपकी बेटी एक अच्छी बहू के साथ अच्छी इन्सान भी बन पाएगी।
■ आपके अनुभव आएंगे काम : शादी से पहले नए रिश्तों को लेकर अपनी बेटी या बेटे को सीख देना बहुत जरूरी है। इससे वे नए रिश्तों को समय दे पाते हैं और उन्हें अच्छी तरह निभा पाते हैं। बेटी को बताएं कि एक अच्छे और खुशहाल परिवार के लिए उसे अपने पति और सास, दोनों रिश्तों को अलग रखना चाहिए और पति तथा उनके माता-पिता के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करते रहना चाहिए। जब तक वह अपने नए घर को दिल से अपना नहीं लेती है, वह चिंतित, तनावग्रस्त और उपेक्षित महसूस करेगी, इसलिए आप उसे अपने अनुभवों से सिखाएं और बताएं कि अगर वह किसी बात से नाराज भी है तो मर्यादित तरीके से उसे जाहिर करे।
रिलेशनशिप काउंसलर
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