हर नए रिश्ते में बंधने पर एक घबराहट होती है, लेकिन आपकी सीख बेटी की मुश्किलों को आसान कर सकती है। इसलिए उसे रिश्तों को निभाना और जीना सिखाएं।
निभाना नहीं, जीना सिखाएं
ता-पिता के लिए बेटी की शादी एक बड़ी जिम्मेदारी होती है। वहीं एक मां के लिए यह जिम्मेदारी ज्यादा बड़ी होती है, क्योंकि मां को ही अपनी बेटी को भविष्य के रिश्तों की सीख देनी होती है। मां का ही फर्ज होता है कि वह अपनी बेटी को शादी से पहले कुछ चीजें सिखाए और रिश्तों के मायने बताए। अगर लड़की शादी से पहले उन चीजों को समझने लगती है तो शादी के बाद उसका जीवन खुशहाल रहता है। इसलिए हर माता-पिता को शादी से पहले अपनी बेटी को रिश्तों की यह सीख जरूर देनी चाहिए।
■ खुद ही नहीं सब कुछ : शादी के बाद लड़की को नया परिवार मिलता है। ऐसे में उसे स्वयं की खुशी या सुविधा मात्र देखकर नहीं, सबकी सुविधा और खुशी देखकर निर्णय लेना चाहिए और सबकी खुशी में खुशी ढूंढने की कोशिश करनी चाहिए।
■ स्वयं का आकलन : यह समझना हर लड़की के लिए जरूरी है कि जब भी नए रिश्ते बनते हैं तो कई बार उनमें थोड़ी बहुत कहा-सुनी हो जाती है। ऐसे में अपनी बेटी को सिखाएं कि कोई भी बात होने पर हमेशा वह पहले खुद के अंदर गलती ढूंढे।
■ एक माफी : माफी मांगने वाला हमेशा बड़ा ही होता है। इसलिए उसे बताएं कि अगर उसको लगता है कि उसने गलती की है तो उसकी माफी हमेशा बिना देरी किए मांग ले। लेकिन हर स्थिति में अपनी गलती मानना भी सही नहीं होता है, इसलिए अपना पक्ष भी वह जरूर रखे।
आर्थिक आजादी : नया घर-परिवार हो सकता है कि मायके से ज्यादा समृद्ध हो और पति की सैलरी इतनी अच्छी हो कि आपकी बेटी को काम करने की जरूरत न पड़े। लेकिन बेटी को समझाएं कि आर्थिक रूप से स्वतंत्र होना जरूरी हैं, ताकि वह ससुराल में भी सम्मानपूर्वक जीवन बिता सके।
रिश्तों को समय : रिश्ते रातो-रात नहीं बन
सकते हैं। इसलिए एक या दो दिन में ही यह कहना कि मुझे सास पसंद नहीं है, ननद और देवर से मुझे चिढ़ है, सरासर गलत है। बेटी को समझाएं कि उसे रिश्तों को पनपने का और बेहतर होने का समय देना होगा, जिससे वह सभी से घुल-मिल सके और अपना खिलखिलाता आशियाना बसा सके।
■ गुस्से में सम्मान के साथ : कई बार नए परिवार में लोग भी ऐसे होते हैं, जो घर में आए नए सदस्य को खरी-खोटी कहने से पहले जरा नहीं सोचते । लेकिन बेटी को समझाएं कि वह संयम से काम ले और सम्मान की भावना न खोए। वह अपनी बात जरूर कहे गुस्से से लेकिन पूरे सम्मान के साथ। लेकिन उसी तरह से, जैसे वह अपने माता-पिता से कहती थी,
■ संयम और समझदारी : कैसा भी वक्त क्यों न चल रहा हो, आप उसे बताएं कि हर समय अपने परिवार के साथ खड़ा होना उसका कर्तव्य है। किसी भी चुनौती का सामना उसको अपने साहस से अच्छे तरीके से करना चाहिए। तभी आपकी बेटी एक अच्छी बहू के साथ अच्छी इन्सान भी बन पाएगी।
आपके अनुभव आएंगे काम
रिलेशनशिप काउंसलर
शादी से पहले नए रिश्तों को लेकर अपनी बेटी या बेटे को सीख देना बहुत जरूरी है। इससे वे नए रिश्तों को समय दे पाते हैं और उन्हें अच्छी तरह निभा पाते हैं। बेटी को बताएं कि एक अच्छे और खुशहाल परिवार के लिए उसे अपने पति और सास, दोनों रिश्तों को अलग रखना चाहिए और पति तथा उनके माता-पिता के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करते रहना चाहिए। जब तक वह अपने नए घर को दिल से अपना नहीं लेती है, वह चिंतित, तनावग्रस्त और उपेक्षित महसूस करेगी, इसलिए आप उसे अपने अनुभवों से सिखाएं और बताएं कि अगर वह किसी बात से नाराज भी है तो मर्यादित तरीके से उसे जाहिर करे।
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