जगन्नाथ पुरी Jagannath Puri : उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर से 60 किलोमीटर दूर स्थित धार्मिक स्थल पुरी का पुराना नाम श्री क्षेत्र है। वैसे पर्यटक यहां धार्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि बागों, वनों, झीलों और सागर के प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने भी आते हैं। पुरी की प्रसिद्धि 12वीं सदी में चोड़गंगा राजा द्वारा विशाल जगन्नाथ मंदिर बनवाने से हुई ।
जगन्नाथ मंदिर सागर से लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर है। यह मंदिर नीलगिरि पर्वत पर स्थित है। मंदिर की चारदीवारी 22 फुट ऊंची और परिसर 665 फुट चौड़े वर्गाकार में है।
मंदिर तक जाने वाली सड़क काफी चौड़ी है जिस पर हर समय भारी भीड़ लगी रहती है। इस सड़क पर स्थित बाजार में सूखे भात का प्रसाद तो मिलता ही है, साथ ही श्रद्धालु और पर्यटक यहां से बेंत की लकड़ी, भोजपत्र, शंख, सीपी की बनी सुंदर सजावटी वस्तुएं, टसर के कपड़े और सम्भलपुरी साड़ियां भी खरीदते हैं।
मंदिर की चारों दिशाओं में चार प्रवेशद्वार हैं। पश्चिम द्वार वाली 16 फुट ऊंची रतनवेदी पर सुदर्शन चक्र रखा है। मंदिर में जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की मूर्तियां हैं जो उत्कल शैली में लकड़ी की बनी हुई हैं।
इन मूर्तियों का स्वरूप हर 12 साल बाद बदल दिया जाता है। जगन्नाथ को श्रीकृष्ण का और बलभद्र को बलराम का रूप कहा जाता है। मंदिर के गर्भगृह में भारी भीड़ के कारण धक्का-मुक्की चलती रहती है।
जगन्नाथ पुरी Jagannath Puri का सुंदर समुद्र तट
जगन्नाथ पुरी का गरजता समुद्र तट बहुत ही आकर्षक है। पर्यटक इस गोल्डन बीच का आनंद जरूर लेते हैं। समुद्र तट पर तमाम होटल और रेस्तरां हैं। वहां से समुद्र का दृश्य देखना बहुत अच्छा लगता है। उठती-गिरती लहरों को देख आपका मन अवश्य ही खुशी से झूम उठेगा। शाम को सूर्यास्त का अद्भुत नजारा भी यहां से देखा जा सकता है। गुलाबी आकाश में नीचे उतरता लाल गोला एकाएक जल में समा जाते देखना पर्यटकों को खूब भाता है। सुबह का सूर्योदय का दृश्य भी देखते ही बनता है।
लगभग आठ किलोमीटर पुरी से दूर आराम करने का अच्छा स्थान और सफेद बालू का मैदान खेलकूद है। पास ही कवि और देशभक्त गोपबंधु का स्मारक है।
यहां से 25 किलोमीटर दूर अमरनाथ और बलिहर की मूर्तियां हैं। एक हजार वर्ग मील में फैली चिलका झील भी आप देखने जा सकते हैं। पुरी के दक्षिण-पश्चिम में यह भारत की सबसे बड़ी झील है स्थित है।
जगन्नाथ पुरी Jagannath Puri का लोकनाथ मंदिर
भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर लोगों की श्रद्धा का केंद्र है। मंदिर की मान्यता है कि दर्शन करने से लोगों के रोग और बीमारियां ठीक हो जाती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है इस मंदिर को भगवान श्री राम ने स्थापित किया था।
जगन्नाथ पुरी Jagannath Puri का अर्धासिनी मंदिर
जगन्नाथ मंदिर से यह 4 किलोमीटर की दूरी पर है। स्कंधपुराण के अनुसार पुरी में जब एक बार बाढ़ आ गई तब लोगों को बाढ़ से बचने के लिए माता सुमित्रा ने बाढ़ का आधा पानी पी लिया था जिससे लोगों की जान बच गई थी।
गुंडीचा मंदिर
कलिंग वास्तुशैली में बना गुंडीचा मंदिर अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है। यह मंदिर भी भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी को समर्पित है। प्रत्येक वर्ष होने वाले रथ महोत्सव के दौरान मंदिर में काफी रौनक देखने को मिलती है। रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की यात्रा गुंडीचा मंदिर में पहुंच कर ही सम्पन्न होती है।
इनके अलावा नरेंद्र सरोवर, साक्षी गोपाल मंदिर, मौसी मां मंदिर से लेकर समुद्र तट पर रेत से बनी कलाकृतियां और कलाकारों का गांव रघुराजपुर भी बहुत लोकप्रिय है।
Jagannath Puri जगन्नाथ पुरी कैसे पहुंचें
पुरी देश के प्रमुख नगरों से रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है। भुवनेश्वर से पुरी के लिए नियमित बसें भी आराम से मिल जाती हैं। यहां स्थानीय यातायात व्यवस्था में बस और टैक्सियों की अच्छी सुविधा है। पर्यटकों की सुविधा के लिए उड़ीसा पर्यटन विकास निगम विशेष कोच बसें भी चलाता है।
Jagannath Puri जगन्नाथ पुरी कब जाएं :
जगन्नाथ पुरी भ्रमण का सर्वोत्तम समय अक्तूबर से मार्च तक का है लेकिन आप भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा भी देखना चाहते हैं तो जून-जुलाई में आएं।
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