दवाइयां खाकर हम स्वस्थ नहीं बने रह सकते, बल्कि दवाइयां तो हमें विभिन्न बीमारियों के उपचार के लिए खाने पर विवश होना पड़ता है और प्रकृति के नियमों का उल्लंघन ही शरीर में पनपने वाले तरह-तरह के रोगों का कारण है। यदि हम अपने जीवन को उपयोगी तथा सुखी बनाना चाहते हैं और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं तो इसके लिए कुछ साधारण नियमों का पालन किया जाना बहुत जरूरी है, जिनसे निश्चित रूप से स्वस्थ रहने में सहायता मिलती है :

* सुबह उठकर मुंह, जीभ, दांत, गला आदि साफ करके एक-दो गिलास पानी पीने के बाद शौच जाएं।
* रात को तांबे के किसी बर्तन में पानी भरकर रख दें और सुबह वही पानी पिएं तो बहुत अच्छा है।
* सुबह-शाम थोड़ी देर खुली हवा में गहरे श्वास लेते हुए टहलें अथवा प्राणायाम व योगासन करें।
* स्नान से पहले या बाद में प्रात:कालीन सूर्य की किरणों को अपने बदन पर पड़ने दें।
* स्नान के लिए हमेशा ताजे जल का ही इस्तेमाल करें और स्नान से कुछ मिनट पहले सम्पूर्ण शरीर का घर्षण (सूखी मालिश) खादी के कपड़े से करें।
* सुबह नाश्ता न करें और यदि करना ही है तो रोटी-सब्जी अथवा परांठे आदि गरिष्ठ भोजन लेने के बजाय मौसमी फल या फलों का रस अथवा मट्ठा-दही, किशमिश या अंकुरित अन्न इत्यादि लें।
* भोजन अच्छी तरह चबा-चबा कर खाएं और भोजन से एक घंटा पहले तथा डेढ़ घंटे बाद तक पानी न पिएं।
* भोजन के तुरंत बाद शारीरिक परिश्रम वाले कोई भी कार्य न करें।
* भोजन में कच्ची खाई जाने वाली सब्जियां जैसे खीरा, ककड़ी, टमाटर, प्याज, अदरक, मूली, हरी मिर्च, नारियल, अमरूद, गाजर, पालक, बथुआ आदि सलाद के रूप में अवश्य खाएं।
* भोजन करते समय मौन रहें और भूख से कम भोजन करें।
* भोजन में मन लगाएं और प्रसन्नचित होकर भोजन करें।
* बिना भूख अथवा तनाव, चिंता भय, क्रोध की स्थिति में भोजन न करें क्योंकि ऐसा करने से भोजन हानि पहुंचाता है। ऐसी अवस्था में शरीर में विष पैदा होता है, जिससे भोजन भी विषैला हो जाता है।
* बेमेल या बहुत सी चीजें एक बार के भोजन में न खाएं। भोजन सदैव नित्य एवं निश्चित समय पर ही करें।
* 50 वर्ष से अधिक आयु वाले व्यक्तियों को भोजन में अनाज तथा दालों का प्रयोग दिन में एक बार से अधिक नहीं करना चाहिए।
* सप्ताह में एक दिन तथा माह में 2-3 दिन पूर्ण उपवास रखने से शरीर में जमा दोष स्वयं दूर हो जाते हैं।
* रात का भोजन सोने से दो घंटे पहले करें और उसके बाद 15-20 मिनट तक वज्रासन करें।
* पूरी नींद सोना और सूर्योदय से पहले उठना लाभकारी है।
* अच्छी पुस्तकें, अच्छे लोगों का साथ, अच्छे विचार, अच्छे कर्म, ध्यान, प्रार्थना, सत्संग, एकांतवास, मौन तथा संगीत, ये सभी आपके मित्र हैं। इन्हें अपनाएं।
* लोभ, मोह, क्रोध, भय आपके शत्रु हैं इन्हें अपने पास न आने दें।
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