
यह है भारत का सबसे 'साफ-सुथरा गांव'
भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य मेघालय का मावलिननांग गांव अपनी बेजोड़ स्वच्छता के लिए दुनियाभर में जाना जाता है। यह आदिवासी गांव शिलांग से करीब 90 किलोमीटर दक्षिण में है।
स्थानीय समुदाय और सरकार के पर्यावरण-पर्यटन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के प्रयासों के कारण मावलिननांग को भारत सहित एशिया के सबसे स्वच्छ गांव का पुरस्कार मिल चुका है। यहां लोग घर से निकलने वाले कूड़े-कचरे को बांस से बने डस्टबिन में जमा / करते हैं और उसे एक जगह इकट्ठा कर खेती के लिए खाद की तरह इस्तेमाल करते हैं। कचरा डालने के लिए पूरे गांव में हर जगह ऐसे बांस के डस्टबिन लगे हैं।
इस गांव की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां की सारी सफाई ग्रामवासी स्वयं करते हैं, सफाई व्यवस्था के लिए वे किसी भी तरह प्रशासन पर आश्रित नहीं हैं। किसी भी ग्रामवासी को, वह चाहे महिला हो, पुरुष हो या बच्चे, जहां गन्दगी नजर आती है, सफाई पर लग जाते हैं, फिर चाहे वह सुबह का वक्त हो, दोपहर का या शाम का।
सफाई के प्रति जागरूकता का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि यदि सड़क पर चलते हुए किसी ग्रामवासी को कोई कचरा नजर आता है तो वह रुक कर पहले उसे उठाकर डस्टबिन में डालेगा, फिर आगे बढ़ेगा। और यही आदत इस गांव को शेष भारत से अलग करती है, जहां हम हर बात के लिए प्रशासन पर निर्भर रहते हैं, खुद कोई पहल नहीं करते। जिस तरह कश्मीर के बारे में कहा जाता है कि धरती पर अगर कहीं स्वर्ग है, तो वह बस यहीं है, उसी तरह मेघालय में इस गांव के बारे में कहा जाता है कि वह 'गॉड्स ओन गार्डन' यानी 'भगवान का अपना बगीचा' है।
इस गांव को देख आप भी हैरत में पड़ जाएंगे और लगेगा कि यकीनन यह पृथ्वी पर किसी अजूबे से कम नहीं। जहां स्वच्छता होती है, भगवान भी वहीं विराजते हैं और शायद इसी वजह से इस गांव को 'भगवान का अपना बगीचा' के नाम से प्रसिद्धि मिली हुई है।
प्रमुख आकर्षण
इस गांव की खूबसूरती को निहारने के लिए आप बाकायदा टूर पैकेज बुक करा सकते हैं, या फिर दोस्तों के साथ प्लान बनाकर एक कैजुअल ट्रिप का आयोजन कर सकते हैं। इस गांव में काफी सारी चीजें देखने लायक हैं।
गांव के प्रमुख आकर्षणों में से एक 'लिल्विंग रूट्स ब्रिज' हैं, जिन्हें आसपास के पेड़ों की जड़ों से बनाया गया था और कहा जाता है कि ये 1,000 साल से अधिक पुराने हैं। 'लिविंग रूट ब्रिज' को यूनेस्को का 'विश्व धरोहर स्थल' घोषित किया जा चुका है। नदी के ऊपर लटकते ये पुल रबड़ के पेड़ों से लटकती जड़ों से बने हैं, जोकि दूसरे पेड़ की जड़ों से जुड़ी हैं।
यहां का वॉटरफॉल (झरना) भी बेजोड़ है, जहां आप दोस्तों के साथ एक छोटी-सी पिकनिक भी प्लान कर सकते हैं। यह वॉटरफॉल गांव के नाम यानी मावलिननांग के नाम से ही मशहूर है।
गांव का एक और खास स्थल है' एपिफपनी का चर्च', जोकि 100 साल पुराना है लेकिन आज भी इसकी खूबसूरती वैसी की वैसी ही है। इसके अलावा जो एक और
बहुत फेमस टूरिस्ट अट्रैक्शन है, वह है 80 फुट ऊंची मचान पर बैठ कर शिलांग की प्राकृतिक खूबसूरती को निहारना। आप मावलिननांग गांव घूमने का आनंद ले सकते हैं, पर यह ध्यान रखें कि आप के द्वारा वहां की सुंदरता न किसी तरह खराब न हो।
अनूठे पत्थर
इस गांव के आसपास टूरिस्ट्स के लिए अन्य अमेंजिग स्पॉट्स में 'बैलैंसिंग रॉक्स' शामिल हैं। एक के ऊपर दूसरा पत्थर प्राकृतिक रूप से संतुलित है और सदियों से यह इसी अवस्था में मौजूद है।
आने वाले पर्यटकों की जलपान. सुविधा के लिए गांव में कई जगह ठेठ ग्रामीण परिवेश के टी-स्टाल बने हुए हैं, जहां आप चाय का आनंद ले सकते हैं। इसके अलावा एक रैस्टोरेंट भी है, जहां आप भोजन कर सकते हैं यानी इस गांव में शहर से भी ज्यादा सुख मिलेगा।
शिक्षा में भी अव्वल
सफाई के साथ-साथ यह गांव शिक्षा में भी अव्वल है। यहां की साक्षरता दर 100 प्रतिशत है, यानी • यहां के सभी लोग पढ़े लिखे हैं। इतना ही नहीं, इस गांव में ज्यादातर लोग केवल अंग्रेजी में ही बात करते हैं। यहां 95 परिवार रहते हैं जिनकी आजीविका का मुख्य साधन सुपारी की खेती है।
कैसे पहुंचें ?
मावलिननांग गांव मेघालय की राजधानी शिलांग से 90 किलोमीटर और मानसून के दौरान बहुत अधिक बारिश के लिए प्रसिद्ध चेरापूंजी से 92 किलोमीटर दूर स्थित है। मावलिननांग का निकटतम हवाई अड्डा शिलांग है। सड़क मार्ग से, शिलांग से टैक्सी सेवा भी उपलब्ध है।
.... और देखें : भारत के प्रमुख ऐतिहासिक मंदिर – Historical Temples of India
Thankyou