दंतक्षय, जिसे दांतों में कीड़ा लगना भी कहा जाता है, यह बीमारी प्राय: विश्व के हर भाग में पाई जाती है। यह बीमारी अधिकतर बचपन में होती है और हमारे यहां 70 से 80 प्रतिशत बच्चों में पाई जाती है। एक दन्त चिकित्सा महाविद्यालय द्वारा कुछ स्कूलों में बच्चों के दांतों का परीक्षण किया गया। इसमें 80 प्रतिशत बच्चों के दांत खराब पाए गए।

जानिए कैसे बच्चों को दंतक्षय से बचाए
जैसे ही आपके बच्चे का पहला दांत निकले, उसके दांतों को ब्रश करना शुरू कर दें। फ्लोराइड टूथपेस्ट से दिन में दो बार 2 मिनट तक दांतों, जीभ और मसूड़ों को ब्रश करें। या अपने बच्चे को अपने दांत ब्रश करते हुए देखें। 3 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए, केवल थोड़ी मात्रा में टूथपेस्ट का इस्तेमाल करें, जो चावल के दाने के बराबर हो।
बीमारी के लक्षण
दांत तीन परतों में बने होते हैं। पहली ऊपरी परत को इनैमल कहते हैं। जब यह बीमारी इस परत में प्रवेश करती है तब इसके प्रारम्भिक लक्षण के रूप में दांतों पर सफेद दाग दिखते हैं, जो बाद में काले रंग में बदल जाते हैं तथा दांतों में छिद्र हो जाते हैं। इन छिद्रों में खाना फंसने लगता है तथा सड़ने लगता है और मुंह से दुर्गंध आने लगती है। यह लक्षण कष्टप्रद न होने के कारण लोग इस और ज्यादा ध्यान नहीं देते। जब यह बीमारी दूसरी परत में प्रवेश करती है तब ठंडा पानी पीने पर टीस होने लगती है। इसके भी ज्यादा कष्टप्रद न होने के कारण लोग इस ओर भी ध्यान नहीं देते।
बचाव के उपाय
इस स्थिति से बचने के लिए दिन में कम से कम दो बार दांत साफ करने चाहिएं।
मीठी वस्तुएं, जैसे मिठाइयां, चॉकलेट, टॉफीज, बिस्कुट तथा आइसक्रीम का सेवन कम से कम मात्रा में करना चाहिए।
सोने से पूर्व दांतों की सफाई करनी चाहिए। फ्लोराइड युक्त टुथपेस्ट का उपयोग करना चाहिए।
बार-बार खाने की आदत बंद करनी चाहिए। हर बार खाना खाने के बाद दांत साफ करना अत्यंत अनिवार्य है। कम से कम कुल्ला अवश्य करना चाहिए।
उपचार
इस रोग से बचने के लिए बच्चों के दांतों का परीक्षण हर 6 माह में करवा लेना चाहिए, जिससे रोग का प्रारम्भिक अवस्था में निदान हो तथा उसका इलाज किया जा सके।
जब दांतों में दर्द शुरू हो जाता है, तब एक्स रे द्वारा जड़ में कितनी खराबी हो गई है, यह मालूम करने के बाद साधारण शल्यक्रिया जैसे कैपिंग, पल्पोटॉमी तथा रूट केनाल ट्रीटमैंट आदि द्वारा दांतों को बचाया जा सकता है मगर प्रायः यह देखा गया कि इस प्रकार के दांत हमेशा निकाल दिए जाते हैं अथवा उनमें गलत तरीके से गलत मसाले भर दिए जाते हैं।
ऐसे दांत कुछ दिनों तक बिना कष्ट दिए हुए रहते हैं, मगर बाद में भयंकर कष्टप्रद परिस्थिति निर्मित कर देते हैं, जड़ों में सूजन आ जाती है, मवाद पड़ जाता है, कभी-कभी जबड़े की हड्डियों में नासूर हो जाते हैं इसलिए प्रशिक्षित दंत चिकित्सक से ही दांतों की जांच तथा उपचार करवाना चाहिए।
बच्चों को दांत निकलते समय क्या करना चाहिए?
अपने दाँत निकलने वाले बच्चे को आराम पहुँचाने का सबसे अच्छा तरीका है उसके दर्द वाले मसूड़ों को धीरे से रगड़ना। आप एक साफ उंगली, एक ठंडा चम्मच, एक नम गॉज पैड या वॉशक्लॉथ का उपयोग कर सकते हैं। आप अपने बच्चे को चबाने के लिए एक साफ टीथर भी दे सकते हैं। सुनिश्चित करें कि टीथर ठोस रबर से बना हो।
दंत क्षय का क्या कारण है?
दंत क्षरण तब होता है जब एसिड आपके दांतों की इनेमल सतह को घोलने और नरम करने लगता है। यह अधिकतर भोजन या पेय पदार्थों से उत्पन्न एसिड के कारण होता है। अत्यधिक उल्टी से दांतों में क्षरण हो सकता है, क्योंकि पेट का एसिड आपके दांतों के संपर्क में आता है। दंत क्षरण, दाँतों की सड़न से भिन्न है।
दंत क्षय को रोकने के लिए कौन सा तत्व आवश्यक है?
फ्लोरीन दंत क्षय को रोकने के लिए आवश्यक है, जिसे दांतों की सड़न के रूप में भी जाना जाता है। फ्लोराइड एक खनिज है जो दांतों के इनेमल को मजबूत करके कैविटी को रोकने में मदद करता है।
कैसे पता चलेगा कि बच्चे के दांत आ रहे हैं?
सबसे आम दांत निकलने के लक्षणों को जानने से आपको उनके लक्षणों को कम करने में मदद मिलेगी, अगर वे दिखाई देते हैं। मसूड़े पर लालिमा या सिस्ट: जैसे ही दांत मसूड़े से बाहर निकलता है, आपको इरप्शन सिस्ट दिखाई दे सकता है, जो आपके बच्चे के मसूड़ों पर नीले या भूरे रंग के बुलबुले जैसा दिखता है।
दंत क्षय रोग किसकी कमी से होता है?
दंत क्षय, सुक्रोज और अन्य आहार कार्बोहाइड्रेट के जीवाणु किण्वन से प्राप्त एसिड द्वारा दांत के खनिज (मुख्य रूप से हाइड्रॉक्सीएपेटाइट, Ca 10 (P0 4 ) 6 (0H) 2 ) के विघटन के कारण होता है। ये बैक्टीरिया बैक्टीरिया समुदायों में रहते हैं जिन्हें दंत पट्टिका के रूप में जाना जाता है जो दांत की सतह पर जमा होते हैं।
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