विदेश का सपना पूरा करने, सालाना 7.25 लाख भारतीय चुनते हैं डंकी रूट, हर साल हजारों भारतीय अवैध तरीकों से भी अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा जाते हैं। वहां जाने के लिए ये जो रास्ता अख्तियार करते हैं, उसे 'डंकी रूट' Dunki Route / Donkey Route कहा जाता है। हाल ही में रिलीज हुई फिल्म 'डंकी' Dunki ने इसे सुर्खियों में ला दिया है।
बलदेवभाई पटेल (39) जब ज अमेरिका जाने के लिए अपने गांव से निकले थे तो उनकी आंखों में थे बेहतर जिंदगी के सपने। पत्नी वैशालीबेन, 11 साल की बेटी विहंगी और तीन साल का बेटा धार्मिक भी उनके साथ ही थे। मूलतः गुजरात के गांधीनगर जिले के डिंगचा गांव का यह परिवार इसी साल 12 जनवरी को विजिटर वीजा पर कनाडा पहुंचा था। इसके छह दिन के बाद परिवार अमेरिका-कनाडा सीमा पर बसे एमरसन कस्बे में था, जहां सर्दियों में रात का तापमान आमतौर पर माइनस 35 डिग्री तक पहुंच जाता है। चूंकि इन्हें अमेरिका जाना था और वहां का वीजा था नहीं। दिन में पकड़े जाने का डर था, इसलिए माना जाता है कि हाड़ कंपाती रात को यह परिवार पैदल ही अमेरिका की सीमा को पार करने निकला होगा। इन चारों के शव अगले दिन • अमेरिका की सीमा से 12 मीटर पहले ही बर्फ में मिले।
बाद में गुजरात पुलिस की तफ्तीश से खुलासा हुआ था कि इन्होंने कुछ एजेंटों के बहकावे में आकर यह रास्ता चुना था। पटेल ऐसा करने वाले अकेले नहीं थे। वे दुर्भाग्यशाली थे, जो अमेरिका में प्रवेश नहीं कर पाए। लेकिन प्यू रिसर्च के अनुसार भारत से हर साल 7 लाख से भी अधिक लोग अवैध रास्तों से अमेरिका पहुंच जाते हैं। कई हजार लोग ब्रिटेन या कनाडा भी जाने की कोशिश करते हैं। इन्हीं रास्तों या तरीकों को 'डंकी रूट' कहा जाता है। यह खेल तो सालों से चल रहा है, लेकिन हाल ही में राजकुमार हिरानी निर्देशित फिल्म 'डंकी' की वजह से ये ज्यादा चर्चा में आया है।
क्या है डंकी रूट Dunki Route / Donkey Route
डंकी मूलतः पंजाबी शब्द 'दुनकी' से आया है, जिसका अर्थ होता है रुक-रुककर एक जगह से दूसरी जगह होते हुए मूव करना। इसका अर्थ खासकर विभिन्न स्थलों के जरिए अवैध तरीकों से गंतव्य देश में प्रवेश करना होता है। उदाहरण के लिए ब्रिटेन जाने की कोशिश करने वाले यूरोपियन यूनियन का टूरिस्ट वीजा हासिल करके ऐसा करते हैं। अमेरिका जाने वाले कनाडा का वीजा प्राप्त कर अथवा निकारागुआ या इक्वेडोर में 'वीजा ऑन अराइबल' प्राप्त कर पहले मैक्सिको और फिर वहां से अमेरिका घुसने का प्रयास करते हैं।

50 हजार मृत या लापता
चूंकि अवैध आप्रवास कभी भी सीधे रास्तों से नहीं होता। इसके लिए एजेंट्स ऐसे दुरुह रास्ते तलाशते हैं, जहां कदम-कदम पर खतरे होते हैं। इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन (आईओएम) का आकलन है कि साल 2014 से अब तक अमेरिका या यूरोपियन यूनियन के देशों में पहुंचने के फेर में 50 हजार से भी ज्यादा आप्रवासी या तो मारे गए हैं या लापता हैं।
4600 किमी लंबा रूट कई देशों से गुजरता है usa donkey route / america donkey route / donkey route to usa from india / india to usa donkey route / Dunki Route / Donkey Route
- दिल्ली से करीब 14 हजार किमी दूर लैटिन अमेरिकी देश इक्वेडोर जाया जाता है। इसके लिए फ्लाइट ली जाती है। वीजा ऑन अराइवल की वजह से वहां का वीजा मिलने में कोई दिक्कत नहीं होती।
- इक्वेडोर में उतरने के बाद सबसे पहला लक्ष्य कोलंबिया पहुंचना होता है। यह रास्ता आमतौर पर समुद्र मार्ग से तय किया जाता है। कुछ लोग बस या टैक्सी से भी जाते हैं।
- कोलंबिया से अगला पड़ाव कोस्टारिका । पनामा होते हुए वहां पहुंचा जाता है। पनामा पहुंचने से पहले खतरनाक जंगल डेरियन गैप आता है, जो पैदल पार किया जाता है।
- कोस्टारिका से अगला पड़ाव निकारागुआ होता है। इसे या तो बस से अथवा बोट से भी तय किया जाता है।
- निकारागुआ से होंडुरास और फिर ग्वाटेमाला होते हुए मैक्सिको की सीमा तक पहुंचा जाता है। मैक्सिको यानी गेटवे ऑफ अमेरिका । अमेरिका पहुंचने से पहले का अंतिम पड़ाव ।
- अगली चुनौती मैक्सिको-अमेरिका सीमा तक जाने की होती है। मैक्सिको सेक्युरिटी फोर्स से बचने के लिए आमतौर पर रेगिस्तान का रास्ता पकड़ा जाता है।
- मैक्सिको-अमेरिका सीमा 3,140 किमी लंबी है। यहां के बड़े क्षेत्र में दीवार बनी हुई है। इसी को पार करके अमेरिका में प्रवेश किया जाता है।
- जो लोग दीवारों को पार नहीं कर पाते, वे बॉर्डर के समांतर बहती रियो ग्रांड नदी को पार करने का खतरनाक रास्ता चुनते हैं। कई लोग मारे जाते हैं।
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