Be Positive : हम मनुष्यों को भगवान की सबसे अद्भुत रचना माना जाता है। कहते हैं कि मनुष्य की रचना करने के पश्चात भगवान ने नई रचना रचने वाला सांचा ही तोड़ दिया। उस लिहाज से हम सभी कितने अमूल्य हैं परंतु क्या हमें इसका इल्म भी है? शायद नहीं! क्योंकि वर्तमान दुनिया में केवल दुःख, अशांति और भ्रष्टाचार ही चारों ओर दिखाई दे रहा है।

ऐसे में जब हम व्यक्तिगत, व्यवसायी एवं शैक्षणिक आदि समस्याओं से जूझ रहे हैं, तब ज्ञानी-गुणी आत्माओं द्वारा हमें एक ही सलाह प्राप्त होती है कि 'सकारात्मक बनो' जिसे अंग्रेजी में कहते हैं 'बी पॉजिटिव'।
'पॉजिटिव' कैसे बनें, समस्त विश्व में इस पर अनगिनत किताबें, प्रवचन एवं शोध हुए हैं, हो रहे हैं और होते रहेंगे पर मन में सहज ही एक प्रश्न उठता है कि क्या' पॉजिटिव' बनना इतना आसान है ? हर कोई क्या चुटकी में पॉजिटिव बन सकता है? अब यह तो वही जाने, जो अनुभव करे, क्योंकि शक्कर की मिठास तो खाने वाला ही जानता है।
मनोचिकित्सकों के अनुसार, यह सिद्ध किया गया है कि 'नकारात्मकता' हमारे अंदर व्यर्थ संकल्प पैदा करती है और हमारे संकल्पों की गति एवं वृद्धि को बढ़ाती है, जिसके फलस्वरूप हमारे संकल्पों की गुणवत्ता कम हो जाती है और उसी के साथ-साथ हमारा जीवन भी बेकार हो जाता है। इसके बिल्कुल विपरीत 'आत्म अनुभूति' एवं 'सकारात्मक विचारधारा' हमें इस सनातन सत्य से अवगत कराती है कि जैसे प्रेम, शांति, आनंद, सुख हमारे जीवन में सदा स्थायी नहीं, इसी प्रकार अहंकार, क्रोध, ईर्ष्या एवं नफरत जैसे नकारात्मक गुण भी स्थायी नहीं।
यदि इस विश्व में अनंत कुछ है तो वह है 'ज्योतिबिंदु आत्मा' जो अजर और अमर है। अत: हम सभी के लिए 'अंतर यात्रा' करना अनिवार्य है, जिसके बिना हम जीवन रूपी 'बाह्य यात्रा' का सुख नहीं ले पाएंगे।
आत्म अनुभूति हमें सहज ही भूतकाल में की हुई गलतियों को भुलाकर उसे अनुभव के रूप में संजोकर आगे बढ़ने में मदद करती है। जब हम अपनी गलतियों से सीखना शुरू कर लेते हैं, तब सही मायनों में हमें जीवन का सार समझ में आ जाता है कि 'जो हुआ अच्छा हुआ, जो हो रहा है अच्छा हो रहा है और आगे जो होगा वह अच्छा ही होगा।'
अतः जो अपनी की हुई गलतियों से सीखने की इच्छाशक्ति रखते हैं, वे निष्फलता को भी सफलता में परिवर्तित कर लेते हैं। ऐसे जीवन के हर मोड़ पर सीखते-सिखाते सफलता को हासिल करते- करते हमारे अंदर 'सकारात्मकता' का गुण स्वाभाविक और सहज ही आ जाएगा और हमारे इस स्वाभाविक गुण से हम औरों को भी प्रेरित कर उन्हें भी नकारात्मकता से सम्पूर्ण मुक्ति दिला सकेंगे।
तो ! आज से, अभी से 'बी पॉजिटिव', 'सी पॉजिटिव' और 'टॉक पॉजिटिव'।
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