इंसान के मन में कई भावनाएं छुपी होती हैं। भावनाएं एक तरह से हमारे जीवन की संचालक होती हैं। यह भी सच है कि इमोशन्स पॉपअप बटन की तरह होते हैं, जिन्हें दबाने से नैगेटिव या पॉजिटिव रिएक्शन होता है। इंसान हमेशा अपने साथ 'इमोशनल बैगेज' यानी अतीत की कड़वी यादों को लेकर चलता है, जो सिर्फ उसे तकलीफ ही देती हैं। ये सब उसके भविष्य के साथ-साथ उसे मानसिक रूप से भी तबाह कर सकता है।

अतीत के कड़वे अनुभव शारीरिक शोषण, तलाक, बेवफाई, धोखा, गलतफहमी या खुद से हुई किसी भूल से संबंधित हो सकते हैं। जब दोबारा कोई अच्छा अवसर हमारे दरवाजे पर दस्तक देता है तो हम अक्सर दरवाजा खोलने से डरते हैं कि कहीं फिर से पहले जैसा न हो जाए। आप और हम चुनौतियों का सामना करने से डरते हैं और यही सोचते हैं कि लोग क्या कहेंगे? जब किसी पर कभी ऐसी स्थिति आती है तो भावनाएं अलग-अलग रूपों में व्यक्त होने लगती हैं। अकेले में रोना, किसी से बात करने को मन न करना या चिड़चिड़ापन होना आम बातें हैं। जरा सा मन भटका नहीं कि पुरानी यादों के चित्र आंखों के सामने घूमने लगते हैं :
इस समस्या से कैसे निपटें :
यदि हम पुरानी यादों से बाहर न निकल पाएं तो ये हमें और हमारी जिदगी दोनों को खत्म कर देंगी। इन्हें दूर हटा फैंकने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है :
* बीती बातों को सपना समझ कर भूल जाएं और अपनी सुखद यादों में जिएं। यह सोचें कि आज आप कितने सफल हैं, जो भी आप पाना चाहते थे, वह सब आपके पास है। ऐसा सोचेंगे तो आपके मन से नैगेटिव इमोशंस स्वयं ही दूर हो जाएंगे।
* बीती बातों के लिए स्वयं को जिम्मेदार न समझें। जब भी ऐसी भावना मन में आने लगे तो अपनी अच्छी बातों और यादों के बारे में सोचें, स्वयं से प्यार करने का प्रयत्न करें।
* यदि एक बार कोई रिश्ता टूट गया हो या गलत साथी जिंदगी में आ गया हो तो इसका अर्थ यह नहीं कि दोबारा भी वही होगा। अगली बार सावधानी से साथी का चुनाव करें। अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और फैमिली मैंबर्स से संपर्क में रहें, ताकि अपनों के बीच पिछला कुछ भी याद न कर पाएं।
* यदि किसी ने आपके मन को ठेस पहुंचाई हो या धोखा दिया हो तो इस बात को रबड़ की तरह खींचने की बजाय उस व्यक्ति को माफ कर दें। जब तक आप माफी नहीं देंगे तब तक बीती बातों को भी नहीं भुला पाएंगे।
* यदि आपको लगे कि बहुत कोशिशों के बाद भी आप बीती बातों को भूलने में नाकाम हो रहे हैं तो किसी प्रोफैशनल की मदद लेने में संकोच न करें। मैडीटेशन द्वारा भी आपको बहुत मदद मिल सकती है।
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