एक बार राजा कृष्णदेव राय अपने मंत्रियों के साथ राज दरबार में बैठे हुए थे। तभी एक अजीब मामला उनके सामने आया। 2 महिलाएं आपस में लड़ती हुई दरबार में आईं। उनमें से एक महिला के पास 2 साल का बालक भी था। दोनों महिलाएं बोल रही थीं कि यह बालक उनका है और उनकी पहचान का कोई भी नहीं था जो यह साबित कर सके कि आखिर उन दोनों में से उस बालक की असली मां कौन है ?
सभी मंत्री अपनी-अपनी राय देने लगे लेकिन उस समस्या का हल नहीं निकल पाया। तेनाली राम ने काफी देर तक सोचा और फिर एक जल्लाद को बुलाने का आदेश दिया। तेनाली राम बोला-महाराज ये दोनों महिलाएं ही इस बच्चे की मां होने का दावा कर रही हैं और इस मामले को सुलझाना संभव नहीं है। इसलिए क्यों न इस बच्चे के दो टुकड़े कर दिए जाएं और दोनों को आधा-आधा दे दिया जाए, जिससे दोनों को बराबर का हिस्सा मिल जाएगा। इसलिए मैंने जल्लाद को भी बुला लिया है।
यह सुनकर एक महिला बोली, "महाराज! आप इस बच्चे को इस महिला को दे दीजिए। मैं बच्चे के •बिना रह लूंगी।" यह सुनते ही तेनाली राम ने सैनिकों को आदेश दिया कि दूसरी महिला को बंदी बता लिया जाए। तेनाली राम बोला, "महाराज कोई भी मां अपने बच्चे का बुरा नहीं देख सकती। इसलिए यह महिला उस बच्चे पर अपना हक छोड़ने को तैयार है।" इसका अर्थ यह है कि यह महिला ही उस बच्चे' की असली मां है।
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