स्वादिष्ट खान-पान की भारतीय परम्परा में कंदमूल को सर्वश्रेष्ठ आहार माना गया है। जिमीकंद मौसमी कंदमूल है, जो पहाड़ी क्षेत्रों में दीपावली के आसपास बाजार में आता है। मैदानों में भी यह उगाया जाता है लेकिन इसकी शक्ल और स्वाद थोड़ा अलग होता है।
स्वाद के मामले में पहाड़ी जमीन में उगाया जिमीकंद बेहतर होता है। मिट्टी, खनिज, जलवायु, पानी और खाद के कारण ही स्वाद अलग रहता है।
जिमीकंद, टेपियोका या कापा नहीं है। टेपियोका कचालू जैसा लम्बा, अंदर से क्रीमी-सफेद होता है।
🌰 पोषण से भरपूर
यह अनूठा कंदमूल है, जिसमें फाइबर, विटामिन सी, विटामिन बी 6, विटामिन बी-1, फॉलिक एसिड, पोटाशियम, लौह, मैग्नीशियम, कैल्शियम, स्टार्च और फास्फोरस भी पाया जाता है । जिस चीज में इतना कुछ होगा, वह खास क्यों न होगी।
🌰 कहां से आया भारत
जिमीकंद को ओल, सूरन, हाथी पांव भी कहते हैं । जिमीकंद दक्षिण अमरीका से केरल आया। अकाल के समय, केरल के एक शासक ने इसे वहां से मंगवाया था। तभी से इसे भारत में खाया जा रहा है।
जिमीकंद की तासीर गर्म होती है, इसलिए सर्दी में ही खाया जाता है।
जिमीकंद एक स्वादिष्ट भोज्य पदार्थ होने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी उत्तम है। इसे खाने से मोटापे, हृदय रोग तथा त्वचा रोगों से निजात मिलती है।
🌰 सब्जी बनाते समय रखें ध्यान
जिमीकंद की सब्जी पकाना पाक कला की किताब का मेहनत भरा पृष्ठ लिखना है। खाते समय गले में खुजली न हो, इसलिए इसे नींबू, बड़ी हरड़ डालकर उबाला जाता है। छिलका उतार कर तला जाता है। सरसों के तेल में तला हुआ जिमीकंद अच्छा माना जाता है, जिसे अधिक दिन रखा जा सकता है।
मैदानी जिमीकंद को बहुत से लोग काटकर सामान्य तरीके से पका लेते हैं क्योंकि उसमें चर - चरापन नहीं होता। जिमीकंद का स्वाद तलने से निखरता है। - इसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काट कर तलना चाहिए ताकि पूरा टुकड़ा मुंह में आ सके 1 और सब्जी छौंकने से पहले टुकड़ों को गर्म पानी में कई बार जरूर धो लें ताकि इनकी चिकनाहट कम हो जाए।
उम्दा ग्रेवी किसी भी बढ़िया सब्जी की जान, शान और जरूरत होती है। जिमीकंद की शाही सब्जी की स्वादिष्ट ग्रेवी का मसाला खास बनाने के लिए टमाटर, प्याज, लहसुन, अदरक को उचित मात्रा में भूनकर अच्छी तरह से दही डालकर इतना तलें कि मसाला तेल छोड़ने लगे। फिर जिमीकंद के टुकड़ों को इसमें डालें । तरी में आकर्षक लाल रंगत के लिए देगी मिर्च जरूर इस्तेमाल करें और परोसते समय हरे धनिए से इसे सजाएं।
तहजीब के शहर लखनऊ में जिमीकंद रसोई का खास हिस्सा रहा है। कुछ परिवारों में केवल पुरुष ही मांसाहारी होते थे, उनमें विशेषकर महिलाओं के लिए ही जिमीकंद का लजीज व्यंजन तैयार किया जाता था ।
बात सही है, जिमीकंद की सब्जी अगर उम्दा बन जाए तो चिकन से कम नहीं रहती । पकाने वाले इसकी रंगत ऐसी बना देते हैं कि इसका रंग-रूप मांसाहारी डिश से कम न लगे।
ऐसा तो हिमाचली परिवारों में भी होता रहा है। कई दशक पहले जिन परिवारों में शादियों में मटन पकाया जाता था, शाकाहारी मेहमानों के लिए जिमीकंद - मटर की खास सब्जी बनाई जाती थी।
उन दिनों में मटर पनीर या पनीर के अन्य व्यंजनों का आम चलन कम था। पंजाब में भी जिमीकंद को मटर के साथ बनाया जाता रहा है।
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