वैज्ञानिकों ने सर्दी-जुकाम, खांसी तथा छींके आना जैसे रोगों का इलाज अभी ढूंढना है। फिर भी आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के कुछ अजीब ढंग हैं, जो यह बात सुनिश्चित बनाते हैं कि सर्दी में भी आपका शरीर ऐसे रोगों से लड़ने में सक्षम रहे।
यकीनन संतुलित भोजन करना तथा पर्याप्त नींद लेना जैसी आम सलाहें हमें अक्सर मिलती रहती हैं, परंतु रोगाणुओं से लड़ने के कुछ अन्य तरीके भी हैं।
कई शोधों से यह सिद्ध हुआ है कि गले में माऊथ स्प्रे छिड़कने से जुकाम होने का खतरा कम होता है और इसकी अवधि भी कम होती है। यह स्प्रे एक एंजाइम के साथ एक सुरक्षात्मक परत बनाता है, जो इस रोग से जुड़े प्रोटीन्स को तोड़ती है।

जब सर्दी-जुकाम होता है तो हमें हमेशा विटामिन 'सी' लेने का सुझाव दिया जाता है, परंतु डाक्टरों के अनुसार विटामिन 'डी' जुकाम तथा फ्लू के लिए बेहतर हो सकता है। फिनलैंड तथा जापान में हुए अध्ययनों में पाया गया है कि विटामिन 'डी' की पर्याप्त मात्रा का सेवन करने वालों में श्वास प्रणाली संबंधी रोगों का खतरा कम रहता है। ऐसा इसलिए क्योंकि विटामिन 'डी' एंटीवायरल तथा एंटी बैक्टीरियल प्रोटीन्स के निर्माण में सहायक होता है।
अमरीका की कार्नेगी मैलन यूनिवर्सिटी में शोधकर्त्ताओं ने पाया कि जो लोग नियमित तौर पर अपने परिवार, मित्रों, सहकर्मियों तथा पड़ोसियों से मिलते हैं, उनमें सर्दी-जुकाम से लड़ने की क्षमता अधिक होती है।
हालांकि संतरे तथा अन्य फलों के जूस विटामिन 'सी' की थोड़ी सी मात्रा और कुछ नमी उपलब्ध करवाते हैं, परंतु इनमें नुक्सानदायक शुगर्स मौजूद होती हैं, जो आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता में रुकावट पैदा करती हैं। इसलिए हाईड्रेट रहने हेतु हर्बल टी तथा पानी का अधिक सेवन करें। कैमोमाइल टी एक बढ़िया विकल्प है क्योंकि इसमें 'हिप्यूरेट' नामक एक यौगिक मौजूद होता है, जो विभिन्न संक्रमणों से लड़ने में सहायक होता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता का 70 प्रतिशत आपके पेट में मौजूद होता है। पेट में मौजूद 'बाइफिडो' नामक अच्छा बैक्टीरिया आपके संक्रमणों से लड़ने में सहायक सिद्ध होता है। क्लीनिकल अध्ययनों में पाया गया है कि 'बाइम्यूनो प्रीबायोटिक' के सेवन से लाभदायक'बाइफिडो' बैक्टीरिया में वृद्धि होती है और वृद्धों की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर इसका सीधा सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
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