'रागी' - पोषक तत्वों का खजाना :इसे वानस्पतिक भाषा में एल्यूसाइनी कोराकाना तथा साधारण भाषा में रागी, फिंगर मिलेट, अफ्रीकन मिलेट आदि नामों से जाना जाता है। यह एकवर्षी गुच्छित घास है। रागी का मूल स्थान भारत या अफ्रीका समझा जाता है तथा अपने लक्षणों से यह एक ऊष्ण- कटिबंधीय पौधा है।
यह पूर्वी अफ्रीका, इथोपिया एवं सोमालीलैंड में एक मुख्य खाद्य है। इसका वहां प्रयोग माल्ट एवं मदिरा बनाने के काम में किया जाता है।
रागी की खेती मुख्यतः दक्षिण भारत में मैसूर, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब एवं राजस्थान के कुछ क्षेत्रों में भी होती है। राजस्थान के आदिवासी क्षेत्रों में यह एक महत्वपूर्ण खाद्य है।
उपयोग : रागी का पोषक मान
चावल से अधिक एवं गेहूं के पोषक मान के बराबर होता है। रागी तमिलनाडु, महाराष्ट्र एवं उत्तरी भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में किसानों का मुख्य खाद्य I साधारणतः इसका आटा बनाया जाता है, जिससे रोटी, दलिया, डोसा आदि बनाए जाते हैं। रागी के दाने का माल्ट भी तैयार किया जाता है तथा इस माल्ट के आटे का उपयोग शिशुओं एवं रोगियों के लिए पोषक खाद्य के रूप में किया जाता है।
रागी की भूसी का भार दाने के भार का केवल 5-6 प्रतिशत होता है। इसके दाने में 7 प्रतिशत प्रोटीन, 1.5 प्रतिशत वसा तथा 5.4 मिलीग्राम कैरोटीन के अलावा विटामिन बी2 भी कुछ मात्रा में होता है। इसका आयोडीन अंश 101 माइकोग्राम / कि.ग्रा. है जो खाद्य दानों में सबसे अधिक होता है।
रागी में कैल्शियम, फासफोरस एवं लोहा प्रचुर मात्रा में होता है। रागी परम्परा से एक पौष्टिक और अभिरक्षक खाद्य के रूप में प्रसिद्ध रहा है।
रागी का व्यापारिक इस्तेमाल कुछ लैबोरेटरी तथा अन्य औद्योगिक इकाइयों द्वारा किया जा रहा है। रागी का फूस
पशुओं के लिए पोषक चारा भी है। डायबिटीज में भी फायदेमंद यह डायबिटीज के रोगियों के लिए विशेष रूप से लाभदायक खाद्य बताया गया है। आपको अगर डायबिटीज है तो आप अपने आहार में रागी को शामिल कर सकते हैं। एक शोध के अनुसार रागी में डायबिटीज विरोधी विशेष गुण पाए जाते हैं। ये गुण टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को कम करने में खासतौर पर सहायक हो सकते हैं।
रागी मैग्नीशियम सामग्री से भरपूर होता है। मैग्नीशियम हमारे शरीर के इंसुलिन प्रतिरोध को कम करता है और इस प्रकार ब्लड शुगर लैवल को नियंत्रित रखने में मदद करता है।
इस तरह कर सकते हैं भोजन में रागी को शामिल
आमतौर रागी को पीसकर या अंकुरित अवस्था में खाते हैं। आप रागी का सेवन रोटी के तौर पर कर सकते हैं। इसे 7:3 के अनुपात में गेंहू के आटे के साथ मिलाएं और फिर इसकी रोटी" बनाकर खाएं। इसकी इडली भी बनाई जा सकती है।
अगर इसका नियमित सेवन किया जाए तो यह शरीर में खून की कमी को भी पूरा करता है। रागी के दाने बहुत ही छोटे होते हैं, इसलिए इसे पॉलिश या प्रोसैस करने की संभावना नहीं होती जिस वजह से इसमें मिलावट की भी सम्भावना भी नहीं रहती है।
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