विवाह को सात जन्मों का बन्धन माना जाता है। शादी के बाद इस रिश्ते को ताउम्र विश्वास और प्रेम के सहारे निभाना पड़ता है। कांच से ज्यादा नाजुक इस रिश्ते को निभाना कभी-कभी मुश्किल नजर आने लगता है।
आधुनिकता की दौड़ में भाग रहा युवा इस बंधन के महत्व को अनदेखा करने लगा है। उसके लिए शादी का रिश्ता मजाक बन कर रह गया है। ऐसा भी देखा जाने लगा है कि इस रिश्ते को करने के लिए झूठ का सहारा लिया जाने लगा है।

ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां शादी के लिए लड़के या लड़की पक्ष वाले झूठ बोल देते हैं, जिसका असर उनकी जिंदगी पर पड़ता है। यह गलत है। झूठ का सहारा लेकर किए गए रिश्ते दुख ही देते हैं।
विवाह सम्बन्धों के वक्त आमतौर पर कुछ ऐसे झूठ बोले जाते हैं जो अब सामान्य से लगने लगे हैं। जैसे- लडके या लड़की की उम्र कम बताना, लड़की के गुणों की बढ़ा- चढ़ाकर प्रशंसा करना, लड़के की पढ़ाई, नौकरी या फिर उसकी कमाई दो-तीन गुना बता देना, लड़के-लड़की की बीमारियों को छिपाना, उनकी आदतों, चाल-चलन के बारे में गलत जानकारी देना ।
कई बार तो माता-पिता कमियां जानने के बावजूद इस सोच में बच्चों की शादी तय कर देते हैं कि शायद शादी के बाद सब ठीक हो जाएगा लेकिन ऐसा नहीं होता।
अगर आपका बेटा या बेटी अपनी पसन्द से शादी करना चाहते हैं तो उन्हें स्वीकार कीजिए। अपनी मर्जी या जिद से यदि आपने उनकी शादी कहीं और कर दी तो तय है दो जिन्दगियां और दो परिवार बर्बाद हो जाएंगे। यह भूल कभी न करें। एक झूठ से कई जिन्दगियां बर्बाद हो जाती हैं। दोनों पक्षों को सही जानकारी का आदान-प्रदान करना चाहिए।
सभी बातों के बाद अगर वे राजी होते हैं तो रिश्ता पक्का करना चाहिए। एक बार शादी हो जाए, फिर सब ठीक हो जाएगा, ऐसा सोचकर झूठी-सच्ची बातें बनाकर तय किए गए संबंधों का नतीजा कभी भी अच्छा नहीं होता।
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