सेहत और रोग - इन दोनों ही स्थितियों का सीधा संबंध हमारी अच्छी-बुरी आदतों से होता है। अच्छी आदतें रोगमुक्त, स्वस्थ, सुंदर व सुडौल काया और लम्बी आयु प्रदान करती हैं, जबकि बुरी आदतें नाना प्रकार के रोग-विकारों का शिकार बनाकर अल्पायु में ही मौत का कारण बनती हैं। इसलिए अति आवश्यक है कि हम अच्छी आदतों को उत्साहपूर्वक अपनाएं और बुरी आदतों से आजीवन लम्बी दूरी बनाकर रखें।

'अर्ली टू बैड एंड अर्ली टू राइज'
सुबह 4-5 बजे के बीच ब्रह्म मुहूर्त में बिस्तर का परित्याग करके जाग जाना सर्वाधिक स्वास्थ्यप्रद आदत है। नित्यकर्म से निवृत्त होकर इस समय सैर करना लम्बी आयु का राज है।
शयन-जागरण के संदर्भ में पूर्णतया सजग रहने से मेटाबॉलिज्म सही और सामान्य स्थिति में बना रहता है, हार्मोनल संतुलन बना रहता है, गैस्ट्रिक, बदहजमी, अपच व कब्ज की शिकायत दूर रहती है, व्यक्ति दिनभर प्रसन्नचित व तरोताजा बना रहता है, कार्यक्षमता में वृद्धि होती है, एकाग्रता बढ़ जाती है, स्मरण शक्ति में बढ़ौतरी होती है।
प्रतिदिन व्यायाम तथा योगासन करें
सुबह नियमित रूप से शारीरिक सक्रियता हेतु व्यायाम करें। योग को दिनचर्या में अवश्य शामिल करें। इससे शरीर के अंग-प्रत्यंग परिपुष्ट, सबल, लोचदार व स्वस्थ होते हैं, मांसपेशियां मजबूत होती हैं, शरीर में वसा का अनुपात संतुलित रहता है, मोटापे की समस्या दूर रहती है, रग-रग में पर्याप्त रक्त संचार होने से ब्लडप्रैशर, मधुमेह जैसी समस्याओं का प्राकृतिक • रूप से बिना किसी औषधि के ही निवारण होने लगता है तथा शारीरिक दुर्बलता व मानसिक रोग दूर होते हैं। योग से स्वभाव में सहजता, स्थिरता, प्रसन्नता का समावेश होता है।
पौष्टिक नाश्ता अवश्य करें
सुबह के पौष्टिक नाश्ते में सेहत का राज छिपा रहता है, अत: इसे नजरअंदाज करना सबसे खराब आदत है। रात्रि विश्राम की लम्बी अवधि के बाद शरीर में ग्लूकोज का स्तर कम हो जाता है। सुबह का पौष्टिक नाश्ता इस स्तर को कायम रखता है, जिससे दिनभर न सिर्फ कार्यों के लिए भरपूर शक्ति उपलब्ध होती है, बल्कि शरीर में चुस्ती-स्फूर्ति, शक्ति व ताजगी के साथ मानसिक खुशी और भावनात्मक स्थिरता बनी रहती है। कहा भी गया है, 'सुबह का नाश्ता राजा की तरह करना चाहिए, दोपहर का भोजन कंजूस की तरह और रात का भोजन भिखारी की तरह ।'
प्रतिदिन सुबह-शाम टहलें
प्रतिदिन सुबह-शाम आधे घंटे का भ्रमण एक स्वस्थ आदत है। ज्यादा पैदल चलने वाले लोग अधिक प्रसन्न रहते हैं। प्रतिदिन नियमित रूप से टहलने से जीवन के कई वर्ष बढ़ जाते हैं। चाहे तेजी से या रुक-रुक कर, हर तरह से टहलना लाभदायी है। पैदल चलने वाले प्रसन्न, सक्रिय और संतुष्ट रहते हैं। पैदल चलने सें तनाव, डिप्रैशन दूर होता है, इसलिए बहाने न ढूंढें और प्रतिदिन कम से कम 10 हजार कदम पैदल टहलने की आदत डालें।
रात्रि जागरण को अलविदा कहें
प्रकृति ने रात सोने के लिए और दिन काम करने के लिए बनाया है। अत: न तो रात में देर से सोएं और न ही भूल से रात्रि जागरण करें। 8 घंटे की भरपूर, गाढ़ी और पर्याप्त नींद जरूर लें। यदि किसी विशेष कारण से किसी रात जागरण हो भी जाए तो अगले दिन पर्याप्त सोकर नींद की कमी को हर हाल में पूरा कर लें। अच्छी तरह चबा-चबाकर भोजन करें
अच्छे से चबा-चबाकर भोजन ग्रहण करना अच्छी आदत है। दांतों का काम आंतों से लेना हर हाल में नुक्सानदेह होता है। इससे आवश्यक लार खाद्य सामग्रियों से मिल नहीं पाती, जिससे पाचन ठीक से नहीं हो पाता। रात्रि भोजन के बाद कम से कम 20 मिनट तक चहलकदमी जरूर करनी चाहिए।
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