विश्व के सभी देशों के संविधानों को परखने और उनका अध्ययन करने के बाद भारत का संविधान लिखा गया, जिसे 26 नवम्बर, 1949 को संविधान बनाने वाली सभा ने कई चर्चाओं और संशोधनों के बाद आखिरकार अंगीकार किया। संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अम्बेडकर के 125वीं जयंती वर्ष के रूप में 26 नवम्बर, 2015 को पहली बार भारत सरकार द्वारा संविधान दिवस सम्पूर्ण भारत में मनाया गया तथा तब से प्रत्येक वर्ष इसे मनाया जा रहा है। पहले इसे राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में मनाया जाता था। इस दिन संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर को याद किया जाता है।

संविधान सभा का गठन
आजादी से पहले ही कैबिनेट मिशन प्लान के तहत संविधान सभा का गठन किया गया। इसमें डा. राजेंद्र प्रसाद को इसका सभापति और डा. बी. आर. अम्बेडकर को प्रारूप समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार करने के लिए 13 समितियों का गठन हुआ। शुरू में संविधान सभा में कुल 389 सदस्य थे।
प्रोविंसेज के 292 प्रतिनिधि, राज्यों के 93 प्रतिनिधि, चीफ कमिश्नर प्रोविसेज के 3, बलोचिस्तान के 1 प्रतिनिधि शामिल थे। बाद में मुस्लिम लीग ने खुद को इससे अलग कर लिया जिसके बाद संविधान सभा के सदस्यों की संख्या 299 रह गई।
2 वर्ष 11 महीने 18 दिन में बनकर तैयार हुआ
दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान होने के आधार पर ही भारत को दुनिया का सबसे बड़ा गणतंत्र कहा जाता है। भारतीय संविधान जब बना तो उसमें 395 अनुच्छेद 22 भागों में विभाजित थे। यह 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन में बनकर तैयार हुआ था। जनवरी 1948 में संविधान का पहला प्रारूप चर्चा के लिए प्रस्तुत किया गया। 4 नवम्बर, 1948 से शुरू हुई यह चर्चा लगभग 32 दिनों तक चली थी। इस अवधि के दौरान 7635 संशोधन प्रस्तावित किए गए, जिनमें से 2,473 पर विस्तार से चर्चा हुई।
26 जनवरी, 1950 को हुआ लागू 26 नवम्बर, 1949 को संविधान को संबिधान
सभा द्वारा अपना लिए जाने के बाद संविधान सभा के 284 सदस्यों ने 24 जनवरी, 1950 को संविधान पर हस्ताक्षर किए। इसके बाद 26 जनवरी को इसे लागू कर दिया गया। कहा जाता है कि जिस दिन संविधान पर हस्ताक्षर हो रहे थे, उस दिन दिल्ली में खूब जोर की बारिश हो रही थी।
टाइपिंग नहीं कलम से लिखी गई मूल प्रति
भारतीय संविधान की मूल प्रति हिंदी और अंग्रेजी दोनों में ही हस्तलिखित है। इसमें टाइपिंग या प्रिंट का इस्तेमाल नहीं किया गया था। दोनों ही भाषाओं में संविधान की मूल प्रति को प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने लिखा था। रायजादा का खानदानी पेशा कैलिग्राफी का था।
उन्होंने नम्बर 303 के 254 पैन होल्डर निब का इस्तेमाल कर संविधान के हर पेज को बेहद खूबसूरत इटैलिक लिखावट में लिखा है।
इसे लिखने में उन्हें 6 महीने लगे थे। जब उनसे मेहनताना पूछा गया तो उन्होंने कुछ भी लेने से इंकार कर दिया था। उन्होंने सिर्फ एक शर्त रखी कि संविधान के हर पृष्ठ पर वह अपना नाम लिखेंगे और अंतिम पेज पर अपने नाम के साथ अपने दादा का भी नाम लिखेंगे।
हीलियम गैस से भरे केस में रखी है मूल प्रति
संविधान के हर पेज को आचार्य नंदलाल बोस ने चित्रों से सजाया है। इसके अलावा इसके प्रस्तावना पेज को सजाने का काम राम मनोहर सिन्हा ने किया। वह नंद लाल बोस के ही शिष्य थे। संविधान की मूल प्रति भारतीय संसद की लाइब्रेरी में हीलियम से भरे केस में रखी गई है।
क्या है संविधान की परिभाषा
किसी भी देश का संविधान लिखित नियमों का एक ऐसा ग्रंथ या पुस्तक होता है, जिसकी वजह से भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में रहने वाले लोगों (नागरिकों) के बीच के आपसी संबंध तय होते हैं। इसके साथ-साथ लोगों और सरकार के बीच के संबंध भी तय होते हैं। अन्य शब्दों में कहें तो संविधान में कुछ ऐसे सिद्धांत तथा नियम तय कर लिए गए हैं, जिसके अनुसार देश का शासन चलाया जाता है। यही कारण है कि संविधान को सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।
संविधान में बच्चों के लिए अधिकार
भारतीय संविधान ने सभी बच्चों के लिए कुछ अधिकार निश्चित किए गए हैं, जिन्हें विशेष रूप से उनके लिए संविधान में शामिल किया गया है। जैसे कि -
* 6-14 वर्ष के आयु समूह वाले सभी बच्चों को अनिवार्य और निःशुल्क प्रारंभिक शिक्षा का अधिकार।
* 14 वर्ष की उम्र तक के बच्चे को किसी भी जोखिम वाले कार्य से सुरक्षा का अधिकार।
* आर्थिक जरूरतों के कारण जबरन ऐसे कामों में भेजना, जो उनकी आयु या क्षमता के उपयुक्त नहीं है, उससे सुरक्षा का अधिकार ।
* समान अवसर व सुविधा का अधिकार जो उन्हें स्वतंत्रता एवं प्रतिष्ठा पूर्ण माहौल प्रदान करे और उनका स्वस्थ रूप से विकास हो सके। साथ ही नैतिक एवं भौतिक कारणों से होने वाले शोषण से सुरक्षा का अधिकार ।
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