1947 में आजादी के बाद से अब 2023 के बीच 76 वर्षों के दौरान दिल्ली को कुछ न कुछ नया मिलता रहा है। लुटियंस दिल्ली के निर्माण के बाद दिल्ली के रंग-ढंग और तेवर तेजी से बदलते गए और बदलाव का दौर जारी है। शायद इतने बड़े पैमाने पर दुनिया के कम ही महानगर उभरे हैं।

50 का दशक ( History of Delhi in Hindi ):
1951 में दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी चालू हुई। इसी साल एशियाई खेलों की मेजबानी दिल्ली ने की। वर्ष 1952 में दिल्ली लैजिस्लेटिव असैम्बली का गठन हुआ और चौधरी ब्रह्म प्रकाश दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री बने। इसी साल पहले पहल ट्रैफिक डिलाइट्स का नैटवर्क दिल्ली में छा गया। इससे पहले चौक-चौराहों पर पुलिस वाले ही यातायात नियंत्रित करते थे। अप्रैल 1954 में सर गंगा राम अस्पताल मरीजों के लिए खुला। यह दिल्ली का पहला बड़ा प्राइवेट अस्पताल है।
1955 में, देश के पहले सरकारी पंचतारा होटल अशोक ने मेहमाननवाजी के लिए अपने दरवाजे खोले। सन् 1956 में एम्स शुरू हुआ और गहन रोगों के मरीजों के इलाज में अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएं मुहैया होना शुरू हुईं।
इसी दौरान, रिंग रोड का निर्माण हो रहा था, जो करीब-करीब पूरा हो गया। इसी पर बाद के दशकों में, डी.टी.सी. की बाहरी मुद्रिका सेवा का शुभारम्भ हुआ और एक कोने से दूसरे कोने में जाना-आना आसान हो गया।
1958 में नगर निगम का भी गठन हुआ जो दुनिया की सबसे बड़ी म्यूनिसिपल इकाइयों में से एक है। इसी वर्ष सुप्रीम कोर्ट की मुख्य इमारत भी बन कर तैयार हो गई। साथ ही तिहाड़ जेल भी बन गई। 1959 में ' दिल्ली चिड़ियाघर' खुला और 'दिल्ली मिल्क स्कीम' शुरू की गई। मोटे कांच की बोतलों में दूध बेचा जाने लगा। सुबह और शाम बूथों पर दूध की बोतलें लेने के लिए कतारें लग जातीं।
60 का दशक ( History of Delhi in Hindi )
1961 में दिल्ली में सिनेमा देखने वालों की जिन्दगी में बदलाव आया, जब देश का पहला 70 एम.एम. थिएटर 'शीला' खुला। अगले ही साल 1962 दिल्ली का पहला मास्टर प्लान बना और लागू हुआ। फिर 1966 आते-आते देश की पहली सुपर मार्कीट 'सुपर बाजार' दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस में खुली। पढ़ने-पढ़ाने की दुनिया में भी व्यापक बदलाव होते रहे। दिल्ली विश्वविद्यालय तो अंग्रेजों के जमाने से था, लेकिन 1969 में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी की शुरुआत हुई।
70 का दशक ( History of Delhi in Hindi )
यह दशक सिने मनोरंजन जगत में हलचल लेकर आया। साल 1970 आते ही दिल्ली को मिला आलीशान सिनेमा हाल 'चाणक्य', जिसका भव्य शुभारम्भ हुआ राज कपूर की पेशकश 'मेरा नाम जोकर' के प्रीमियर शो से। फिर 1971 में दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन का नामकरण हुआ। इससे पहले
पब्लिक बस सेवा दिल्ली ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग कहलाती थी। नवम्बर 1972 में प्रगति मैदान शुरू हुआ, जहां पहली दफा अंतर्राष्ट्रीय ट्रेड फेयर' एशिया 72' का आयोजन हुआ। साल 1974 ने दिल्ली वालों की जिन्दगी में दूध सप्लाई ने क्रान्ति ला दी। नैशनल डेयरी डिवैल्पमैंट बोर्ड के उपक्रम 'मदर 'डेयरी' के मिल्क बूथ हर कॉलोनी में खुलने लगे। 1978 में सी.पी. में अंडरग्राऊंड ए. सी. मार्कीट बनी।
80 का दशक ( History of Delhi in Hindi )
1982 में एशियाई खेलों की मेहमानवाजी के चलते दिल्ली को नए-नए फाइव स्टार होटल और फ्लाईओवर मिले। सबसे पहले डिफेंस कॉलोनी फ्लाईओवर बना। यह इसलिए भी खास है कि नीचे मार्कीट है और ऊपर वाहन दौड़ते हैं। 1983 में मारुति कारें दिल्ली की सड़कों पर दौड़ने लगीं।
1984 में प्रगति मैदान में देश का पहला एम्यूजमैंट पार्क 'अप्पू घर' खुला। अब यह बंद हो गया है। 1986 में दिल्ली को लोटस टैम्पल के तौर पर नया लैंडमार्क मिला। 1988 में पीतमपुरा टी.वी. टॉवर बनकर तैयार हुआ जिसकी ऊंचाई 235 मीटर है। यह दिल्ली का सबसे ऊंचा टॉवर है।
90 का दशक ( History of Delhi in Hindi )
नब्बे के दशक के बाद तो दिल्ली और तेज रफ्तार से बढ़ने लगी। 1997 में करोल बाग के निकट श्री हनुमान जी की 108 फुट ऊंची प्रतिमा के रूप दिल्ली की नई पहचान मिली। 1998 में दिल्ली मैट्रो के निर्माण का श्रीगणेश हुआ। 1999 में साऊथ एक्सटेंशन के नजदीक देश का पहला मॉल अंसल प्लाजा मॉल बना और चालू हुआ।
2000 का दशक ( History of Delhi in Hindi )
2001 में दिल्ली परिवहन निगम की तमाम बसें डीजल की बजाय सी. एन. जी. से चलने लगीं। दिसम्बर 2002 में दिल्ली मैट्रो अपने पहले रूट पर दौड़ने लगी और फिर तो मैट्रो फैलती गई। इसी दशक के साल 2005 में अक्षरधाम मन्दिर के किवाड़ भक्तों
के लिए खोले गए। 2010 में, कॉमनवैल्थ गेम्स के लिए दिल्ली सजधज गई। इसी साल दिल्ली नगर निगम के नए-नवेले हैडक्वार्टर सिविक सेंटर का उद्घाटन हुआ।
2010 के बाद ( History of Delhi in Hindi )
नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में यमुना के आर-पार हाई टैक पुल सिग्नेचर ब्रिज नवंबर 2018 में चालू हुआ। करीब पौने 700 मीटर लम्बे पुल को बनने में 8 साल लगे। 2023 में नए संसद भवन का निर्माण किया गया है। डी.टी.सी. ने 100 प्रतिशत इलैक्ट्रिक बसें सड़कों पर उतारीं और प्रगति मैदान में नया- नवेला सभागार 'भारत मंडपम' बन कर तैयार है।
Thankyou