Gayatri Mantra in Hindi गायत्री मंत्र, मंत्रों में भगवान नाम वाचक मंत्र सर्वश्रेष्ठ होते हैं। दुर्गम मार्गों को सुगम करने के लिए जिस प्रकार नदी-नालों पर सेतु बनाए जाते हैं, उसी प्रकार के मंत्र सब बाधाओं से मुक्ति तथा पूर्ण शक्ति प्रदान करते हैं।
आज के युग में जब धार्मिक जीवन क्षीण पड़ रहा है, तब भी गायत्री मंत्र का जाप धार्मिक कार्यों में प्रभावशाली बना हुआ है।

Gayatri Mantra Lyrics गायत्री मंत्र के बोल
ॐ (परब्रह्म का प्रतीक), भूर् (भूलोक या पृथ्वी), भुवः (अंतरिक्ष), स्वः (स्वर्गलोक), तत् (वह परमात्मा), सवितुर (ब्रह्म), वरेण्यं (आराधना के योग्य), भर्गो (पापों और अज्ञानता को दूर करने वाला), देवस्य (देदीप्यमान- चमकीला), धीमहि (हम ध्यान करते हैं), धियो (बुद्धि मेघा), यो (जो), न: (हमारा), प्रचोद्यात् (प्रकाशित करें-प्ररेणा करें)।
गायत्री मंत्र का आंतरिक अर्थ क्या है? gayatri mantra meaning in hindi
ओम् : हे सर्व रक्षक परमात्मा ।
भू: - हे प्राण स्वरूप परमात्मा ।भूव: - है दुख विनाशक ईश्वर।
स्व: - स्वयं सूख रूप ईश्वर।
तत - आप के
सवितू - जो जगत उत्पादक , पालक, प्रेरक
वरेण्यम - वरण करने योग्य स्वरूप है ।
भर्गो - जो पाप वासनाओं को दग्ध कर देता है ।
देवस्य - जो काम ना करने के योग्य है ।
धीमहि - का मैं ध्यान घरू ।
धियो यो न: प्रचोदयात् - वह ईश्वर हमारी बुद्धि यों को सन्मार्ग में प्रेरित करें ।
गायत्री मंत्र Gayatri Mantra की शाब्दिक व्याख्या Gayatri Mantra meaning
भू- पृथ्वी/धरती
र्भूवः-पृथ्वी के उपर
स्वः-स्वर्ग
तत्.-के समान
सवितु- सूर्य
र्वरेण्यम -वरण करने योग्य
भर्गो -पापो का नाश करने वाला
देवस्य -देने वाला
धि महि -धारण करने योग्य
धि यो – पापों को धोने वाला
यो नः-एक समान
प्रचोदयात् -नमन करना ।
गायत्री मंत्र Gayatri Mantra में चौबीस अक्षर होते हैं, ये 24 अक्षर चौबीस शक्तियों-सिद्धियों के प्रतीक हैं। इसी कारण ऋषियों ने गायत्री मंत्र को सर्वमंगलकारी तथा सभी प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला बताया है।
कुछ प्रभाव ऐसा है गायत्री मंत्र का कि तमाम कष्ट इसके जाप से प्रभावहीन हो जाते हैं। हर क्षेत्र में सफलता के लिए गायत्री मंत्र का प्रयोग सिद्ध माना गया है। मंत्रों की ध्वनि से असीम शांति की अनुभूति होती है। यह जीवन को हर ओर से खुशहाल बना सकता है। मंत्रोच्चारण में विशेष कम्पन होता है। वैदिक दर्शन शास्त्र यह सिद्ध करते हैं कि जहां कोई कार्य है वहां कंपन है और जहां कंपन है, वहां शब्द अवश्य होता है।
इस मंत्र के ऋषि विश्वामित्र और देवता 'सवितृ ' हैं। यह गायत्री नाम से लोक प्रसिद्ध है एवं सवितृ देव से संबंद्ध होने के कारण यह सावित्री भी कहलाता है। इस मंत्र की अधिष्ठात्री देवी पंचमुखी और दस भुजाओं वाली गायित्री देवी हैं। चारों वेद, शास्त्र और श्रुतियां सभी गायत्री से ही पैदा हुए माने जाते हैं। वेदों की उत्पत्ति के कारण इन्हें वेदमाता कहा जाता है। समस्त ज्ञान की देवी भी गायत्री हैं, इस कारण गायत्री को ज्ञान- गंगा भी कहते हैं।
Gayatri Mantra गायत्री मंत्र में तीन पेद हैं:
(2) ईश्वर को अपने अंदर धारण करना,
(3) सदबुद्धि की प्रेरणा के लिए प्रार्थना।
आदि कवि वाल्मीकि जी ने रामायण के चौबीस सहस्त्र श्लोकों की रचना गायत्री के चौबीस वर्णों को लेकर की। भारत के ऋषियों की तपस्या का चरम फल वह मां गायत्री ही हैं जो वेदों में उद्घोषित हैं, जिसे लेकर समस्त उपनिषदों की साधना चलती है।
गायत्री मंत्र में तीन वस्तुओं का पता लगता है-एक केंद्र अनंत ब्रह्मांड है, दूसरा जीव का केंद्र जीवन है और तीसरा इन दोनों के बीच अंतर संबंध है।
गायत्री मंत्र के लाभ क्या है? Benefits of Gayatri Mantra
🕉️ 'गायत्री मंत्र' की शक्ति : गायत्री मंत्र का जाप करने से उत्साह एवं सकारात्मकता से आपकी त्वचा में चमक आती है और परमार्थ में रुचि जागती है, आशीर्वाद देने की शक्ति बढ़ती है, नेत्रों में तेज आता है, स्वप्न सिद्ध हो जाते हैं, क्रोध शांत होता है, ज्ञान की वृद्धि होती है। यदि कोई व्यक्ति जीवन की समस्याओं से बहुत त्रस्त है, तो उसकी समस्याएं समाप्त हो जाएंगी।
🕉️ विद्यार्थियों के लिए गायत्री मंत्र का जाप सभी के लिए उपयोगी है, किन्तु विद्यार्थियों के लिए तो यह मंत्र बहुत लाभदायक है। रोजाना इस मंत्र का एक सौ आठ बार जप करने से सभी प्रकार की विद्या प्राप्त करने में आसानी होती है। पढ़ने में मन नहीं लगना, याद किया हुआ भूल जाना, शीघ्रता से याद न होना आदि समस्याओं से विद्यार्थियों को निजात मिल जाती है।
🕉️ सफलता के लिए यदि किसी व्यक्ति के व्यापार, नौकरी में हानि हो रही है या कार्य में सफलता नहीं मिलती, आमदनी कम है तथा व्यय अधिक है तो उन्हें गायत्री मंत्र का जप बहुत लाभ पहुंचता है।
🕉️ दरिद्रता का नाश के लिए, पीले वस्त्र पहनकर शुक्रवार को गायत्री माता का ध्यान कर जप करने से होता है। इसके साथ ही रविवार को व्रत किया जाए तो ज्यादा लाभ होता है। संतान संबंधी परेशानियां दूर करने के लिए प्रातः पति-पत्नी एक साथ सफेद वस्त्र धारण कर गायत्री मंत्र का जप करें तो संतान संबंधी किसी भी समस्या से शीघ्र मुक्ति मिलती है।
🕉️ पीपल, शमी, वट, गूलर की लकड़ी के टुकड़े लेकर एक पात्र में कच्चा दूध भरकर रख लें एवं उस दूध के सामने एक हजार गायत्री मंत्र का जाप करें। इसके बाद एक-एक लकड़ी को दूध में स्पर्श करके गायत्री मंत्र का जप करते हुए अग्नि में होम करने से समस्त परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है।
🕉️ यदि कोई व्यक्ति शत्रुओं के कारण परेशानियां झेल रहा हो तो उसे प्रतिदिन या विशेष कर मंगलवार, अमावस्या अथवा रविवार को लाल वस्त्र पहनकर माता दुर्गा का ध्यान करते हुए गायत्री मंत्र का एक सौ आठ बार जाप करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है तथा न्यायालयों आदि कार्यों में भी सफलता प्राप्त होती है।
🚩 गायत्री मंत्र कैसे पढ़ा जाता है ?
🚩 गायत्री मंत्र क्यों नहीं पढ़ना चाहिए ?
वैदिक पद्धति के अनुसार, गायत्री मंत्र शिव, ब्रह्मा, वसिष्ठ, शुक्रचार्य एवं विश्वामित्र द्वारा शापित है। दरअसल, इस मंत्र का गलत प्रयोग ना हो इसलिए इस मंत्र को शापमुक्त कर ही मंत्र का जाप करना चाहिए। मंत्र जाप से पहले इसकी शाप विमोचन विधि का पालन किया जाता है।🚩 गायत्री मंत्र 108 बार बोलने से क्या होता है ?
नियमित रूप से 108 बार गायत्री मंत्र का जप करने से बुद्धि प्रखर और किसी भी विषय को लंबे समय तक याद रखने की क्षमता बढ़ जाती है। यह मंत्र व्यक्ति की बुद्धि और विवेक को निखारने का भी काम करता है।🚩 सुबह सुबह गायत्री मंत्र सुनने से क्या होता है ? Benefits of Gayatri Mantra
सर्वश्रेष्ठ मंत्रों में एक, वेदों में गायत्री मंत्र ( Gayatri Mantra Benefits) का विस्तार पूर्वक से वर्णन है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गायत्री मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के अंदर मन के दुख, द्वेष, पाप, भय, शोक जैसे नकारात्मक चीजों का अंत हो कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है ।गायत्री मंत्र 108 बार सुने : Gayatri Mantra 108 Times by Anuradha Paudwal, Kavita Paudwal
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