
रोचक बातें हिंदमहासागर की
भारत के तीन ओर समुद्र तो एक ओर हिमालय हैं। भारत के 13 राज्यों की सीमा से समुद्र लगे हैं दक्षिण में हिन्दमहासागर, पश्चिम में अरब सागर और पूर्व में बंगाल की खाड़ी है। आओ अब जानते हैं हिन्दमहासागर (India Ocean) की रोचक जानकारी।
* यह तीसरा सबसे बड़ा विश्व का समुद्र है और पृथ्वी की सतह पर उपस्थित कुल पानी का लगभग 20 प्रतिशत भाग इसमें समाया हुआ है।
* पूर्व में भारत-चीन, सुंदा द्वीप समूह, पश्चिम में पूर्व अफ्रीका, उत्तर में यह भारतीय उपमहाद्वीप से, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण में दक्षिण ध्रुवीय महासागर से घिरा है।
* केवल यही एक महासागर दुनिया में है जिसका नाम किसी देश के नाम यानी हिन्दुस्तान ( इंडिया ) पर रखा गया है।
* इसे 'रत्नाकर' प्राचीन भारतीय ग्रंथों में कहा गया है।
* धरती के 70.8 प्रतिशत भाग पर समुद्र है जिसमें से 14 प्रतिशत भाग पर ही विराट हिन्दमहासागर है। इस महासागर को प्रायद्वीपीय भारत दो भागों में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में बांट देता है।
* धरती के इस तीसरे सबसे बड़े महासागर का क्षेत्रफल और विस्तार की दृष्टि से लगभग 7.4 करोड़ वर्ग किलोमीटर है।
* अधिकांश भाग हिंदमहासागर का धरती के दक्षिणी गोलार्ध में आता है।
* हिंदमहासागर की गहराई लगभग 4 किलोमीटर है। हिंदमहासागर के दर्शन आप कन्याकुमारी (तमिलनाडु) से कर सकते हैं।
* ऐसा माना जाता हिन्द महासगर ने अपना वर्तमान रूप मात्र 3.6 करोड़ वर्ष पहले ही ग्रहण किया है ।
* इस महासागर में स्थित महाद्वीपीय, अधिकांश द्वीप खंडों से टूटकर अलग हुए भाग हैं जैसे की अंडमान तथा निकोबार द्वीप समूह, जंजीबार, श्रीलंका, तथा मैडागास्कर ।
* वैसे तो सभी महासागरों का पानी एक ही दिशा में होता पर हिन्दमहासागर का बहाव सर्दियों में अफ्रीका की ओर और गर्मी में की ओर होता है।
* इसमें विश्व की दो बड़ी नदियां गंगा और ब्रह्मपुत्र मिलती है।
* हिन्दमहासागर में जल होने का अनुमान लगभग 292,131,000 घन किलोमीटर है।
* हिन्दमहासागर अंध महासागर और प्रशांत महासागर से जुड़ा हुआ है। हिन्दमहासागर, अंटार्कटिका महाद्वीप के निकट प्रशांत एवं अटलांटिक महासागर से मिल जाता है।
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समुद्र में छुपा है 'खनिजों का खजाना'
महासागरों की गहराई में तांबा, कोबाल्ट, निकले, इस्पात और मैंगनीज के साथ ही सोना-चांदी के बड़े भंडार मौजूद हैं। कुछ द्वीप देशों ने इनकी नीलामी की योजना भी बनानी शुरू कर दी है।
महासागरों में खनन के लिए अभी तक कोई इंटरनैशनल कोड नहीं है। इसके बावजूद इंटरनैशनल सी- बैड अथॉरिटी ने फैसला किया कि इच्छुक कम्पनियां समुद्र तल की खुदाई के लिए जुलाई 2023 से आवेदन कर सकती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार समुद्र तल जैव विविधिता का खजाना है।
सी- बैड पर दवाओं में इस्तेमाल होने वाले जीवित संसाधनों के भंडार भी बड़ी मात्रा में उपलब्ध है। ये जीवित संसाधन ही समुद्री मछलियों को भरण-पोषण और प्रजनन के लिए जरूरी तत्व मुहैया कराते हैं।
क्या हैं मैंगनीज नोड्यूल, जिनमें हैं खनिज
सी-बैड पर आलू के आकार की मँगनीज ग्रंथियां मौजूद हैं। इनमें बड़ी मात्रा में निकल, तांबा, मैंगनीज के साथ ही कई दुर्लभ धातुएं होती हैं। इन ग्रंथियों को ही मैंगनीज नोड्यूल्स कहा जाता है। इनमें कई बेशकीमती धातुएं गुच्छे में मौजूद रहती हैं। इन्हीं के खनन के लिए दुनिया भर की कम्पनियों के बीच होड़ मची हुई है।
अमरीका के राज्य हवाई के नजदीक स्थित पूर्वी प्रशांत महासागर में कई हजार किलोमीटर में फैली तलहटी की गहराई 11,500 फुट से 18,000 फुट के बीच है। इस पूरे समुद्रतल में धरती पर ज्ञात किसी भी इलाके के मुकाबले कहीं ज्यादा मैंगनीज, कोबाल्ट और निकल उपलब्ध है।
हालांकि, वैज्ञानिकों और समुद्र तल में खुदाई का विरोध कर रहे पर्यावरणविदों को डर है कि ग्रंथियों को खींचने के बाद बनने वाला गाद का बादल कई सौ किलोमीटर के दायरे में जैव प्रणाली को नुक्सान पहुंचाएगा।
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