सत्य का पक्ष
यह गोपाल कृष्ण गोखले के जीवन का एक प्रसंग है। यह घटना उनके बाल्यकाल की है। इससे पता चलता है कि बाद के महान व्यक्ति तथा महान राष्ट्रवादी सदैव न्याय संगत बात किया करते थे। ऐसे विचारों को उन्होंने अंतिम सांस लेने तक कभी नहीं छोड़ा। विपरीत परिस्थितियों में भी उन्होंने सत्य का पक्ष लिया।
गोपाल के बड़े भाई का नाम गोविंद था-गोविंद कृष्ण गोखले। जिन दिनों दोनों भाई स्कूल में पढ़ा करते, सायं के समय गांव से बाहर जाकर खेलते थे। गांव के कुछ और लड़कों के साथ उनका बचपन एक-सा बीता करता।
एक बार वे लड़के कबड्डी खेल रहे थे। दोनों भाई अलग-अलग दल में थे। खेल के मध्य में बड़े भाई गोविंद ने छोटे भाई गोपाल के कान में धीरे से कहा, "छोटे, मैं तेरा बड़ा भाई हूं। तू मुझे जीत जाने दे।"
गोपाल कृष्ण गोखले ने सुना। तुरंत कह दिया, "बड़े भैया, यदि तुम कहो तो मैं खेल छोड़ कर बाहर बैठ जाता हूं, किन्तु जब तक खेलूंगा, पूरी हिम्मत के साथ खेलूंगा। मैं अपने दल को धोखा नहीं दे सकता।" और खेल चलता रहा। कौन-सा दल जीता या हारा, यह दूसरी बात है, गोपाल ने सत्य का पक्ष लिया। बड़े भाई गोविंद को न्यायसंगत बात कह कर चुप करा दिया।
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