
जब दो बुजुर्ग मिलते हैं, तो उन्हें सिर्फ अपने रोगों, दुखों और परेशानियों की कहानियां ही नहीं बतानी चाहिएं, बल्कि उन्हें खुशनुमा और सुखद अनुभवों के बारे में भी बात करनी चाहिए। और ऐसे अनुभव तो बहुत हैं।
बुढ़ापा जीवन के अन्य चरणों की तरह होता है। इसका अपना चेहरा, वातावरण, तापमान, आनंद और जरूरतें होती हैं। युवाओं की तरह हम सफेद बाल वाले बुजुर्गों पर भी अपने अस्तित्व को अर्थ देने की जिम्मेदारी है।
बुढ़ापा जवान होने जितना ही अच्छा और पवित्र काम है। एक वृद्ध व्यक्ति यदि अपने सफेद बालों और मृत्यु की निकटता से नफरत करता है, तो वह जीवन के इस पड़ाव का उतना ही अयोग्य प्रतिनिधि है, जितना कि एक युवा और मजबूत व्यक्ति जो अपनी नौकरी और दैनिक काम से नफरत करता है और उनसे छुटकारा पाने की कोशिश करता है।
संक्षेप में, अगर एक बूढ़े व्यक्ति को अपने साथ न्याय करना है, तो उसे उम्र और इसके साथ आने वाली हर चीज से तालमेल बिठाना होगा, उसे इन सबके लिए हामी भरनी होगी।
प्रकृति की हमसे जो मांग है, उसे स्वीकार किए बिना, हम अपने सभी दिनों का मूल्य और अर्थ खो देते हैं-भले ही बूढ़े हों या जवान।
हर कोई जानता है कि बुढ़ापा अपने साथ समस्याएं भी लेकर आता है। साल दर साल हमें कुछ त्याग करने होते हैं, तो कुछ संयम बरतने पड़ते हैं। जो रास्ता पहले छोटा लगता था, अब वह लंबा व थकाऊ हो जाता है लेकिन इस क्षय की प्रक्रिया के आगे झुक जाना और यह न देखना दुखद और दयनीय होगा, कि बुढ़ापे के भी अपने अच्छे पहलू हैं।
जब दो बुजुर्ग मिलते हैं, तो उन्हें सिर्फ अपने गठिया रोग और सीढ़ियों पर सांस फूलने की बात ही नहीं करनी चाहिए, उन्हें अपने दुखों और परेशानियों की कहानियां ही नहीं बतानी चाहिएं, बल्कि खुशनुमा और सुखद अनुभवों - के बारे में भी बात करनी चाहिए। और ऐसे अनुभव तो बहुत हैं।
जब मैं एक बुजुर्ग के जीवन के सकारात्मक पक्ष का उल्लेख करता हूं और इसका भी, कि हम बूढ़े लोग भी शक्ति, धैर्य व आनंद के उन स्रोतों से परिचित हैं, जिनका युवाओं के जीवन में कोई महत्व नहीं है, तो मैं धर्म व धार्मिक स्थल के सुख की बात नहीं कर रहा हूं। मुझे लगता है कि मैं कृतज्ञतापूर्वक उन उपहारों को नाम दे सकता हूं, जो हमें उम्र के साथ मिले हैं। इन सभी उपहारों में सबसे प्रिय है छवियों का खज़ाना, जो लंबे जीवन के बाद भी हम अपनी स्मृति में संजोए रखते हैं, और जिनके प्रति हमारी सक्रिय शक्तियों के क्षीण होने पर हम पहले से भिन्न दृष्टिकोण अपनाते हैं।
जब युवा अपनी शक्ति और मासूमियत के साथ हमारी पीठ पीछे हम पर हंसते हैं और हमारी लड़खड़ाती चाल, हमारे सफेद बालों और पतली गर्दन का मजाक उड़ाते हैं, तब हमें याद आता है कि कभी हमारे पास भी वही शक्ति और मासूमियत थी और हम भी मुस्कुराते थे, और हम खुद को कमतर या पराजित नहीं समझते, बल्कि इस बात पर खुश होते हैं कि हम जीवन के उस दौर से आगे बढ़ कर अब समझदार और थोड़े अधिक धैर्यवान हो गए हैं।
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