
टीनएजर बच्चों को संभालना बच्चों का खेल नहीं है। यौवनावस्था में कदम रखते ही बच्चे बाग़ी होने लगते हैं। उन्हें हर चीज से शिकायत होती है। जाहिर है आपसे यानी अपने मां-बाप से भी शिकायत होगी। आइए जानें, इन शिकायती बच्चों को कैसे - संभाला जा सकता है।
बच्चों को समझें
अपने बच्चे का बुरा बर्ताव या हमेशा क्रोध में रहना तकलीफ पहुंचा सकता है पर उनके गुस्से को अपने गुस्से से हैंडल करना समझदारी नहीं है। चूंकि आप समझदार हैं और खुद ऐसे दौर से गुजर चुके हैं तो आपको अपना दिमाग शांत रखना होगा और उनके गुस्से को तार्किक ढंग से समझने की कोशिश करनी होगी। उनमें शारीरिक और मानसिक बदलाव आ रहे हैं। उन पर पढ़ाई लिखाई और करियर की चिंता हावी होने लगी है। बच्चों का बुरा बर्ताव सहन नहीं करना चाहिए, पर इस बात की जरूरत है कि आप धैर्य रखें और उन्हें समझने की कोशिश करें।
अच्छा उदाहरण पेश करें
आप इतने सालों की परेंटिंग में यह बात तो समझ ही गए होंगे कि बच्चे उदाहरणों से ही सीखते हैं। भले ही वे अपना व्यक्तित्व विकसित कर रहे हों, पर वे जाने-अनजाने सीखते आपसे ही हैं। तो उनके साथ आपको बड़ा ही संयमित और दोस्ताना व्यवहार रखना है। अगर आप उन्हें बात-बात पर चिल्लाएंगे तो किसी दिन वे पलटकर जवाब दे दें तो आपको आश्चर्य नहीं होना चाहिए। जब बच्चे पैरेंट्स के साथ लॉजिकल बातें करते हैं तब उनका सामाजिक विकास भी होता है। वे समाज में लोगों से बात करने, अपनी बात को तर्कों के साथ रखने की कला सीखते हैं।
बच्चों को पूरी छूट देना भी सही नहीं
किशोरावस्था में बच्चों में आने वाले बदलावों को लेकर कुछ पैरेंट्स इतने अधिक तैयार होते हैं कि वे बच्चों में आ रहे बदलावों को सामान्य मानकर उनकी ओर ध्यान ही नहीं देते। उन्हें उनकी समस्याओं से जूझने, उन समस्याओं से बाहर निकलने के लिए उन्हें अकेला छोड़ देते हैं। ऐसा करना बहुत खतरनाक साबित हो सकता है। वे गलत राह पर जा सकते हैं। बेशक टोका टोकी पर बच्चे के साथ आपके संबंध थोड़े खटास भरे हो सकते हैं, उन्हें बेलगाम छोड़ देने के खतरे कहीं अधिक हैं। उनके लिए कुछ नियम बनाने ही होंगे और सुनिश्चित करना होगा कि बच्चे उन नियमों का पालन करें।
उनकी संगत पर भी रखें नजर
हम जिनके साथ रहते हैं, उनके जैसे बनते हैं। यह बात कोई नई नहीं है। बतौर पैरेंट हमें इस बात को हमेशा याद रखना चाहिए। आपका टीनएजर बच्चा किन दोस्तों के साथ रहता है आपको पता होना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि बच्चों की बिगड़ने की उम्र टीनएज ही होती है। आपको समय समय पर उनके दोस्तों को घर बुलाना चाहिए। बाहर भी उनसे - मिलना चाहिए। उनके दोस्तों के पैरेंट्स से भी आपकी - बातचीत होती रहे तो सोने पर सुहागा। उनके स्कूल 1 और कोचिंग के टीचर्स से मिलते रहें।
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