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नई पीढ़ी और बुजुर्गों का रिश्ता अनुभव और उत्साह का सुंदर संगम है। बुजुर्ग जहां जीवन के उतार-चढ़ाव से मिली सीख और परंपराओं की छाप लेकर आते हैं, वहीं नई पीढ़ी नए विचारों और आधुनिक सोच से भरी होती है। यदि दोनों एक-दूसरे की बातों को ध्यान से सुनें, सम्मान दें और छोटे-छोटे पलों को साझा करें, तो यह रिश्ता और भी गहरा हो सकता है। बुजुर्गों के साथ समय बिताना, उनकी कहानियों से सीखना और उन्हें डिजिटल दुनिया से जोड़ना, वहीं नई पीढ़ी की चुनौतियों को समझकर उनका हौसला बढ़ाना—यही कदम रिश्तों को मजबूत बनाने का मूल मंत्र हैं।
नई पीढ़ी और बुजुर्गों के बीच दूरी कैसे मिटाएँ? जानिए रिश्ते मजबूत करने के आसान तरीके :परिवार की 'फैमिली ट्री' बनाना
ग्रैंड पैरेंट्स अपने परिवार का फैमिली ट्री बनाने की पहल करें और फिर बच्चों से कहें कि इसे डिजिटल फॉर्मेट में तैयार करें। पुराने एलबम से फोटो चुनना, रिश्तेदारों के नाम लिखना और उनके बारे में मजेदार किस्से जोड़ना इस एक्टिविटी का हिस्सा हो सकता है।
बच्चे कम्प्यूटर या मोबाइल पर इसे डिजाइन करें, जबकि ग्रैंड पेरेंट्स जानकारी और यादें सांझा करें। इससे बच्चों को अपनी जड़ों और परिवार के इतिहास को मजेदार तरीके से जानने का मौका मिलेगा और ग्रैंड पेंरैंट्स को डिजिटल टूल्स सीखने का अनुभव होगा।
रैसिपी सिखाना
किसी त्यौहार या खास मौके पर ग्रैंड पेरेंट्स बच्चों को फैमिली की स्पैशल रैसिपी बनाना सिखाएं। इस दौरान कुकिंग से जुड़े अपने खास टिप्स और सीक्रेट नुस्खे भी शेयर करें। जैसे कि सही स्वाद के लिए कौन-सा मसाला कब डालना है, आटा नरम कैसे रखना है या मिठाई का परफैक्ट रंग कैसे लाना है। बच्चे रैसिपी की लिस्ट लिख सकते हैं, फोटो ले सकते हैं और इसे डिजिटल रैसिपी बुक में बदल सकते हैं।
गार्डनिंग करना
गार्डनिंग रिश्तों को मजबूत करने का एक -शानदार तरीका है क्योंकि इसमें दोनों पीढ़ियां साथ-साथ समय बिताती हैं। ग्रैंड पैरेंट्स बीज चुनने, पौधे लगाने और मिट्टी तैयार करने का तरीका बताएं, जबकि बच्चे पानी देना, खाद डालना और पौधों की ग्रोथ की तस्वीरें लेना जैसे काम करें। यह एक्टिविटी बच्चों को जहां जिम्मेदारी सिखाती है, वहीं ग्रैंड पेरेंट्स को भी खुशी देती है कि वे अपने अनुभव से कुदरत के प्रति लगाव जगा रहे हैं।
एक साथ फिल्म देखना
मूवी सैशन एक-दूसरे की पसंद और सोच को समझने का मजेदार तरीका है। तय करें कि एक दिन बच्चे पुरानी ब्लैक एंड व्हाइट या क्लासिक फिल्म देखें, जबकि उस दिन ग्रैंड पैरेंट्स नई पीढ़ी की फिल्म देखें। फिल्म के बाद दोनों मिलकर कहानी, किरदार और सीन पर चर्चा करें कि कौन-सा हिस्सा अच्छा लगा, किस डायलॉग ने असर छोड़ा और किस किरदार से ज्यादा जुड़ाव महसूस हुआ।
शौक पूरे कीजिए
कुछ एक जैसी हॉबीज यानी शौक ढूंढना ग्रैंड पैरेंट्स और बच्चों के बीच बॉन्डिंग का आसान तरीका है। यह पेंटिंग, म्यूजिक, फोटोग्राफी, कुकिंग या साथ में घूमने की आदत हो सकती है। वीकेंड पर किसी पार्क में घूमना, फोटो खींचना, घर पर आर्ट बनाना या म्यूजिक बजाना जैसी एक्टिविटीज रिश्तों में ताजगी लाती हैं। जब दोनों पीढ़ियां एक साथ कुछ क्रिएटिव करती हैं तो बातचीत बढ़ती है, एक-दूसरे की स्किल्स की तारीफ होती है और नई यादें बनती हैं, जो रिश्तों को बरसों तक मजबूत रखती हैं।
रिपेयरिंग का ज्ञान देना
बच्चों को घर की छोटी-छोटी रिपेयरिंग सिखाना भी एक शानदार बॉन्डिंग एक्टिविटी है। ग्रैंड पैरेंट्स उन्हें घड़ी या टॉर्च में बैटरी लगाना, पुराने खिलौनों में स्क्रू कसना या टूटे हिस्से चिपकाना, पुराने फोटो फ्रेम का बैंक कवर लगाना, शू पॉलिश करना और लेस बांधना, पुराना रेडियो चालू करना सिखा सकते हैं।
बच्चे इन कामों में हाथ बंटाते हुए सीखते हैं कि हर छोटी परेशानी के लिए बाहर से मदद लेने की कोई जरूरत नहीं होती।
पुरानी पीढ़ी से ऐसे करें बात
सिखाने का तरीका
जब दादू-दादी या नानू-नानी को कोई ऐप या नई चीज सिखानी हो तो बस याद करें कि हमें बचपन में कैसे सिखाया गया था। जैसे 'ए फॉर एप्पल' सीखते वक्त टीचर ने किताब में छोटा-सा नहीं, बल्कि बड़े से कागज पर लाल रंग का एप्पल बनाकर दिखाया था, ताकि आपको मजा भी आए और याद भी रहे।
आप भी पहले उन्हें एक बार करके दिखाएं, फिर उनके साथ मिलकर करें और फिर उन्हें खुद करने दें। अगर लगता है कि वे भूल जाएंगे तो स्टैप बाय स्टैप एक कागज पर लिखकर दे दें।
छेड़ दें कोई बात
कभी-कभी आपकी एक छोटी-सी पहल भी बातचीत को लंबा और मजेदार बना सकती है। जैसे, अगर कह दें कि चलो आज मैं आपके लिए चाय बनाता हूं, लेकिन बदले में आपको मुझे अपने बचपन का कोई खेल सिखाना होगा, तो यह केवल मदद नहीं बल्कि साथ में वक्त बिताने का तरीका बन जाता है।
चाय बनाते-बनाते पूछ सकते हैं कि आप बचपन में कौन-सा खेल खेलते थे, क्या कंचे, लट्ट या गिल्ली-डंडा खेलते थे ? इसी तरह, नानी-दादी, मैं आपकी मदद कर दूंगा आपके काम में, लेकिन आपको मुझे बताना होगा कि आप इतनी जल्दी ये काम कैसे कर लेती हैं?
ग्रैंड पॅरेंट्स के जमाने में जाएं
हिंदी क्लासिकल फिल्में: 'बावर्ची', 'छोटी-सी बात', 'चलते-चलते' आदि ।
वैब सीरीज - टी.वी. शोज : 'मालगुड़ी, डेज', 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा', 'साराभाई वर्सेस साराभाई', 'गुल्लक' आदि।
आगे पढ़ें : जानिए कैसे बुजुर्गों को सिखाएं 'वित्तीय' समझदारी
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