आमतौर पर हम सभी की फाइनांशियल, मैंटल और फिजिकल हैल्थ आपस में जुड़ी होती हैं। एक कमजोर हो तो बाकी पर असर आएगा ही। अगर बुजुर्गों को रिटायरमेंट के बाद पैसों की कोई कमी नहीं होगी तो उन्हें यह फिक्र नहीं सताएगी कि रिश्तेदारों या बेटा-बेटी के बच्चों पर कहां से खर्च करेंगे ? उन्हें गिफ्ट कहां से दिलाएंगे ? अगर कहीं घूमने जाने का मन हो तो पैसों को लेकर चिंता नहीं करनी होगी।
जब वे टैंशन मुक्त रहेंगे तो सबके प्यार से उनकी मानसिक सेहत और भी अच्छी बनी रहेगी। इसका सीधा असर शरीर पर पड़ता है। अगर दिमाग खुश होगा तो शरीर काफी हद तक खुद को फिट रखेगा।
जानते हैं उनकी फिटनैस बनाए रखने के लिए कुछ जरूरी बातें :
फाइनैंशल हैल्थ का महत्व ताकि न हो पैसों की कमी रिटायरमेंट के बाद सबसे पहले जो चीज साथ छोड़ती है, वह है फिक्स्ड मंथली सैलरी। हां, कुछ हद तक ई.पी.एफ. और दूसरे स्रोत जरूर रह जाते है, लेकिन इनसे उतना पैसा नहीं आता जो जिंदगी को पहले की तरह चलाने के लिए काफी हो। ऐसे में समय रहते प्लानिंग करनी जरूरी है।
जल्द शुरू करे प्लानिंग :
अगर बुजुर्गों ने कोई रिटायरमेंट प्लान नहीं लिया है तो अच्छा होगा कि आप उनके जॉब में रहते ही कोई रिटायरमेंट प्लान चुन लें। जल्द तैयारी करने से ज़्यादा पैसा जोड़ सकेंगे।
ऐसे प्लान भी मौजूद हैं, जिनमें 10 साल तक 1 लाख रुपए देने पर जिंदगीभर हर साल एक लाख रुपए का रिर्टन मिलता है। वैसे रिटायरमेंट से 20-25 साल पहले ही रिटायरमेंट प्लान लेना बेहतर रहता है। इससे कम प्रीमियम में बेहतर रिटर्न मिलता है और रिटायरमेंट तक अच्छा फंड तैयार हो जाता है।
सुरक्षित जगह पर करें निवेश :
निवेश के लिए सुरक्षित जगह चुनें, न कि ज्यादा रिटर्न के लालच में ऐसी जगह पैसा लगा दें जहां नुकसान उठाना पड़े।
ऐसे में एफ.डी. या पोस्ट ऑफिस में निवेश बेहतर ऑप्शन हो सकते हैं। इसमें जोखिम कुछ भी नहीं होता और फिक्स्ड रिटर्न मिलता है। सरकारी योजनाओं में निवेश ज्यादा बेहतर रहता है।
ये हो सकता है प्लान :
रिटायरमेंट के बाद बुजुर्गों को पैंशन के रूप में पैसे मिलते रहें इसके लिए अटल पैंशन योजना, राष्ट्रीय पैंशन योजना, पोस्ट ऑफिस मंथली इन्कम स्कीम, एल.आई.सी. जीवन अक्षय योजना, एल.आई.सी. सरल पैंशन योजना चुन सकते हैं।
भविष्य के खर्चों और महंगाई का ध्यान :
बुजुर्गों के फिलहाल के खर्चों के साथ उनके भविष्य के खर्चों और महंगाई दर का भी ध्यान रखें। इसके मुताबिक ही प्लान चुनें। उनके फिलहाल जो खर्चे हैं रिटायरमेंट के बाद उनमें से कुछ जरूर कम हो जाएंगे, लेकिन कई ऐसे खर्च भी होंगे जैसे- हैल्थ, क्लब की मैम्बरशिप, धार्मिक यात्राएं, दोस्तों/ रिश्तेदारों से मिलना-जुलना आदि तो बढ़ सकते हैं। महंगाई को ध्यान में रखते हुए म्यूचुअल फंड भी अच्छा ऑप्शन हो सकता है क्योंकि इसमें बेहतर रिटर्न मिल सकता है लेकिन इसमें जोखिम भी रहता है इसलिए फाइनैंशियल एक्सपर्ट की सलाह से ही इसमें निवेश करें।
अगर नहीं जोड़ सकें रकम :
हो सकता है कि बुजुर्ग अपनी रिटायरमेंट की कोई प्लानिंग न कर सके हों और उनकी बचत भी सीमित हो तो ऐसे में जरूरी है कि हम जो कमा रहे हैं, उसी पैसे से पापा की मदद भी करें, लेकिन इस तरह से ताकि उन्हें 'बोझ नहीं, सम्मान महसूस हो।
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